योहन 11:1-46

योहन 11:1-46 पवित्र बाइबल (HERV)

बैतनिय्याह का लाज़र नाम का एक व्यक्ति बीमार था। यह वह नगर था जहाँ मरियम और उसकी बहन मारथा रहती थीं। (मरियम वह स्त्री थी जिसने प्रभु पर इत्र डाला था और अपने सिर के बालों से प्रभु के पैर पोंछे थे।) लाज़र नाम का रोगी उसी का भाई था। इन बहनों ने यीशु के पास समाचार भेजा, “हे प्रभु, जिसे तू प्यार करता है, वह बीमार है।” यीशु ने जब यह सुना तो वह बोला, “यह बीमारी जान लेवा नहीं है। बल्कि परमेश्वर की महिमा को प्रकट करने के लिये है। जिससे परमेश्वर के पुत्र को महिमा प्राप्त होगी।” यीशु, मारथा, उसकी बहन और लाज़र को प्यार करता था। इसलिए जब उसने सुना कि लाज़र बीमार हो गया है तो जहाँ वह ठहरा था, दो दिन और रुका। फिर यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा, “आओ हम यहूदिया लौट चलें।” इस पर उसके अनुयायियों ने उससे कहा, “हे रब्बी, कुछ ही दिन पहले यहूदी नेता तुझ पर पथराव करने का यत्न कर रहे थे और तू फिर वहीं जा रहा है।” यीशु ने उत्तर दिया, “क्या एक दिन में बारह घंटे नहीं होते हैं। यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रकाश में चले तो वह ठोकर नहीं खाता क्योंकि वह इस जगत के प्रकाश को देखता है। पर यदि कोई रात में चले तो वह ठोकर खाता है क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं है।” उसने यह कहा और फिर उसने बोला, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है पर मैं उसे जगाने जा रहा हूँ।” फिर उसके शिष्यों ने उससे कहा, “हे प्रभु, यदि उसे नींद आ गयी है तो वह अच्छा हो जायेगा।” यीशु लाज़र की मौत के बारे में कह रहा था पर शिष्यों ने सोचा कि वह स्वाभाविक नींद की बात कर रहा था। इसलिये फिर यीशु ने उनसे स्पष्ट कहा, “लाज़र मर चुका है। मैं तुम्हारे लिये प्रसन्न हूँ कि मैं वहाँ नहीं था। क्योंकि अब तुम मुझमें विश्वास कर सकोगे। आओ अब हम उसके पास चलें।” फिर थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता था, दूसरे शिष्यों से कहा, “आओ हम भी प्रभु के साथ वहाँ चलें ताकि हम भी उसके साथ मर सकें।” इस तरह यीशु चल दिया और वहाँ जाकर उसने पाया कि लाज़र को कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। बैतनिय्याह यरूशलेम से लगभग तीन किलोमीटर दूर था। भाई की मृत्यु पर मारथा और मरियम को सांत्वना देने के लिये बहुत से यहूदी नेता आये थे। जब मारथा ने सुना कि यीशु आया है तो वह उससे मिलने गयी। जबकि मरियम घर में ही रही। वहाँ जाकर मारथा ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई मरता नहीं। पर मैं जानती हूँ कि अब भी तू परमेश्वर से जो कुछ माँगेगा वह तुझे देगा।” यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई जी उठेगा।” मारथा ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि पुनरुत्थान के अन्तिम दिन वह जी उठेगा।” यीशु ने उससे कहा, “मैं ही पुनरुत्थान हूँ और मैं ही जीवन हूँ। वह जो मुझमें विश्वास करता है जियेगा। और हर वह, जो जीवित है और मुझमें विश्वास रखता है, कभी नहीं मरेगा। क्या तू यह विश्वास रखती है।” वह यीशु से बोली, “हाँ प्रभु, मैं विश्वास करती हूँ कि तू मसीह है, परमेश्वर का पुत्र जो जगत में आने वाला था।” फिर इतना कह कर वह वहाँ से चली गयी और अपनी बहन को अकेले में बुलाकर बोली, “गुरू यहीं है, वह तुझे बुला रहा है।” जब मरियम ने यह सुना तो वह तत्काल उठकर उससे मिलने चल दी। यीशु अभी तक गाँव में नहीं आया था। वह अभी भी उसी स्थान पर था जहाँ उसे मारथा मिली थी। फिर जो यहूदी घर पर उसे सांत्वना दे रहे थे, जब उन्होंने देखा कि मरियम उठकर झटपट चल दी तो वे यह सोच कर कि वह कब्र पर विलाप करने जा रही है, उसके पीछे हो लिये। मरियम जब वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था तो यीशु को देखकर उसके चरणों में गिर पड़ी और बोली, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई मरता नहीं।” यीशु ने जब उसे और उसके साथ आये यहूदियों को रोते बिलखते देखा तो उसकी आत्मा तड़प उठी। वह बहुत व्याकुल हुआ। और बोला, “तुमने उसे कहाँ रखा है?” वे उससे बोले, “प्रभु, आ और देख।” यीशु फूट-फूट कर रोने लगा। इस पर यहूदी कहने लगे, “देखो! यह लाज़र को कितना प्यार करता है।” मगर उनमें से कुछ ने कहा, “यह व्यक्ति जिसने अंधे को आँखें दीं, क्या लाज़र को भी मरने से नहीं बचा सकता?” तब यीशु अपने मन में एक बार फिर बहुत अधिक व्याकुल हुआ और कब्र की तरफ गया। यह एक गुफा थी और उसका द्वार एक चट्टान से ढका हुआ था। यीशु ने कहा, “इस चट्टान को हटाओ।” मृतक की बहन मारथा ने कहा, “हे प्रभु, अब तक तो वहाँ से दुर्गन्ध आ रही होगी क्योंकि उसे दफनाए चार दिन हो चुके हैं।” यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझसे नहीं कहा कि यदि तू विश्वास करेगी तो परमेश्वर की महिमा का दर्शन पायेगी।” तब उन्होंने उस चट्टान को हटा दिया। और यीशु ने अपनी आँखें ऊपर उठाते हुए कहा, “परम पिता मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ क्योंकि तूने मेरी सुन ली है। मैं जानता हूँ कि तू सदा मेरी सुनता है किन्तु चारों ओर इकट्ठी भीड़ के लिये मैंने यह कहा है जिससे वे यह मान सकें कि मुझे तूने भेजा है।” यह कहने के बाद उसने ऊँचे स्वर में पुकारा, “लाज़र, बाहर आ!” वह व्यक्ति जो मर चुका था बाहर निकल आया। उसके हाथ पैर अभी भी कफ़न में बँधे थे। उसका मुँह कपड़े में लिपटा हुआ था। यीशु ने लोगों से कहा, “इसे खोल दो और जाने दो।” इसके बाद मरियम के साथ आये यहूदियों में से बहुतों ने यीशु के इस कार्य को देखकर उस पर विश्वास किया। किन्तु उनमें से कुछ फरीसियों के पास गये और जो कुछ यीशु ने किया था, उन्हें बताया।

योहन 11:1-46 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

लाजर नामक एक व्यक्‍ति बीमार पड़ गया। वह मरियम और उसकी बहिन मार्था के गाँव बेतनियाह का निवासी था। यह वही मरियम थी, जिसने इत्र से प्रभु का अभ्‍यंजन किया और अपने केशों से उनके चरण पोंछे थे। उसका भाई लाजर बीमार था। दोनों बहिनों ने येशु को समाचार भेजा, “प्रभु! देखिए, जिसे आप प्‍यार करते हैं, वह बीमार है।” येशु ने यह सुन कर कहा, “इस बीमारी का अन्‍त मृत्‍यु नहीं, बल्‍कि यह परमेश्‍वर की महिमा के लिए है। इसके द्वारा परमेश्‍वर का पुत्र महिमान्‍वित होगा।” येशु मार्था, उसकी बहिन मरियम और लाजर से प्रेम करते थे। यह सुन कर कि लाजर बीमार है, वह जहाँ थे, वहाँ और दो दिन ठहर गये; किन्‍तु इसके बाद उन्‍होंने अपने शिष्‍यों से कहा, “आओ! हम फिर यहूदा प्रदेश को चलें।” शिष्‍य बोले, “गुरुवर! कुछ ही दिन पहले वहाँ के लोग आप को पत्‍थरों से मार डालना चाहते थे और आप फिर वहीं जा रहे हैं?” येशु ने उत्तर दिया, “क्‍या दिन के बारह घण्‍टे नहीं होते? जो दिन में चलते हैं, वे ठोकर नहीं खाते, क्‍योंकि वे इस संसार के प्रकाश को देखते हैं। परन्‍तु जो रात में चलते हैं, वे ठोकर खाते हैं, क्‍योंकि उनमें प्रकाश नहीं होता।” इतना कहने के बाद वह फिर उन से बोले, “हमारा मित्र लाजर सो गया है। किन्‍तु मैं उसे नींद से जगाने जा रहा हूँ।” शिष्‍यों ने कहा, “प्रभु! यदि वह सो रहा है, तो स्‍वस्‍थ हो जाएगा।” येशु ने यह उसकी मृत्‍यु के विषय में कहा था, लेकिन उनके शिष्‍यों ने समझा कि वह नींद के विश्राम के विषय में कह रहे हैं। इसलिए येशु ने उन से स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा, “लाजर मर गया है, और मैं तुम्‍हारे कारण प्रसन्न हूँ कि मैं वहाँ नहीं था, जिससे तुम लोग विश्‍वास कर सको। आओ, हम उसके पास चलें।” इस पर थोमस ने, जो दिदिमुस कहलाता था, अपने सहशिष्‍यों से कहा, “आओ, हम भी इनके साथ मरने को चलें।” वहाँ पहुँचने पर येशु को पता चला कि लाजर को कबर में दफनाए चार दिन हो चुके हैं। बेतनियाह यरूशलेम के समीप, लगभग तीन किलोमीटर दूर था। इसलिए भाई की मृत्‍यु पर संवेदना प्रकट करने के लिए यहूदा प्रदेश के बहुत-से लोग मार्था और मरियम से मिलने आए थे। ज्‍यों ही मार्था ने यह सुना कि येशु आ रहे हैं, वह उन से मिलने गयी। किन्‍तु मरियम घर में ही बैठी रही। मार्था ने येशु से कहा, “प्रभु! यदि आप यहाँ होते, तो मेरा भाई नहीं मरता। और मैं जानती हूँ कि आप अब भी परमेश्‍वर से जो कुछ मागेंगे, परमेश्‍वर आप को वही प्रदान करेगा।” येशु ने उस से कहा, “तुम्‍हारा भाई फिर जी उठेगा।” मार्था ने उत्तर दिया, “मैं जानती हूँ कि वह अन्‍तिम दिन पुनरुत्‍थान के समय फिर जी उठेगा”। येशु ने कहा, “पुनरुत्‍थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्‍वास करता है, वह मरने पर भी जीवित रहेगा और जो जीवित है, तथा मुझ में विश्‍वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा। क्‍या तुम इस बात पर विश्‍वास करती हो?” उसने उत्तर दिया, “हाँ, प्रभु! मैं विश्‍वास करती हूँ कि आप ही मसीह, परमेश्‍वर के पुत्र हैं, जो संसार में आने वाले थे।” वह यह कह कर चली गयी और अपनी बहिन मरियम को बुला कर उसने चुपके से उससे कहा, “गुरुवर यहाँ हैं और तुम को बुला रहे हैं।” यह सुनते ही वह उठ खड़ी हुई और येशु से मिलने गयी। येशु अब तक गाँव नहीं पहुँचे थे। वह उसी स्‍थान पर थे, जहाँ मार्था उन से मिली थी। जो लोग संवेदना प्रकट करने के लिए मरियम के साथ घर में थे, वे यह देख कर कि वह अचानक उठ कर बाहर चली गयी, उसके पीछे हो लिये; क्‍योंकि उन्‍होंने समझा कि वह कबर पर रोने जा रही है। मरियम उस जगह पहुँची, जहाँ येशु थे। उन्‍हें देखते ही वह उनके चरणों पर गिर पड़ी और बोली, “प्रभु! यदि आप यहाँ होते, तो मेरा भाई नहीं मरता।” येशु, उसे और उसके साथ आए हुए लोगों को रोते देख कर, बहुत व्‍याकुल हो उठे और गहरी साँस ले कर बोले, “तुम लोगों ने उसे कहाँ रखा है?” उन्‍होंने कहा, “प्रभु! आइए और देखिए।” येशु रो पड़े। इस पर लोगों ने कहा, देखो! यह उसे कितना प्‍यार करते थे”; किन्‍तु उनमें से कुछ बोले, “इन्‍होंने तो अन्‍धे की आँखें खोलीं। क्‍या वह इतना नहीं कर सके कि यह मनुष्‍य नहीं मरता?” येशु ने फिर गहरी साँस ली और कबर पर आए। वह कबर एक गुफा थी, जिसके मुँह पर पत्‍थर रखा हुआ था। येशु ने कहा, “पत्‍थर हटा दो।” मृतक की बहिन मार्था ने उन से कहा, “प्रभु! अब उसमें से दुर्गन्‍ध आती होगी; क्‍योंकि उसे मरे चार दिन हो चुके हैं।” येशु ने उसे उत्तर दिया, “क्‍या मैंने तुम से यह नहीं कहा कि यदि तुम विश्‍वास करोगी, तो परमेश्‍वर की महिमा देखोगी?” इस पर लोगों ने पत्‍थर हटा दिया। येशु ने आँखें ऊपर उठा कर कहा, “पिता! मैं तुझे धन्‍यवाद देता हूँ; तूने मेरी प्रार्थना सुन ली है। मैं जानता था कि तू सदा मेरी प्रार्थना सुनता है। किन्‍तु मैंने आसपास खड़े लोगों के कारण ऐसा कहा है, जिससे वे विश्‍वास करें कि तूने मुझे भेजा है।” यह कह कर येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकारा, “लाजर! बाहर निकल आओ!” मृतक बाहर निकल आया। उसके हाथ और पैर पट्टियों से बंधे हुए थे और उसके मुख पर अंगोछा लपेटा हुआ था। येशु ने लोगों से कहा, “इसके बन्‍धन खोल दो और इसे जाने दो।” जो लोग मरियम से मिलने आए थे और जिन्‍होंने येशु का यह कार्य देखा, उनमें से बहुतों ने येशु में विश्‍वास किया। परन्‍तु उनमें से कुछ व्यक्‍तियों ने फरीसियों के पास जा कर बताया कि येशु ने क्‍या किया है।

योहन 11:1-46 Hindi Holy Bible (HHBD)

मरियम और उस की बहिन मारथा के गांव बैतनिय्याह का लाजर नाम एक मनुष्य बीमार था। यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पांवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाजर बीमार था। सो उस की बहिनों ने उसे कहला भेजा, कि हे प्रभु, देख, जिस से तू प्रीति रखता है, वह बीमार है। यह सुनकर यीशु ने कहा, यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो। और यीशु मारथा और उस की बहन और लाजर से प्रेम रखता था। सो जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया। फिर इस के बाद उस ने चेलों से कहा, कि आओ, हम फिर यहूदिया को चलें। चेलों ने उस से कहा, हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है? यीशु ने उत्तर दिया, क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता है, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है। परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उस में प्रकाश नहीं। उस ने ये बातें कहीं, और इस के बाद उन से कहने लगा, कि हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूं। तब चेलों ने उस से कहा, हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा। यीशु ने तो उस की मृत्यु के विषय में कहा था: परन्तु वे समझे कि उस ने नींद से सो जाने के विषय में कहा। तब यीशु ने उन से साफ कह दिया, कि लाजर मर गया है। और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूं कि मैं वहां न था जिस से तुम विश्वास करो, परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें। तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें। सो यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था। और बहुत से यहूदी मारथा और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे। सो मारथा यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही। मारथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा। यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा। मारथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा। यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है? उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है। यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है। वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई। (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।) तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये। जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता। जब यीशु न उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले। यीशु के आंसू बहने लगे। तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था। परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिस ने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था। यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए। यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी। तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है। और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है। यह कहकर उस ने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ। जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ तें यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो॥ तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया। परन्तु उन में से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया॥

योहन 11:1-46 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

मरियम और उसकी बहिन मार्था के गाँव बैतनिय्याह का लाज़र नामक एक मनुष्य बीमार था। यह वही मरियम थी जिसने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाज़र बीमार था। अत: उसकी बहिनों ने उसे कहला भेजा, “हे प्रभु, देख, जिससे तू प्रीति रखता है, वह बीमार है।” यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परन्तु परमेश्‍वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्‍वर के पुत्र की महिमा हो।” यीशु मार्था और उसकी बहिन और लाज़र से प्रेम रखता था। फिर भी जब उसने सुना कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया। इसके बाद उसने चेलों से कहा, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।” चेलों ने उस से कहा, “हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझ पर पथराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?” यीशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन में चले तो ठोकर नहीं खाता, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है। परन्तु यदि कोई रात में चले तो ठोकर खाता है, क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं।” उसने ये बातें कहीं, और इसके बाद उनसे कहने लगा, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।” तब चेलों ने उस से कहा, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो स्वस्थ हो जाएगा।” यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था, परन्तु वे समझे कि उसने नींद से सो जाने के विषय में कहा। तब यीशु ने उनसे साफ साफ कह दिया, “लाज़र मर गया है; और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्‍वास करो। परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।” तब थोमा ने जो दिद्‍मुस कहलाता है, अपने साथी चेलों से कहा, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।” वहाँ पहुँचने पर यीशु को यह मालूम हुआ कि लाज़र को कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था। बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई की मृत्यु पर शान्ति देने के लिये आए थे। जब मार्था ने यीशु के आने का समाचार सुना तो उससे भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही। मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। और अब भी मैं जानती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्‍वर से माँगेगा, परमेश्‍वर तुझे देगा।” यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई फिर जी उठेगा।” मार्था ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझ पर विश्‍वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा, और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्‍वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्‍वास करती है?” उसने उससे कहा, “हाँ हे प्रभु, मैं विश्‍वास करती हूँ कि परमेश्‍वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।” यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को बुलाकर चुपके से कहा, “गुरु यहीं है और तुझे बुलाता है।” यह सुनते ही वह तुरन्त उठकर उसके पास आई। यीशु अभी गाँव में नहीं पहुँचा था परन्तु उसी स्थान में था जहाँ मार्था ने उस से भेंट की थी। तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठ के बाहर गई है यह समझे कि वह कब्र पर रोने को जाती है, तो उसके पीछे हो लिये। जब मरियम वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पाँवों पर गिर पड़ी और कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” जब यीशु ने उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे, रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ, और कहा, “तुम ने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, “हे प्रभु, चलकर देख ले।” यीशु रोया। तब यहूदी कहने लगे, “देखो, वह उससे कितना प्रेम रखता था।” परन्तु उनमें से कुछ ने कहा, “क्या यह जिसने अंधे की आँखें खोलीं, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?” यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया। वह एक गुफा थी और एक पत्थर उस पर रखा था। यीशु ने कहा, “पत्थर हटाओ।” उस मरे हुए की बहिन मार्था उससे कहने लगी, “हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गंध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो चुके हैं।” यीशु ने उससे कहा, “क्या मैं ने तुझ से नहीं कहा था कि यदि तू विश्‍वास करेगी, तो परमेश्‍वर की महिमा को देखेगी।” तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया। यीशु ने आँखें उठाकर कहा, “हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तू ने मेरी सुन ली है। मैं जानता था कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उनके कारण मैं ने यह कहा, जिससे कि वे विश्‍वास करें कि तू ने मुझे भेजा है।” यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाज़र, निकल आ!” जो मर गया था वह कफन से हाथ पाँव बँधे हुए निकल आया, और उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उनसे कहा, “उसे खोल दो और जाने दो।” तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्‍वास किया। परन्तु उनमें से कुछ ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया।

योहन 11:1-46 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

मरियम और उसकी बहन मार्था के गाँव बैतनिय्याह का लाज़र नामक एक मनुष्य बीमार था। यह वही मरियम थी जिसने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाज़र बीमार था। तब उसकी बहनों ने उसे कहला भेजा, “हे प्रभु, देख, जिससे तू प्यार करता है, वह बीमार है।” यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।” और यीशु मार्था और उसकी बहन और लाज़र से प्रेम रखता था। जब उसने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया। फिर इसके बाद उसने चेलों से कहा, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।” चेलों ने उससे कहा, “हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पथराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?” यीशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है। परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं।” उसने ये बातें कहीं, और इसके बाद उनसे कहने लगा, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।” तब चेलों ने उससे कहा, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा।” यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था: परन्तु वे समझे कि उसने नींद से सो जाने के विषय में कहा। तब यीशु ने उनसे साफ कह दिया, “लाज़र मर गया है। और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो। परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।” तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।” फिर यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था। और बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे। जब मार्था यीशु के आने का समाचार सुनकर उससे भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही। मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। और अब भी मैं जानती हूँ, कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।” यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई जी उठेगा।” मार्था ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ, अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” (प्रेरि. 24:15) यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा। और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” उसने उससे कहा, “हाँ, हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूँ, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।” यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, “गुरु यहीं है, और तुझे बुलाता है।” वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई। (यीशु अभी गाँव में नहीं पहुँचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहाँ मार्था ने उससे भेंट की थी।) तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठकर बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये। जब मरियम वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पाँवों पर गिरकर कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” जब यीशु ने उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ, और कहा, “तुम ने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, “हे प्रभु, चलकर देख ले।” यीशु रोया। तब यहूदी कहने लगे, “देखो, वह उससे कैसा प्यार करता था।” परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “क्या यह जिसने अंधे की आँखें खोलीं, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?” यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था। यीशु ने कहा, “पत्थर को उठाओ।” उस मरे हुए की बहन मार्था उससे कहने लगी, “हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गन्ध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।” यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।” तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आँखें उठाकर कहा, “हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुन ली है। और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस-पास खड़ी है, उनके कारण मैंने यह कहा, जिससे कि वे विश्वास करें, कि तूने मुझे भेजा है।” यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाज़र, निकल आ!” जो मर गया था, वह कफन से हाथ पाँव बंधे हुए निकल आया और उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उनसे कहा, “उसे खोलकर जाने दो।” तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया। परन्तु उनमें से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया।

योहन 11:1-46 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

लाज़रॉस नामक व्यक्ति बीमार था, जो मरियम तथा उसकी बहन मार्था के गांव बैथनियाह का निवासी था. यह वही मरियम थी, जिसने कीमती और शुद्ध सुगंध द्रव्य से मसीह येशु के चरणों को मलकर उन्हें अपने केशों से पोंछा था, उसी का भाई लाज़रॉस अस्वस्थ था. इसलिये बहनों ने मसीह येशु को संदेश भेजा, “प्रभु, आपका प्रिय, लाज़रॉस बीमार है.” यह सुनकर मसीह येशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परंतु परमेश्वर की महिमा का साधन बनेगी, जिससे परमेश्वर का पुत्र गौरवान्वित हो.” मार्था, उसकी बहन मरियम और लाज़रॉस मसीह येशु के प्रियजन थे. उसकी बीमारी के विषय में मालूम होने पर भी मसीह येशु वहीं दो दिन और ठहरे रहे, जहां वह थे. इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “चलो, हम दोबारा यहूदिया चलें.” शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “रब्बी, अभी तो यहूदी अगुए पथराव द्वारा आपकी हत्या करना चाह रहे थे, फिर भी आप वहां जाना चाहते हैं?” मसीह येशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन में प्रकाश के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन में चले तो वह ठोकर नहीं खाता क्योंकि वह संसार की ज्योति को देखता है. किंतु यदि कोई रात में चले तो ठोकर खाता है क्योंकि उसमें ज्योति नहीं.” इसके बाद मसीह येशु ने उनसे कहा, “हमारा मित्र लाज़रॉस सो गया है. मैं जा रहा हूं कि उसे नींद से जगाऊं.” तब शिष्यों ने उनसे कहा, “प्रभु, यदि वह मात्र सो गया है तो स्वस्थ हो जाएगा.” मसीह येशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था किंतु शिष्य समझे कि वह नींद के विषय में कह रहे थे. इस पर मसीह येशु ने उनसे स्पष्ट शब्दों में कहा, “लाज़रॉस की मृत्यु हो चुकी है. यह तुम्हारे ही हित में है कि मैं वहां नहीं था—कि तुम विश्वास करो. आओ, अब हम उसके पास चलें.” तब थोमॉस ने, जिनका उपनाम दिदुमॉस था, अपने साथी शिष्यों से कहा, “आओ, इनके साथ हम भी मरने चलें.” वहां पहुंचकर मसीह येशु को मालूम हुआ कि लाज़रॉस को कंदरा-क़ब्र में रखे हुए चार दिन हो चुके है. बैथनियाह नगर येरूशलेम के पास, लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर था. अनेक यहूदी अगुएं मार्था और मरियम के पास उनके भाई की मृत्यु पर शांति देने आ गए थे. जैसे ही मार्था को मसीह येशु के नगर के पास होने की सूचना मिली, वह उनसे मिलने चली गई किंतु मरियम घर में ही रही. मार्था ने मसीह येशु से कहा, “प्रभु, यदि आप यहां होते तो मेरे भाई की मृत्यु न होती. फिर भी मैं जानती हूं कि अब भी आप परमेश्वर से जो कुछ मांगेंगे, वह आपको देंगे.” मसीह येशु ने उससे कहा, “तुम्हारा भाई फिर से जीवित हो जाएगा.” मार्था ने मसीह येशु से कहा, “मैं जानती हूं. अंतिम दिन पुनरुत्थान के समय वह फिर से जीवित हो जाएगा.” मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं ही हूं पुनरुत्थान और जीवन. जो कोई मुझमें विश्वास करता है, वह जिएगा—भले ही उसकी मृत्यु हो जाए तथा वह जीवित व्यक्ति, जो मुझमें विश्वास करता है, उसकी मृत्यु कभी न होगी. क्या तुम यह विश्वास करती हो?” उसने कहा, “जी हां, प्रभु, मुझे विश्वास है कि आप ही मसीह हैं, आप ही परमेश्वर के पुत्र हैं और आप ही वह हैं, जिनके संसार में आने के बारे में पहले से बताया गया था.” यह कहकर वह लौट गई और अपनी बहन मरियम को अलग ले जाकर उसे सूचित किया, “गुरुवर आ गए हैं और तुम्हें बुला रहे हैं.” यह सुनकर मरियम तत्काल मसीह येशु से मिलने निकल पड़ी. मसीह येशु ने अब तक नगर में प्रवेश नहीं किया था. वह वहीं थे, जहां मार्था ने उनसे भेंट की थी. जब वहां शांति देने आए यहूदियों ने मरियम को एकाएक उठकर बाहर जाते हुए देखा तो वे भी उसके पीछे-पीछे यह समझकर चले गए कि वह कब्र पर रोने के लिए जा रही है. मसीह येशु के पास पहुंच मरियम उनके चरणों में गिर पड़ी और कहने लगी, “प्रभु, यदि आप यहां होते तो मेरे भाई की मृत्यु न होती.” मसीह येशु ने उसे और उसके साथ आए यहूदियों को रोते हुए देखा तो उनका हृदय व्याकुल हो उठा. उन्होंने उदास शब्द में पूछा, “तुमने उसे कहां रखा है?” उन्होंने उनसे कहा, “आइए, प्रभु, देख लीजिए.” येशु रोया! यह देख शेष यहूदी कहने लगे, “देखो इन्हें (येशु को) वह कितना प्रिय था!” परंतु उनमें से कुछ ने कहा, “क्या यह, जिन्होंने अंधे को आंखों की रोशनी दी, इस व्यक्ति को मृत्यु से बचा न सकते थे?” दोबारा बहुत उदास होकर मसीह येशु कब्र पर आए, जो वस्तुतः एक कंदरा थी, जिसके प्रवेश द्वार पर एक पत्थर रखा हुआ था. मसीह येशु ने वह पत्थर हटाने को कहा. मृतक की बहन मार्था ने आपत्ति प्रकट करते हुए उनसे कहा, “प्रभु, उसे मरे हुए चार दिन हो चुके हैं. अब तो उसमें से दुर्गंध आ रही होगी.” मसीह येशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि यदि तुम विश्वास करोगी तो परमेश्वर की महिमा को देखोगी?” इसलिये उन्होंने पत्थर हटा दिया. मसीह येशु ने अपनी आंखें ऊपर उठाई और कहा, “पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आपने मेरी सुन ली. मैं जानता हूं कि आप हमेशा मेरी सुनते हैं किंतु यहां उपस्थित भीड़ के कारण मैंने ऐसा कहा है कि वे सब विश्वास करें कि आपने ही मुझे भेजा है.” तब उन्होंने ऊंचे शब्द में पुकारा, “लाज़रॉस, बाहर आ जाओ!” वह, जो चार दिन से मरा हुआ था, बाहर आ गया. उसका सारा शरीर पट्टियों में और उसका मुख कपड़े में लिपटा हुआ था. मसीह येशु ने उनसे कहा, “इसे खोल दो और जाने दो.” यह देख मरियम के पास आए यहूदियों में से अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास किया. परंतु कुछ ने फ़रीसियों को जा बताया कि मसीह येशु ने क्या-क्या किया था.

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