मत्ती 21:1-22

मत्ती 21:1-22 पवित्र बाइबल (HERV)

यीशु और उसके अनुयायी जब यरूशलेम के पास जैतून पर्वत के निकट बैतफगे पहुँचे तो यीशु ने अपने दो शिष्यों को यह आदेश “देकर भेजा कि अपने ठीक सामने के गाँव में जाओ और वहाँ जाते ही तुम्हें एक गधी बँधी मिलेगी। उसके साथ उसका बच्चा भी होगा। उन्हें बाँध कर मेरे पास ले आओ। यदि कोई तुमसे कुछ कहे तो उससे कहना, ‘प्रभु को इनकी आवश्यकता है। वह जल्दी ही इन्हें लौटा देगा।’” ऐसा इसलिये हुआ कि भविष्यवक्ता का यह वचन पूरा हो: “सिओन की नगरी से कहो, ‘देख तेरा राजा तेरे पास आ रहा है। वह विनयपूर्ण है, वह गधी पर सवार है, हाँ गधी के बच्चे पर जो एक श्रमिक पशु का बच्चा है।’” सो उसके शिष्य चले गये और वैसा ही किया जैसा उन्हें यीशु ने बताया था। वे गधी और उसके बछेरे को ले आये। और उन पर अपने वस्त्र डाल दिये क्योंकि यीशु को बैठना था। भीड़ में बहुत से लोगों ने अपने वस्त्र राह में बिछा दिये और दूसरे लोग पेड़ों से टहनियाँ काट लाये और उन्हें मार्ग में बिछा दिया। जो लोग उनके आगे चल रहे थे और जो लोग उनके पीछे चल रहे थे सब पुकार कर कह रहे थे: “होशन्ना! धन्य है दाऊद का वह पुत्र! ‘जो आ रहा है प्रभु के नाम पर धन्य है।’ प्रभु जो स्वर्ग में विराजा।” सो जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया तो समूचे नगर में हलचल मच गयी। लोग पूछने लगे, “यह कौन है?” लोग ही जवाब दे रहे थे, “यह गलील के नासरत का नबी यीशु है।” फिर यीशु मन्दिर के अहाते में आया और उसने मन्दिर के अहाते में जो लोग खरीद-बिकरी कर रहे थे, उन सब को बाहर खदेड़ दिया। उसने पैसों की लेन-देन करने वालों की चौकियों को उलट दिया और कबूतर बेचने वालों के तख्त पलट दिये। वह उनसे बोला, “शास्त्र कहते हैं, ‘मेरा घर प्रार्थना-गृह कहलायेगा। किन्तु तुम इसे डाकुओं का अड्डा बना रहे हो।’” मन्दिर में कुछ अंधे, लँगड़े लूले उसके पास आये। जिन्हें उसने चंगा कर दिया। तब प्रमुख याजकों और यहूदी धर्मशास्त्रियों ने उन अद्भुत कामों को देखा जो उसने किये थे और मन्दिर में बच्चों को ऊँचे स्वर में कहते सुना: “होशन्ना! दाऊद का वह पुत्र धन्य है।” तो वे बहुत क्रोधित हुए। और उससे पूछा, “तू सुनता है वे क्या कह रहे हैं?” यीशु ने उनसे कहा, “हाँ, सुनता हूँ। क्या धर्मशास्त्र में तुम लोगों ने नहीं पढ़ा, ‘तूने बालकों और दूध पीते बच्चों तक से स्तुति करवाई है।’” फिर उन्हें वहीं छोड़ कर वह यरूशलेम नगर से बाहर बैतनिय्याह को चला गया। जहाँ उसने रात बिताई। अगले दिन अलख सुबह जब वह नगर को वापस लौट रहा था तो उसे भूख लगी। राह किनारे उसने अंजीर का एक पेड़ देखा सो वह उसके पास गया, पर उसे उस पर पत्तों को छोड़ और कुछ नहीं मिला। सो उसने पेड़ से कहा, “तुझ पर आगे कभी फल न लगे!” और वह अंजीर का पेड़ तुरंत सूख गया। जब शिष्यों ने वह देखा तो अचरज के साथ पूछा, “यह अंजीर का पेड़ इतनी जल्दी कैसे सूख गया?” यीशु ने उत्तर देते हुए उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ। यदि तुम में विश्वास है और तुम संदेह नहीं करते तो तुम न केवल वह कर सकते हो जो मैंने अंजीर के पेड़ का किया। बल्कि यदि तुम इस पहाड़ से कहो, ‘उठ और अपने आप को सागर में डुबो दे’ तो वही हो जायेगा। और प्रार्थना करते हुए तुम जो कुछ माँगो, यदि तुम्हें विश्वास है तो तुम पाओगे।”

मत्ती 21:1-22 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

जब येशु यरूशलेम के निकट पहुँचे और जैतून पहाड़ पर बेतफगे के समीप आए, तब येशु ने दो शिष्‍यों को यह कहते हुए भेजा, “सामने के गाँव में जाओ। वहाँ पहुँचते ही तुम्‍हें खूंटे से बंधी हुई एक गदही मिलेगी और उसके साथ उसका एक बछेरू होगा। उन्‍हें खोल कर मेरे पास ले आओ। यदि कोई तुम से कुछ बोले, तो कह देना, ‘प्रभु को इनकी जरूरत है।’ और वह उन्‍हें तुरन्‍त भेज देगा।” यह इसलिए हुआ कि नबी का यह कथन पूरा हो जाए : “सियोन नगरी से कहो : देख! तेरा राजा तेरे पास आ रहा है। वह विनम्र है। वह गदही पर और उसके बछेरू पर, वरन् लद्दू जानवर के बच्‍चे पर सवार है।” दोनों शिष्‍य चले गए। येशु ने जैसा आदेश दिया, उन्‍होंने वैसा ही किया। वे गदही और उसके बछेरू को ले आए। उन्‍होंने उन पर अपनी चादरें बिछा दीं, जिन पर येशु बैठ गए। भीड़ में से बहुत-से लोगों ने अपनी चादरें रास्‍ते में बिछा दीं। कुछ लोगों ने पेड़ों की डालियाँ काट कर रास्‍ते में फैला दीं। येशु के आगे-आगे और उनके पीछे आनेवाले लोग यह नारा लगा रहे थे, “दाऊद के वंशज की जय हो! जय हो! धन्‍य है वह, जो प्रभु के नाम पर आता है! सर्वोच्‍च स्‍वर्ग में जय हो! जय हो!” जब येशु ने यरूशलेम में प्रवेश किया तब समस्‍त नगर में हलचल मच गयी। लोग पूछने लगे, “यह कौन हैं?” जनसमूह ने कहा, “यह गलील प्रदेश के नासरत-निवासी नबी येशु हैं।” येशु ने मन्‍दिर में प्रवेश किया और वहाँ से उन सब को बाहर निकाल दिया, जो मन्‍दिर में क्रय-विक्रय कर रहे थे। उन्‍होंने सराफों की मेजें और कबूतर बेचने वालों की चौकियाँ उलट दीं और उन से कहा, “धर्मग्रन्‍थ में लिखा है : ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा,’ परन्‍तु तुम लोग उसे लुटेरों का अड्डा बना रहे हो।” अन्‍धे और लंगड़े येशु के पास मन्‍दिर में आए और येशु ने उन को स्‍वस्‍थ कर दिया। जब महापुरोहितों और शास्‍त्रियों ने उनके आश्‍चर्यपूर्ण कार्य देखे और बालकों को मन्‍दिर में यह जयघोष करते सुना − “दाऊद के वंशज की जय!” तो वे क्रुद्ध हो गए। वे येशु से बोले, “क्‍या तुम सुन रहे हो कि ये क्‍या कह रहे हैं?” येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “हाँ, सुन रहा हूँ। क्‍या तुम लोगों ने धर्मग्रन्‍थ में यह नहीं पढ़ा, ‘बालकों और दुधमुँहे बच्‍चों के मुख से तूने अपना गुणगान कराया’?” तब येशु उन्‍हें छोड़कर नगर के बाहर बेतनियाह गाँव को चले गए और रात वहीं व्‍यतीत की। सबेरे नगर को लौटते समय येशु को भूख लगी। उन्‍होंने मार्ग के किनारे अंजीर का एक पेड़ देखा। वह उसके पास आए। परन्‍तु उन्‍होंने उस में पत्तों को छोड़कर और कुछ नहीं पाया। येशु ने पेड़ से कहा, “अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे।” और उसी क्षण अंजीर का वह पेड़ सूख गया। यह देख कर शिष्‍य अचम्‍भे में पड़ गये और बोले, “अंजीर का यह पेड़ तुरन्‍त कैसे सूख गया है?” येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ : यदि तुम विश्‍वास करो और सन्‍देह न करो, तो तुम न केवल वह करोगे, जो मैंने अंजीर के पेड़ के साथ किया है; परन्‍तु यदि तुम इस पहाड़ से यह कहोगे, ‘उठ और समुद्र में जा गिर’, तो वैसा ही हो जाएगा। और जो कुछ तुम विश्‍वास के साथ प्रार्थना में माँगोगे, वह तुम्‍हें मिल जाएगा।”

मत्ती 21:1-22 Hindi Holy Bible (HHBD)

जब वे यरूशलेम के निकट पहुंचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा। कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, वहां पंहुचते ही एक गदही बन्धी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ। यदि तुम में से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इन का प्रयोजन है: तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा। यह इसलिये हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो; कि सिय्योन की बेटी से कहो, देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है; वरन लादू के बच्चे पर। चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उन से कहा था, वैसा ही किया। और गदही और बच्चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया। और बहुतेरे लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और और लोगों ने पेड़ों से डालियां काट कर मार्ग में बिछाईं। और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना। जब उस ने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई; और लोग कहने लगे, यह कौन है? लोगों ने कहा, यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है॥ यीशु ने परमेश्वर के मन्दिर में जाकर, उन सब को, जो मन्दिर में लेन देन कर रहे थे, निकाल दिया; और सर्राफों के पीढ़े और कबूतरों के बेचने वालों की चौकियां उलट दीं। और उन से कहा, लिखा है, कि मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो। और अन्धे और लंगड़े, मन्दिर में उसके पास लाए, और उस ने उन्हें चंगा किया। परन्तु जब महायाजकों और शास्त्रियों ने इन अद्भुत कामों को, जो उस ने किए, और लड़कों को मन्दिर में दाऊद की सन्तान को होशाना पुकारते हुए देखा, तो क्रोधित होकर उस से कहने लगे, क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं? यीशु ने उन से कहा, हां; क्या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा, कि बालकों और दूध पीते बच्चों के मुंह से तु ने स्तुति सिद्ध कराई? तब वह उन्हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिय्याह को गया, ओर वहां रात बिताई॥ भोर को जब वह नगर को लौट रहा था, तो उसे भूख लगी। और अंजीर का एक पेड़ सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उस में और कुछ न पाकर उस से कहा, अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे; और अंजीर का पेड़ तुरन्त सुख गया। यह देखकर चेलों ने अचम्भा किया, और कहा, यह अंजीर का पेड़ क्योंकर तुरन्त सूख गया? यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं; यदि तुम विश्वास रखो, और सन्देह न करो; तो न केवल यह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है; परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, कि उखड़ जो; और समुद्र में जा पड़, तो यह हो जाएगा। और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा॥

मत्ती 21:1-22 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जब वे यरूशलेम के निकट पहुँचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा, “सामने के गाँव में जाओ। वहाँ पहुँचते ही एक गदही बँधी हुई, और उसके साथ बच्‍चा तुम्हें मिलेगा। उन्हें खोलकर मेरे पास ले आओ। यदि तुम से कोई कुछ कहे, तो कहना कि प्रभु को इनका प्रयोजन है, तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा।” यह इसलिये हुआ कि जो वचन भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो : “सिय्योन की बेटी से कहो, ‘देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है, और गदहे पर बैठा है; वरन् लादू के बच्‍चे पर।”’ चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उनसे कहा था, वैसा ही किया। और गदही और बच्‍चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया। तब बहुत से लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और अन्य लोगों ने पेड़ों से डालियाँ काटकर मार्ग में बिछाईं। जो भीड़ आगे–आगे जाती और पीछे–पीछे चली आती थी, पुकार–पुकार कर कहती थी, “दाऊद के सन्तान को होशाना, धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।” जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई, और लोग कहने लगे, “यह कौन है?” लोगों ने कहा, “यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्‍ता यीशु है।” यीशु ने परमेश्‍वर के मन्दिर में जाकर उन सब को, जो मन्दिर में लेन–देन कर रहे थे, निकाल दिया, और सर्राफों के पीढ़े और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं; और उनसे कहा, “लिखा है, ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा’; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो।” तब अंधे और लंगड़े, मन्दिर में उसके पास आए, और उसने उन्हें चंगा किया। परन्तु जब प्रधान याजकों और शास्त्रियों ने इन अद्भुत कामों को, जो उसने किए, और लड़कों को मन्दिर में ‘दाऊद के सन्तान को होशाना’ पुकारते हुए देखा, तो वे क्रोधित हुए, और उससे कहने लगे, “क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं?” यीशु ने उनसे कहा, “हाँ; क्या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा : ‘बालकों और दूध पीते बच्‍चों के मुँह से तू ने अपार स्तुति कराई?” तब वह उन्हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिय्याह को गया और वहाँ रात बिताई। भोर को जब वह नगर को लौट रहा था तो उसे भूख लगी। सड़क के किनारे अंजीर का एक पेड़ देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उसमें और कुछ न पाकर उससे कहा, “अब से तुझ में फिर कभी फल न लगें।” और अंजीर का पेड़ तुरन्त सूख गया। यह देखकर चेलों को अचम्भा हुआ और उन्होंने कहा, “यह अंजीर का पेड़ तुरन्त कैसे सूख गया?” यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ, यदि तुम विश्‍वास रखो और संदेह न करो, तो न केवल यह करोगे जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है, परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, ‘उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़’, तो यह हो जाएगा। और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्‍वास से माँगोगे वह सब तुम को मिलेगा।”

मत्ती 21:1-22 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जब वे यरूशलेम के निकट पहुँचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा, “अपने सामने के गाँव में जाओ, वहाँ पहुँचते ही एक गदही बंधी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ। यदि तुम से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इनका प्रयोजन है: तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा।” यह इसलिए हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो: “सिय्योन की बेटी से कहो, ‘देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है; वरन् लादू के बच्चे पर।’” चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उनसे कहा था, वैसा ही किया। और गदही और बच्चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया। और बहुत सारे लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और लोगों ने पेड़ों से डालियाँ काटकर मार्ग में बिछाईं। और जो भीड़ आगे-आगे जाती और पीछे-पीछे चली आती थी, पुकार पुकारकर कहती थी, “दाऊद के सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।” जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई; और लोग कहने लगे, “यह कौन है?” लोगों ने कहा, “यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है।” यीशु ने परमेश्वर के मन्दिर में जाकर, उन सब को, जो मन्दिर में लेन-देन कर रहे थे, निकाल दिया; और सर्राफों के मेजें और कबूतरों के बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं। और उनसे कहा, “लिखा है, ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा’; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो।” और अंधे और लँगड़े, मन्दिर में उसके पास आए, और उसने उन्हें चंगा किया। परन्तु जब प्रधान याजकों और शास्त्रियों ने इन अद्भुत कामों को, जो उसने किए, और लड़कों को मन्दिर में दाऊद की सन्तान को होशाना पुकारते हुए देखा, तो क्रोधित हुए, और उससे कहने लगे, “क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं?” यीशु ने उनसे कहा, “हाँ; क्या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा: ‘बालकों और दूध पीते बच्चों के मुँह से तूने स्तुति सिद्ध कराई?’” तब वह उन्हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिय्याह को गया, और वहाँ रात बिताई। भोर को जब वह नगर को लौट रहा था, तो उसे भूख लगी। और अंजीर के पेड़ को सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उसमें और कुछ न पाकर उससे कहा, “अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे।” और अंजीर का पेड़ तुरन्त सूख गया। यह देखकर चेलों ने अचम्भा किया, और कहा, “यह अंजीर का पेड़ तुरन्त कैसे सूख गया?” यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ; यदि तुम विश्वास रखो, और सन्देह न करो; तो न केवल यह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है; परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, कि उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, तो यह हो जाएगा। और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से माँगोगे वह सब तुम को मिलेगा।”

मत्ती 21:1-22 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जब वे येरूशलेम नगर के पास पहुंचे और ज़ैतून पर्वत पर बैथफ़गे नामक स्थान पर आए, येशु ने दो चेलों को इस आज्ञा के साथ आगे भेजा, “सामने गांव में जाओ. वहां पहुंचते ही तुम्हें एक गधी बंधी हुई दिखाई देगी. उसके साथ उसका बच्चा भी होगा. उन्हें खोलकर मेरे पास ले आओ. यदि कोई तुमसे इस विषय में प्रश्न करे तो तुम उसे यह उत्तर देना, ‘प्रभु को इनकी ज़रूरत है.’ वह व्यक्ति तुम्हें आज्ञा दे देगा.” यह घटना भविष्यवक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी: ज़ियोन की बेटी को यह सूचना दो: तुम्हारे पास तुम्हारा राजा आ रहा है; वह नम्र है और वह गधे पर बैठा हुआ है, हां, गधे के बच्‍चे पर, बोझ ढोनेवाले के बच्‍चे पर. शिष्यों ने येशु की आज्ञा का पूरी तरह पालन किया और वे गधी और उसके बच्‍चे को ले आए, उन पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए और येशु उन कपड़ो पर बैठ गए. भीड़ में से अधिकांश ने मार्ग पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए. कुछ अन्यों ने पेड़ों की टहनियां काटकर मार्ग पर बिछा दीं. येशु के आगे-आगे जाती हुई तथा पीछे-पीछे आती हुई भीड़ ये नारे लगा रही थी “दावीद के पुत्र की होशान्‍ना!” “धन्य है, वह जो प्रभु के नाम में आ रहे हैं.” “सबसे ऊंचे स्थान में होशान्‍ना!” जब येशु ने येरूशलेम नगर में प्रवेश किया, पूरे नगर में हलचल मच गई. उनके आश्चर्य का विषय था: “कौन है यह?” भीड़ उन्हें उत्तर दे रही थी, “यही तो हैं वह भविष्यद्वक्ता—गलील के नाज़रेथ के येशु.” येशु ने मंदिर में प्रवेश किया और उन सभी को मंदिर से बाहर निकाल दिया, जो वहां लेनदेन कर रहे थे. साथ ही येशु ने साहूकारों की चौकियां उलट दीं और कबूतर बेचने वालों के आसनों को पलट दिया. येशु ने उन्हें फटकारते हुए कहा, “पवित्र शास्त्र का लेख है: मेरा मंदिर प्रार्थना का घर कहलाएगा किंतु तुम इसे डाकुओं की खोह बना रहे हो.” मंदिर में ही, येशु के पास अंधे और लंगड़े आए और येशु ने उन्हें स्वस्थ किया. जब प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों ने देखा कि येशु ने अद्भुत काम किए हैं और बच्‍चे मंदिर में, “दावीद की संतान की होशान्‍ना” के नारे लगा रहे हैं, तो वे अत्यंत गुस्सा हुए. और येशु से बोले, “तुम सुन रहे हो न, ये बच्‍चे क्या नारे लगा रहे हैं?” येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “हां, क्या आपने पवित्र शास्त्र में कभी नहीं पढ़ा, बालकों और दूध पीते शिशुओं के मुख से आपने अपने लिए अपार स्तुति का प्रबंध किया है?” येशु उन्हें छोड़कर नगर के बाहर चले गए तथा आराम के लिए बैथनियाह नामक गांव में ठहर गए. भोर को जब वह नगर में लौटकर आ रहे थे, उन्हें भूख लगी. मार्ग के किनारे एक अंजीर का पेड़ देखकर वह उसके पास गए किंतु उन्हें उसमें पत्तियों के अलावा कुछ नहीं मिला. इस पर येशु ने उस पेड़ को शाप दिया, “अब से तुझमें कभी कोई फल नहीं लगेगा.” तुरंत ही वह पेड़ मुरझा गया. यह देख शिष्य हैरान रह गए. उन्होंने प्रश्न किया, “अंजीर का यह पेड़ तुरंत ही कैसे मुरझा गया?” येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम इस सच्चाई को समझ लो: यदि तुम्हें विश्वास हो—संदेह तनिक भी न हो—तो तुम न केवल वह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ के साथ किया गया परंतु तुम यदि इस पर्वत को भी आज्ञा दोगे, ‘उखड़ जा और समुद्र में जा गिर!’ तो यह भी हो जाएगा. प्रार्थना में विश्वास से तुम जो भी विनती करोगे, तुम उसे प्राप्‍त करोगे.”

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