लूकस 7:36-44

लूकस 7:36-44 पवित्र बाइबल (HERV)

एक फ़रीसी ने अपने साथ खाने पर उसे निमंत्रित किया। सो वह फ़रीसी के घर गया और उसके यहाँ भोजन करने बैठा। वहीं नगर में उन दिनों एक पापी स्त्री थी, उसे जब यह पता लगा कि वह एक फ़रीसी के घर भोजन कर रहा है तो वह संगमरमर के एक पात्र में इत्र लेकर आयी। वह उसके पीछे उसके चरणों में खड़ी थी। वह रो रही थी। अपने आँसुओं से वह उसके पैर भिगोने लगी। फिर उसने पैरों को अपने बालों से पोंछा और चरणों को चूम कर उस पर इत्र उँड़ेल दिया। उस फ़रीसी ने जिसने यीशु को अपने घर बुलाया था, यह देखकर मन ही मन सोचा, “यदि यह मनुष्य नबी होता तो जान जाता कि उसे छूने वाली यह स्त्री कौन है और कैसी है? वह जान जाता कि यह तो पापिन है।” उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “शमौन, मुझे तुझ से कुछ कहना है।” वह बोला, “गुरु, कह।” यीशु ने कहा, “किसी साहूकार के दो कर्ज़दार थे। एक पर उसके पाँच सौ चाँदी के सिक्के निकलते थे और दूसरे पर पचास। क्योंकि वे कर्ज़ नहीं लौटा पाये थे इसलिये उसने दया पूर्वक दोनों के कर्ज़ माफ़ कर दिये। अब बता दोनों में से उसे अधिक प्रेम कौन करेगा?” शमौन ने उत्तर दिया, “मेरा विचार है, वही जिसका उसने अधिक कर्ज़ छोड़ दिया।” यीशु ने कहा, “तूने उचित न्याय किया।” फिर उस स्त्री की तरफ़ मुड़ कर वह शमौन से बोला, “तू इस स्त्री को देख रहा है? मैं तेरे घर में आया, तूने मेरे पैर धोने को मुझे जल नहीं दिया किन्तु इसने मेरे पैर आँसुओं से तर कर दिये। और फिर उन्हें अपने बालों से पोंछा।

लूकस 7:36-44 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

किसी फ़रीसी ने येशु को अपने साथ भोजन करने के लिए निमन्‍त्रण दिया। वह उस फरीसी के घर गए और भोजन करने के लिए आसन ग्रहण किया। नगर की एक पापिनी स्‍त्री को यह पता चला कि येशु उस फरीसी के यहाँ भोजन कर रहे हैं। वह संगमरमर के पात्र में इत्र ले कर आयी और रोती हुई येशु के पीछे उन के चरणों के पास खड़ी हो गयी। वह अपने आँसुओं से येशु के चरण धोने, और अपने केशों से उन्‍हें पोंछने लगी। वह बार-बार उनके चरणों को चूमती और उन पर इत्र लगा रही थी। जिस फरीसी ने येशु को निमन्‍त्रण दिया था, उसने यह देख कर मन-ही-मन कहा, “यदि यह आदमी नबी होता, तो अवश्‍य जान जाता कि जो स्‍त्री इसे छू रही है, वह कौन और कैसी है−वह तो पापिनी है।” इस पर येशु ने उससे कहा, “शिमोन, मुझे तुम से कुछ कहना है।” उसने उत्तर दिया, “गुरुवर! कहिए।” येशु ने कहा, “किसी महाजन के दो कर्ज़दार थे। एक पाँच सौ सिक्‍कों का ऋणी था और दूसरा, पचास का। उनके पास कर्ज चुकाने के लिए कुछ नहीं था; इसलिए महाजन ने दोनों को माफ कर दिया। उन दोनों में कौन उससे अधिक प्रेम करेगा?” शिमोन ने उत्तर दिया, “मेरी समझ में तो वही, जिसका अधिक ऋण माफ हुआ।” येशु ने उससे कहा, “तुम्‍हारा निष्‍कर्ष ठीक है।” तब उन्‍होंने उस स्‍त्री की ओर मुड़ कर शिमोन से कहा, “इस स्‍त्री को देखते हो? मैं तुम्‍हारे घर आया। तुमने मुझे पैर धोने के लिए पानी नहीं दिया; पर इसने मेरे पैर अपने आँसुओं से धोये और अपने केशों से उनको पोंछा।

लूकस 7:36-44 Hindi Holy Bible (HHBD)

फिर किसी फरीसी ने उस से बिनती की, कि मेरे साथ भोजन कर; सो वह उस फरीसी के घर में जाकर भोजन करने बैठा। और देखो, उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई। और उसके पांवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई, उसके पांवों को आंसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पांव बारबार चूमकर उन पर इत्र मला। यह देखकर, वह फरीसी जिस ने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान लेता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है? क्योंकि वह तो पापिनी है। यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में कहा; कि हे शमौन मुझे तुझ से कुछ कहना है वह बोला, हे गुरू कह। किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पांच सौ, और दूसरा पचास दीनार धारता था। जब कि उन के पास पटाने को कुछ न रहा, तो उस ने दोनो को क्षमा कर दिया: सो उन में से कौन उस से अधिक प्रेम रखेगा। शमौन ने उत्तर दिया, मेरी समझ में वह, जिस का उस ने अधिक छोड़ दिया: उस ने उस से कहा, तू ने ठीक विचार किया है। और उस स्त्री की ओर फिरकर उस ने शमौन से कहा; क्या तू इस स्त्री को देखता है मैं तेरे घर में आया परन्तु तू ने मेरे पांव धाने के लिये पानी न दिया, पर इस ने मेरे पांव आंसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा!

लूकस 7:36-44 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

फिर किसी फरीसी ने उससे विनती की कि वह उसके साथ भोजन करे, अत: वह उस फरीसी के घर में जाकर भोजन करने बैठा। उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई,* और उसके पाँवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई उसके पाँवों को आँसुओं से भिगोने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी, और उसके पाँव बार–बार चूमकर उन पर इत्र मला। यह देखकर वह फरीसी जिसने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, “यदि यह भविष्यद्वक्‍ता होता तो जान जाता कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है, क्योंकि वह तो पापिनी है।” यीशु ने उसके उत्तर में कहा, “हे शमौन, मुझे तुझ से कुछ कहना है।” वह बोला, “हे गुरु, कह।” “किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पाँच सौ और दूसरा पचास दीनार का देनदार था। जब उनके पास पटाने को कुछ न रहा, तो उसने दोनों को क्षमा कर दिया। इसलिये उनमें से कौन उससे अधिक प्रेम रखेगा?” शमौन ने उत्तर दिया, “मेरी समझ में वह, जिसका उसने अधिक छोड़ दिया।” उसने उससे कहा, “तू ने ठीक विचार किया है।” और उस स्त्री की ओर फिरकर उसने शमौन से कहा, “क्या तू इस स्त्री को देखता है? मैं तेरे घर में आया परन्तु तू ने मेरे पाँव धोने के लिये पानी न दिया, पर इसने मेरे पाँव आँसुओं से भिगोए और अपने बालों से पोंछा।

लूकस 7:36-44 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

फिर किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे साथ भोजन कर; अतः वह उस फरीसी के घर में जाकर भोजन करने बैठा। वहाँ उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई। और उसके पाँवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई, उसके पाँवों को आँसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पाँव बार बार चूमकर उन पर इत्र मला। यह देखकर, वह फरीसी जिसने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, “यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान जाता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है? क्योंकि वह तो पापिन है।” यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में कहा, “हे शमौन, मुझे तुझ से कुछ कहना है।” वह बोला, “हे गुरु, कह।” “किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पाँच सौ, और दूसरा पचास दीनार देनदार था। जबकि उनके पास वापस लौटाने को कुछ न रहा, तो उसने दोनों को क्षमा कर दिया। अतः उनमें से कौन उससे अधिक प्रेम रखेगा?” शमौन ने उत्तर दिया, “मेरी समझ में वह, जिसका उसने अधिक छोड़ दिया।” उसने उससे कहा, “तूने ठीक विचार किया है।” और उस स्त्री की ओर फिरकर उसने शमौन से कहा, “क्या तू इस स्त्री को देखता है? मैं तेरे घर में आया परन्तु तूने मेरे पाँव धोने के लिये पानी न दिया, पर इसने मेरे पाँव आँसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा।” (उत्प. 18:4)

लूकस 7:36-44 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

एक फ़रीसी ने प्रभु येशु को भोज पर आमंत्रित किया. प्रभु येशु आमंत्रण स्वीकार कर वहां गए और भोजन के लिए बैठ गए. नगर की एक पापिन स्त्री, यह मालूम होने पर कि प्रभु येशु वहां आमंत्रित हैं, संगमरमर के बर्तन में इत्र लेकर आई और उनके चरणों के पास रोती हुई खड़ी हो गई. उसके आंसुओं से उनके पांव भीगने लगे. तब उसने प्रभु के पावों को अपने बालों से पोंछा, उनके पावों को चूमा तथा उस इत्र को उनके पावों पर उंडेल दिया. जब उस फ़रीसी ने, जिसने प्रभु येशु को आमंत्रित किया था, यह देखा तो मन में विचार करने लगा, “यदि यह व्यक्ति वास्तव में भविष्यवक्ता होता तो अवश्य जान जाता कि जो स्त्री उसे छू रही है, वह कौन है—एक पापी स्त्री!” प्रभु येशु ने उस फ़रीसी को कहा, “शिमओन, मुझे तुमसे कुछ कहना है.” “कहिए, गुरुवर,” उसने कहा. प्रभु येशु ने कहा, “एक साहूकार के दो कर्ज़दार थे—एक पांच सौ दीनार का तथा दूसरा पचास का. दोनों ही कर्ज़ चुकाने में असमर्थ थे इसलिये उस साहूकार ने दोनों ही के कर्ज़ क्षमा कर दिए. यह बताओ, दोनों में से कौन उस साहूकार से अधिक प्रेम करेगा?” शिमओन ने उत्तर दिया, “मेरे विचार से वह, जिसकी बड़ी राशि क्षमा की गई.” “तुमने सही उत्तर दिया,” प्रभु येशु ने कहा. तब उस स्त्री से उन्मुख होकर प्रभु येशु ने शिमओन से कहा, “इस स्त्री की ओर देखो. मैं तुम्हारे घर आया, तुमने तो मुझे पांव धोने के लिए भी जल न दिया किंतु इसने अपने आंसुओं से मेरे पांव भिगो दिए और अपने केशों से उन्हें पोंछ दिया.

YouVersion आपके अनुभव को वैयक्तिकृत करने के लिए कुकीज़ का उपयोग करता है। हमारी वेबसाइट का उपयोग करके, आप हमारी गोपनीयता नीति में वर्णित कुकीज़ के हमारे उपयोग को स्वीकार करते हैं।