इब्रानियों 2:17-18
इब्रानियों 2:17-18 पवित्र बाइबल (HERV)
इसलिए उसे हर प्रकार से उसके भाईयों के जैसा बनाया गया ताकि वह परमेश्वर की सेवा में दयालु और विश्वसनीय महायाजक बन सके। और लोगों को उनके पापों की क्षमा दिलाने के लिए बलि दे सके। क्योंकि उसने स्वयं उस समय, जब उसकी परीक्षा ली जा रही थी, यातनाएँ भोगी हैं। इसलिए जिनकी परीक्षा ली जा रही है, वह उनकी सहायता करने में समर्थ है।
इब्रानियों 2:17-18 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
इसलिए यह आवश्यक था कि वह सभी बातों में अपने भाई-बहिनों† के सदृश बन जायें, जिससे वह परमेश्वर-सम्बन्धी बातों में मनुष्यों के दयालु और विश्वस्त महापुरोहित के रूप में प्रजा के पापों का प्रायश्चित कर सकें। येशु की परीक्षा ली गयी है और उन्होंने स्वयं दु:ख भोगा है इसलिए वह परीक्षा में पड़े हुए लोगों की सहायता कर सकते हैं।
इब्रानियों 2:17-18 Hindi Holy Bible (HHBD)
इस कारण उस को चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वास योग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित्त करे। क्योंकि जब उस ने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है॥
इब्रानियों 2:17-18 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
इस कारण उस को चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिससे वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित करे। क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दु:ख उठाया, तो वह उनकी भी सहायता कर सकता है जिनकी परीक्षा होती है।
इब्रानियों 2:17-18 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
इस कारण उसको चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिससे वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बंध रखती हैं, एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित करे। क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दुःख उठाया, तो वह उनकी भी सहायता कर सकता है, जिनकी परीक्षा होती है।
इब्रानियों 2:17-18 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
इसलिये हर एक पक्ष में मसीह येशु का मनुष्य के समान बन जाना ज़रूरी था, कि सबके पापों के लिए वह प्रायश्चित बलि होने के लिए परमेश्वर के सामने कृपालु, और विश्वासयोग्य महापुरोहित बन जाएं. स्वयं उन्होंने अपनी परख के अवसर पर दुःख उठाया, इसलिये वह अब उन्हें सहायता प्रदान करने में सक्षम हैं, जिन्हें परीक्षा में डालकर परखा जा रहा है.