यिर्मयाह 17:5-8

यिर्मयाह 17:5-8 पवित्र बाइबल (HERV)

यहोवा यह सब कहता है, “जो लोग केवल दूसरे लोगों में विश्वास करते हैं उनका बुरा होगा। जो शक्ति के लिये केवल दूसरों के सहारे रहते हैं उनका बुरा होगा। क्यों क्योंकि उन लोगों ने यहोवा पर विश्वास करना छोड़ दिया है। वे लोग मरुभूमि की झाड़ी की तरह हैं। वह झाड़ी उस भूमि पर है जहाँ कोई नहीं रहता। वह झाड़ी गर्म और सूखी भूमि में है। वह झाड़ी खराब मिट्टी में है। वह झाड़ी उन अच्छी चीज़ों को नहीं जानती जिन्हें परमेश्वर दे सकता हैं। “किन्तु जो व्यक्ति यहोवा में विश्वास करता है, आशीर्वाद पाएगा। क्यों क्योंकि यहोवा उसको ऐसा दिखायेगा कि उन पर विश्वास किया जा सके। वह व्यक्ति उस पेड़ की तरह शक्तिशाली होगा जो पानी के पास लगाया गया हो। उस पेड़ की लम्बी जड़ें होती हैं जो पानी पाती हैं। वह पेड़ गर्मी के दिनों से नहीं डरता इसकी पत्तियाँ सदा हरी रहती हैं। यह वर्ष के उन दिनों में परेशान नहीं होता जब वर्षा नहीं होती। उस पेड़ में सदा फल आते हैं।

यिर्मयाह 17:5-8 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

प्रभु यों कहता है : ‘वह मनुष्‍य शापित है, जो आदमी पर भरोसा करता है, जो हाड़-मांस के पुतले का सहारा लेता है, जिसका हृदय प्रभु से भटक जाता है। वह मरुस्‍थल की छोटी सूखी झाड़ी के समान होता है, जो कभी फलती-फूलती नहीं। वह मनुष्‍य निर्जन प्रदेश के सूखे इलाकों में निवास करेगा; वह नोनी भूमि के क्षेत्र में रहेगा, जहां कोई नहीं बसता। ‘धन्‍य है वह मनुष्‍य, जो प्रभु पर भरोसा करता है; जिसका भरोसा ही प्रभु है। वह मानो कल-कल करते झरने के तट पर रोपा गया वृक्ष है; जिसकी जड़ें गहरे पानी में होती हैं। जब दोपहर के सूरज की प्रखर किरणें उस पर पड़ती हैं, तब वह उनकी गर्मी से नहीं मुरझाता; उसके पत्ते सदा हरे बने रहते हैं। वर्षा न होने पर भी उनको चिन्‍ता नहीं होती, क्‍योंकि वह सूखा पड़ने पर भी फलता है।

यिर्मयाह 17:5-8 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

यहोवा यह कहता है, “श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है। वह निर्जल देश के अधमरे पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा। “धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के किनारे पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब धूप होगी तब उसको न लगेगी, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।”

यिर्मयाह 17:5-8 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

याहवेह ने यह कहा है: “शापित है वह मनुष्य, जिसने मानव की क्षमताओं को अपना आधार बनाया हुआ है, जिनका भरोसा मनुष्य की शक्ति में है तथा जो मुझसे विमुख हो चुका है. क्योंकि वह उस झाड़ी के सदृश है, जो मरुभूमि में उगी हुई है. समृद्धि उससे दूर ही रहेगी. वह निर्जन प्रदेश की गर्मी से झुलसने वाली भूमि में निवास करेगा. उस भूमि की मिट्टी लवणमय है, वहां किसी भी मनुष्य का निवास नहीं है. “धन्य है वह मनुष्य जिसने याहवेह पर भरोसा रखा है, तथा याहवेह ही जिसका भरोसा हैं. वह व्यक्ति जल के निकट रोपित वृक्ष के सदृश है, जो जल प्रवाह की ओर अपनी जड़ें फैलाता जाता है. ग्रीष्मकाल का उसे कोई भय नहीं होता; उसकी पत्तियां सदैव हरी ही रहेंगी. अकाल उसके लिए चिंता का विषय न होगा और इसमें समय पर फल लगना बंद नहीं होगा.”