मारकुस 4:1-20

मारकुस 4:1-20 पवित्र बाइबल (HERV)

उसने झील के किनारे उपदेश देना फिर शुरू कर दिया। वहाँ उसके चारों ओर बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी। इसलिये वह झील में खड़ी एक नाव पर जा बैठा। और सभी लोग झील के किनारे धरती पर खड़े थे। उसने दृष्टान्त देकर उन्हें बहुत सी बातें सिखाईं। अपने उपदेश में उसने कहा, “सुनो! एक बार एक किसान बीज वो ने के लिए निकला। तब ऐसा हुआ कि जब उसने बीज बोये तो कुछ मार्ग के किनारे गिरे। पक्षी आये और उन्हें चुग गये। दूसरे कुछ बीज पथरीली धरती पर गिरे जहाँ बहुत मिट्टी नहीं थी। वे गहरी मिट्टी न होने के कारण जल्दी ही उग आये। और जब सूरज उगा तो वे झुलस गये और जड़ न पकड़ पाने के कारण मुरझा गये। कुछ और बीज काँटों में जा गिरे। काँटे बड़े हुए और उन्होंने उन्हें दबा लिया जिससे उनमें दाने नहीं पड़े। कुछ बीज अच्छी धरती पर गिरे। वे उगे, उनकी बढ़वार हुई और उन्होंने अनाज पैदा किया। तीस गुणी, साठ गुणी और यहाँ तक कि सौ गुणी अधिक फसल उतरी।” फिर उसने कहा, “जिसके पास सुनने को कान है, वह सुने!” फिर जब वह अकेला था तो उसके बारह शिष्यों समेत जो लोग उसके आसपास थे, उन्होंने उससे दृष्टान्तों के बारे में पूछा। यीशु ने उन्हें बताया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद दे दिया गया है किन्तु उनके लिये जो बाहर के हैं, सब बातें दृष्टान्तों में होती हैं: ‘ताकि वे देखें और देखते ही रहें, पर उन्हें कुछ सूझे नहीं, सुनें और सुनते ही रहें पर कुछ समझें नहीं। ऐसा न हो जाए कि वे फिरें और क्षमा किए जाएँ।’” उसने उनसे कहा, “यदि तुम इस दृष्टान्त को नहीं समझते तो किसी भी और दृष्टान्त को कैसे समझोगे? किसान जो बोता है, वह वचन है। कुछ लोग किनारे का वह मार्ग हैं जहाँ वचन बोया जाता है। जब वे वचन को सुनते हैं तो तत्काल शैतान आता है और जो वचन रूपी बीज उनमें बोया गया है, उसे उठा ले जाता है। “और कुछ लोग ऐसे हैं जैसे पथरीली धरती में बोया बीज। जब वे वचन को सुनते हैं तो उसे तुरन्त आनन्द के साथ अपना लेते हैं। किन्तु उसके भीतर कोई जड़ नहीं होती, इसलिए वे कुछ ही समय ठहर पाते हैं और बाद में जब वचन के कारण उन पर विपत्ति आती है और उन्हें यातनाएँ दी जाती हैं, तो वे तत्काल अपना विश्वास खो बैठते हैं। “और दूसरे लोग ऐसे हैं जैसे काँटों में बोये गये बीज। ये वे हैं जो वचन को सुनते हैं। किन्तु इस जीवन की चिंताएँ, धन दौलत का लालच और दूसरी वस्तुओं को पाने की इच्छा उनमें आती है और वचन को दबा लेती है। जिससे उस पर फल नहीं लग पाता। “और कुछ लोग उस बीज के समान हैं जो अच्छी धरती पर बोया गया है। ये वे हैं जो वचन को सुनते हैं और ग्रहण करते हैं। इन पर फल लगता है कहीं तीस गुणा, कहीं साठ गुणा तो कहीं सौ गुणे से भी अधिक।”

मारकुस 4:1-20 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

येशु फिर झील के किनारे शिक्षा देने लगे और उनके पास इतनी भीड़ इकट्ठी हो गयी कि उन्‍हें झील में एक नाव में चढ़कर बैठना पड़ा और सारी भीड़ झील की ओर मुख किए भूमि पर रही। उन्‍होंने दृष्‍टान्‍तों में उन्‍हें बहुत-सी बातों की शिक्षा दी। शिक्षा देते हुए उन्‍होंने कहा− “सुनो! कोई किसान बीज बोने निकला। बोते-बोते कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आ कर उन्‍हें चुग लिया। कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्‍हें अधिक मिट्टी नहीं मिली। वे जल्‍दी ही उग गये, क्‍योंकि उनकी मिट्टी गहरी नहीं थी। जब सूरज चढ़ने लगा, तो वे झुलस गये और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गये। कुछ बीज काँटों में गिरे और काँटों ने बढ़ कर उन्‍हें दबा दिया, इसलिए वे फल नहीं लाए। कुछ बीज अच्‍छी भूमि पर गिरे। वे उग कर फले-फूले और तीस गुना या साठ गुना या सौ गुना फल लाए।” अन्‍त में उन्‍होंने कहा, “जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले!” जब येशु एकांत में थे तब उनके अनुयायियों और बारह प्रेरितों ने उन से दृष्‍टान्‍तों का अर्थ पूछा। येशु ने उत्तर दिया, “परमेश्‍वर के राज्‍य का भेद तुम्‍हें दिया गया है; पर उन के लिए जो बाहर हैं प्रत्‍येक बात पहेली है, जिससे ‘वे देखते हुए भी नहीं देखें और सुनते हुए भी नहीं समझें। कहीं ऐसा न हो कि वे प्रभु की ओर लौट आएँ और क्षमा प्राप्‍त करें।’ ” येशु ने उन से कहा, “क्‍या तुम यह दृष्‍टान्‍त नहीं समझते? तो अन्‍य दृष्‍टान्‍तों को कैसे समझोगे? बोने वाला परमेश्‍वर का वचन बोता है। जो मार्ग के किनारे हैं, जहाँ वचन बोया जाता है : ये वे लोग हैं जिन्‍होंने परमेश्‍वर का वचन सुना, परन्‍तु शैतान तुरन्‍त ही आकर वह वचन ले जाता है, जो उन में बोया गया है। इसी प्रकार, जो पथरीली भूमि में बोये जाते हैं : ये वे लोग हैं, जो वचन सुनते ही उसे प्रसन्नता से ग्रहण करते हैं; किन्‍तु उन में जड़ नहीं है और वे थोड़े ही दिन दृढ़ रहते हैं। वचन के कारण कष्‍ट या अत्‍याचार आ पड़ने पर, वे तुरन्‍त विचलित हो जाते हैं। दूसरे बीज जो काँटों में बोये जाते हैं : ये वे लोग हैं, जो वचन सुनते हैं; परन्‍तु संसार की चिन्‍ताएँ, धन का मोह और अन्‍य बातों की इच्‍छाएँ उन में प्रवेश कर वचन को दबा देती हैं और वह फल नहीं लाता। जो अच्‍छी भूमि में बोये गये हैं : ये वे लोग हैं, जो वचन सुनते हैं, उसे ग्रहण करते हैं और फल लाते हैं−कोई तीस गुना, कोई साठ गुना, कोई सौ गुना।”

मारकुस 4:1-20 Hindi Holy Bible (HHBD)

वह फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा: और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई, कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही। और वह उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सी बातें सिखाने लगो, और अपने उपदेश में उन से कहा। सुनो: देखो, एक बोनेवाला, बीज बाने के लिये निकला! और बोते समय कुछ तो मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया। और कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरा जहां उस को बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया। और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया। और कुछ तो झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा लिया, और वह फल न लाया। परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा; और वह उगा, और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया। और उस ने कहा; जिस के पास सुनने के लिये कान हों वह सुन ले॥ जब वह अकेला रह गया, तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उस से इन दृष्टान्तों के विषय में पूछा। उस ने उन से कहा, तुम को तो परमेश्वर के राज्य के भेद की समझ दी गई है, परन्तु बाहर वालों के लिये सब बातें दृष्टान्तों में होती हैं। इसलिये कि वे देखते हुए देखें और उन्हें सुझाई न पड़े और सुनते हुए सुनें भी और न समझें; ऐसा न हो कि वे फिरें, और क्षमा किए जाएं। फिर उस ने उन से कहा; क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्टान्तों को क्योंकर समझोगे? बोने वाला वचन बोता है। जो मार्ग के किनारे के हैं जहां वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है। और वैसे ही जो पत्थरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, कि जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इस के बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं। और जो झाडियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना। और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है। और वह निष्फल रह जाता है। और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा॥

मारकुस 4:1-20 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

वह फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा : और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया, और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही। और वह उन्हें दृष्‍टान्तों में बहुत सी बातें सिखाने लगा, और अपने उपदेश में उनसे कहा, “सुनो! एक बोनेवाला बीज बोने निकला। बोते समय कुछ मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया। कुछ पथरीली भूमि पर गिरा जहाँ उसको बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया, और जब सूर्य निकला तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया। कुछ झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया, और वह फल न लाया। परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और वह उगा और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया। ” तब उसने कहा, “जिसके पास सुनने के लिये कान हों, वह सुन ले।” जब वह अकेला रह गया, तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उससे इन दृष्‍टान्तों के विषय में पूछा। उसने उनसे कहा, “तुम को तो परमेश्‍वर के राज्य के भेद की समझ दी गई है, परन्तु बाहरवालों के लिये सब बातें दृष्‍टान्तों में होती हैं। इसलिये कि “वे देखते हुए देखें और उन्हें सुझाई न पड़े और सुनते हुए सुनें भी और न समझें; ऐसा न हो कि वे फिरें, और क्षमा किए जाएँ।” फिर उसने उनसे कहा, “क्या तुम यह दृष्‍टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्‍टान्तों को कैसे समझोगे? बोनेवाला वचन बोता है। जो मार्ग के किनारे के हैं जहाँ वचन बोया जाता है, ये वे हैं कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उनमें बोया गया था, उठा ले जाता है। वैसे ही जो पथरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इसके बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं। जो झाड़ियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना, और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और अन्य वस्तुओं का लोभ उनमें समाकर वचन को दबा देता है और वह निष्फल रह जाता है। और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं : कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा।”

मारकुस 4:1-20 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

यीशु फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा: और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई, कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया, और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही। और वह उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सारी बातें सिखाने लगा, और अपने उपदेश में उनसे कहा, “सुनो! देखो, एक बोनेवाला, बीज बोने के लिये निकला। और बोते समय कुछ तो मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया। और कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरा जहाँ उसको बहुत मिट्टी न मिली, और नरम मिट्टी मिलने के कारण जल्द उग आया। और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया। और कुछ तो झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया, और वह फल न लाया। परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा; और वह उगा, और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया।” और उसने कहा, “जिसके पास सुनने के लिये कान हों वह सुन ले।” जब वह अकेला रह गया, तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उससे इन दृष्टान्तों के विषय में पूछा। उसने उनसे कहा, “तुम को तो परमेश्वर के राज्य के भेद की समझ दी गई है, परन्तु बाहरवालों के लिये सब बातें दृष्टान्तों में होती हैं। इसलिए कि वे देखते हुए देखें और उन्हें दिखाई न पड़े और सुनते हुए सुनें भी और न समझें; ऐसा न हो कि वे फिरें, और क्षमा किए जाएँ।” (यशा. 6:9,10, यिर्म. 5:21) फिर उसने उनसे कहा, “क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्टान्तों को कैसे समझोगे? बोनेवाला वचनबोता है। जो मार्ग के किनारे के हैं जहाँ वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उनमें बोया गया था, उठा ले जाता है। और वैसे ही जो पत्थरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, कि जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इसके बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं। और जो झाड़ियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना, और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और वस्तुओं का लोभ उनमें समाकर वचन को दबा देता है और वह निष्फल रह जाता है। और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा।”

मारकुस 4:1-20 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

एक बार फिर मसीह येशु ने झील तट पर शिक्षा देना प्रारंभ किया. ऐसी बड़ी भीड़ उनके आस-पास इकट्ठी हो गयी कि उन्हें झील तट पर लगी एक नाव में जाकर बैठना पड़ा और भीड़ झील तट पर खड़ी रही. वह अनेक विषयों को दृष्टान्तों के माध्यम से स्पष्ट करने लगे. शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा, “सुनो! एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, जिन्हें पक्षियों ने आकर चुग लिया. कुछ अन्य बीज पथरीली भूमि पर भी जा गिरे, जहां पर्याप्‍त मिट्टी नहीं थी. पर्याप्‍त मिट्टी न होने के कारण वे जल्दी ही अंकुरित भी हो गए किंतु जब सूर्योदय हुआ, वे झुलस गए और इसलिये कि उन्होंने जड़ें ही नहीं पकड़ी थी, वे मुरझा गए. कुछ अन्य बीज कंटीली झाड़ियों में गिरे और कंटीली झाड़ियों ने उन्हें दबा दिया और उनसे कोई फल उत्पन्‍न न हुआ. कुछ अन्य बीज अच्छी भूमि पर जा गिरे, अंकुरित हो बड़े हुए तथा उनमें तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा फसल हुई.” मसीह येशु ने आगे कहा, “जिस किसी के सुनने के कान हों, वह सुन ले.” जैसे ही शिष्यों और अन्य साथियों ने मसीह येशु को अकेला पाया, उन्होंने मसीह येशु से दृष्टान्तों के विषय में पूछा. मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद सौंपा गया है किंतु अन्यों को सब कुछ दृष्टान्तों के माध्यम से समझाया जाता है क्योंकि, “वे देखते तो हैं किंतु उन्हें कुछ दिखता नहीं, वे सुनते तो हैं किंतु कुछ समझ नहीं पाते ऐसा न हो वे मेरे पास लौट आते और क्षमा प्राप्‍त कर लेते!” तब मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यह दृष्टांत तुम्हारी समझ में नहीं आया? तब तुम अन्य सब दृष्टान्तों का अर्थ कैसे समझोगे? बीज बोनेवाला वचन बोता है. मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जिनमें सुसमाचार बोया तो जाता है किंतु जैसे ही वे उसे सुनते हैं शैतान आकर उस बोये हुए सुसमाचार को उठा ले जाता है. इसी प्रकार पथरीली भूमि वे लोग हैं, जिनमें सुसमाचार बोया जाता है और वे इसे तुरंत खुशी से अपना लेते हैं. उनमें स्थायी जड़ें तो होती नहीं इसलिये जब सुसमाचार के कारण उन पर कष्ट और अत्याचारों का प्रहार होता है, वे शीघ्र ही पीछे हट जाते हैं. अन्य लोग उस भूमि के समान हैं, जहां सुसमाचार कांटों के बीच बोया जाता है. वे सुसमाचार को सुनते हैं, संसार की चिंताएं, धन-संपत्ति का छलावा तथा अन्य वस्तुओं की लालसाओं का प्रवेश उस सुसमाचार को दबा देता है, जिससे उसका फलदाई होना असंभव हो जाता है. अन्य लोग उस बीज के समान हैं, जो उत्तम भूमि में बोया जाता है जो संदेश को सुनता हैं, उसे ग्रहण करते हैं तथा फल लाता है—बोया गया बीज के तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा.”

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