अय्यूब 36:26-29
अय्यूब 36:26-29 पवित्र बाइबल (HERV)
यह सच है कि परमेश्वर महान है। उस की महिमा को हम नहीं समझ सकते हैं। परमेश्वर के वर्षो की संख्या को कोई गिन नहीं सकता। “परमेश्वर जल को धरती से उपर उठाता है, और उसे वर्षा के रूप में बदल देता है। परमेश्वर बादलों से जल बरसाता है, और भरपूर वर्षा लोगों पर गितरी हैं। कोई भी व्यक्ति नहीं समझ सकता कि परमेश्वर कैसे बादलों को बिखराता है, और कैसे बिजलियाँ आकाश में कड़कती हैं।
अय्यूब 36:26-29 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
‘देखो, परमेश्वर महान है, और हम उसको जान नहीं पाते हैं। उसकी आयु के वर्ष अनन्त हैं। वह जल की बूंदे ऊपर खींचता है, और कुहरे के रूप में वर्षा करता है। मेघ उनको उण्डेलते हैं, और मनुष्यों पर उनको बरसाते हैं। क्या कोई व्यक्ति मेघों के विस्तार का अनुभव कर सकता है? क्या कोई मनुष्य परमेश्वर के निवास- स्थान में मेघ-गर्जन को समझ सकता है?
अय्यूब 36:26-29 Hindi Holy Bible (HHBD)
देख, ईश्वर महान और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है। क्योंकि वह तो जल की बूंदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह हो कर टपकती हैं, वे ऊंचे ऊंचे बादल उंडेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मण्डल में का गरजना समझ सकता है?
अय्यूब 36:26-29 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
देख, परमेश्वर महान् और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है। क्योंकि वह तो जल की बूंदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह होकर टपकती हैं, वे ऊँचे ऊँचे बादल उँडेलते हैं, और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मण्डल में का गरजना समझ सकता है?
अय्यूब 36:26-29 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
देख, परमेश्वर महान और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है। क्योंकि वह तो जल की बूँदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह होकर टपकती हैं, वे ऊँचे-ऊँचे बादल उण्डेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मण्डल में का गरजना समझ सकता है?
अय्यूब 36:26-29 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
ध्यान दीजिए परमेश्वर महान हैं, उन्हें पूरी तरह समझ पाना हमारे लिए असंभव है! उनकी आयु के वर्षों की संख्या मालूम करना असंभव है. “क्योंकि वह जल की बूंदों को अस्तित्व में लाते हैं, ये बूंदें बादलों से वृष्टि बनकर टपकती हैं; मेघ यही वृष्टि उण्डेलते जाते हैं, बहुतायत से यह मनुष्यों पर बरसती हैं. क्या किसी में यह क्षमता है, कि मेघों को फैलाने की बात को समझ सके, परमेश्वर के मंडप की बिजलियां को समझ ले?