मत्ती 25:1-13
मत्ती 25:1-13 पवित्र बाइबल (HERV)
“उस दिन स्वर्ग का राज्य उन दस कन्याओं के समान होगा जो मशालें लेकर दूल्हे से मिलने निकलीं। उनमें से पाँच लापरवाह थीं और पाँच चौकस। पाँचों लापरवाह कन्याओं ने अपनी मशालें तो ले लीं पर उनके साथ तेल नहीं लिया। उधर चौकस कन्याओं ने अपनी मशालों के साथ कुप्पियों में तेल भी ले लिया। क्योंकि दूल्हे को आने में देर हो रही थी, सभी कन्याएँ ऊँघने लगीं और पड़ कर सो गयीं। “पर आधी रात धूम मची, ‘आ हा! दूल्हा आ रहा है। उससे मिलने बाहर चलो।’ “उसी क्षण वे सभी कन्याएँ उठ खड़ी हुईं और अपनी मशालें तैयार कीं। लापरवाह कन्याओं ने चौकस कन्याओं से कहा, ‘हमें अपना थोड़ा तेल दे दो, हमारी मशालें बुझी जा रही हैं।’ “उत्तर में उन चौकस कन्याओं ने कहा, ‘नहीं! हम नहीं दे सकतीं। क्योंकि फिर न ही यह हमारे लिए काफी होगा और न ही तुम्हारे लिये। सो तुम तेल बेचने वाले के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।’ “जब वे मोल लेने जा ही रही थी कि दूल्हा आ पहुँचा। सो वे कन्य़ाएँ जो तैयार थीं, उसके साथ विवाह के उत्सव में भीतर चली गईं और फिर किसी ने द्वार बंद कर दिया। “आखिरकार वे बाकी की कन्याएँ भी गईं और उन्होंने कहा, ‘स्वामी, हे स्वामी, द्वार खोलो, हमें भीतर आने दो।’ “किन्तु उसने उत्तर देते हुए कहा, ‘मैं तुमसे सच कह रहा हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।’ “सो सावधान रहो। क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को, जब मनुष्य का पुत्र लौटेगा।
मत्ती 25:1-13 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुँआरियों के सदृश होगा, जो अपनी-अपनी मशाल ले कर दूल्हे की अगवानी करने निकलीं। उन में से पाँच मूर्ख थीं और पाँच बुद्धिमती। मूर्ख कुँआरियाँ अपनी मशाल के साथ तेल नहीं लायीं। बुद्धिमती कुँआरियाँ अपनी मशाल के साथ-साथ कुप्पियों में तेल भी लायीं। दूल्हे के आने में देर हो जाने पर सब ऊंघने लगीं और सो गयीं। आधी रात को पुकार होने लगी, ‘देखो, दूल्हा आ रहा है। उसकी अगवानी करने जाओ।’ तब सब कुँआरियाँ उठीं और अपनी-अपनी मशाल सँवारने लगीं। मूर्ख कुँआरियों ने बुद्धिमतियों से कहा, ‘अपने तेल में से थोड़ा हमें दे दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझ रही हैं’। बुद्धिमतियों ने उत्तर दिया, ‘क्या जाने, कहीं हमारे और तुम्हारे लिए तेल पूरा न हो। अच्छा हो, तुम लोग दुकान जाकर अपने लिए तेल खरीद लो।’ वे तेल खरीदने गयी ही थीं कि दूल्हा आ पहुँचा। जो तैयार थीं, उन्होंने उसके साथ विवाह-भवन में प्रवेश किया और द्वार बन्द हो गया। बाद में शेष कुँआरियाँ आयीं और बोलीं, ‘प्रभु! प्रभु! हमारे लिए द्वार खोल दीजिए।’ इस पर उसने उत्तर दिया, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ : मैं तुम्हें नहीं जानता।’ “इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न तो उस दिन को जानते हो और न उस घड़ी को।
मत्ती 25:1-13 Hindi Holy Bible (HHBD)
तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। उन में पांच मूर्ख और पांच समझदार थीं। मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया। परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई। आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उस से भेंट करने के लिये चलो। तब वे सब कुंवारियां उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। और मूर्खों ने समझदारों से कहा, अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं। परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया कि कदाचित हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचने वालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो। जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा आ पहुंचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ ब्याह के घर में चलीं गई और द्वार बन्द किया गया। इसके बाद वे दूसरी कुंवारियां भी आकर कहने लगीं, हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे। उस ने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता। इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को॥
मत्ती 25:1-13 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
“तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। उनमें पाँच मूर्ख और पाँच समझदार थीं। मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया; परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊँघने लगीं और सो गईं। “आधी रात को धूम मची : ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जा रही हैं।’ परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया, ‘कदाचित् यह हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।’ जब वे मोल लेने को जा रही थीं तो दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चली गईं और द्वार बन्द किया गया। इसके बाद वे दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे!’* उसने उत्तर दिया, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।’ इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को।
मत्ती 25:1-13 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
“तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। उनमें पाँच मूर्ख और पाँच समझदार थीं। मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया। परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब उँघने लगीं, और सो गई। “आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उससे भेंट करने के लिये चलो। तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझ रही हैं।’ परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया कि कही हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो। जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चलीं गई और द्वार बन्द किया गया। इसके बाद वे दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।’ उसने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता। इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस समय को।
मत्ती 25:1-13 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
“स्वर्ग-राज्य उस द्वारचार के समान है जिसमें दस कुंवारी युवतियां अपने-अपने दीप लेकर द्वारचार के लिए निकलीं. उनमें से पांच तो मूर्ख थी तथा पांच समझदार. मूर्ख युवतियों ने अपने साथ अपने दीप तो लिए किंतु तेल नहीं; परंतु समझदार युवतियों ने अपने दीपों के साथ तेल के बर्तन भी रख लिए. वर के पहुंचने में देर होने के कारण उन्हें नींद आने लगी और वे सो गई. “आधी रात को यह धूमधाम का शब्द सुनाई दिया: ‘वर पहुंच रहा है! उससे भेंट के लिए बाहर आ जाओ.’ “सभी युवतियां उठीं और अपने-अपने दीप तैयार करने लगीं. मूर्ख युवतियों ने समझदार युवतियों से विनती की, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दे दो—हमारे दीप बुझे जा रहे हैं.’ “किंतु समझदार युवतियों ने उन्हें उत्तर दिया, ‘हमारे और तुम्हारे दोनों के लिए तो तेल पूरा नहीं होगा. भला तो यह होगा कि तुम जाकर व्यापारियों से अपने लिए तेल मोल ले लो.’ “जब वे तेल लेने जा ही रही थी कि वर आ पहुंचा और वे युवतियां, जो तैयार थी, वर के साथ विवाह के भवन में चली गईं और द्वार बंद कर दिया गया. “कुछ समय बाद वे अन्य युवतियां भी आ गईं और विनती करने लगीं, ‘श्रीमान! हमारे लिए द्वार खोल दीजिए.’ “किंतु उसने उन्हें उत्तर दिया, ‘सच तो यह है कि मैं तुम्हें जानता ही नहीं.’ “इसलिये इसी प्रकार तुम भी हमेशा जागते तथा सचेत रहो क्योंकि तुम न तो उस दिन को जानते हो और न ही उस घड़ी को.