उत्‍पत्ति 1:1-10

उत्‍पत्ति 1:1-10 पवित्र बाइबल (HERV)

आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया। पृथ्वी बेडौल और सुनसान थी। धरती पर कुछ भी नहीं था। समुद्र पर अंधेरा छाया था और परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मण्डराती थी। तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” और उजियाला हो गया। परमेश्वर ने उजियाले को देखा और वह जान गया कि यह अच्छा है। तब परमेश्वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया। परमेश्वर ने उजियाले का नाम “दिन” और अंधियारे का नाम “रात” रखा। शाम हुई और तब सवेरा हुआ। यह पहला दिन था। तब परमेश्वर ने कहा, “जल को दो भागों में अलग करने के लिए वायुमण्डल हो जाए।” इसलिए परमेश्वर ने वायुमण्डल बनाया और जल को अलग किया। कुछ जल वायुमण्डल के ऊपर था और कुछ वायुमण्डल के नीचे। परमेश्वर ने वायुमण्डल को “आकाश” कहा! तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह दूसरा दिन था। और तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी का जल एक जगह इकट्ठा हो जिससे सूखी भूमि दिखाई दे” और ऐसा ही हुआ। परमेश्वर ने सूखी भूमि का नाम “पृथ्वी” रखा और जो पानी इकट्ठा हुआ था, उसे “समुद्र” का नाम दिया। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

उत्‍पत्ति 1:1-10 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

परमेश्‍वर ने आरम्‍भ में आकाश और पृथ्‍वी को रचा। पृथ्‍वी आकार-रहित और सुनसान थी। अथाह सागर के ऊपर अन्‍धकार था। जल की सतह पर परमेश्‍वर का आत्‍मा मंडराता था। परमेश्‍वर ने कहा, ‘प्रकाश हो’, और प्रकाश हो गया। परमेश्‍वर ने देखा कि प्रकाश अच्‍छा है। परमेश्‍वर ने प्रकाश को अन्‍धकार से अलग किया। परमेश्‍वर ने प्रकाश को ‘दिन’ तथा अन्‍धकार को ‘रात’ नाम दिया। सन्‍ध्‍या हुई, फिर सबेरा हुआ। इस प्रकार पहला दिन बीत गया। परमेश्‍वर ने कहा, ‘जल के मध्‍य मेहराब हो, और वह जल को जल से अलग करे।’ परमेश्‍वर ने मेहराब बनाया, तथा मेहराब के ऊपर के जल को, उसके नीचे के जल से अलग किया। ऐसा ही हुआ। परमेश्‍वर ने मेहराब को ‘आकाश’ नाम दिया। सन्‍ध्‍या हुई, फिर सबेरा हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन बीत गया। परमेश्‍वर ने कहा, ‘आकाश के नीचे का जल एक स्‍थान में एकत्र हो, और सूखी भूमि दिखाई दे।’ ऐसा ही हुआ। परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को ‘पृथ्‍वी’, तथा एकत्रित जल को ‘समुद्र’ नाम दिया। परमेश्‍वर ने देखा कि वे अच्‍छे हैं।

उत्‍पत्ति 1:1-10 Hindi Holy Bible (HHBD)

आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥ फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए। तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया। और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्‍पत्ति 1:1-10 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्‍टि की। पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था; तथा परमेश्‍वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था। जब परमेश्‍वर ने कहा, “उजियाला हो,” तो उजियाला हो गया। और परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। और परमेश्‍वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया। फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।” तब परमेश्‍वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। और परमेश्‍वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया। फिर परमेश्‍वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा : और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्‍पत्ति 1:1-10 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। (इब्रा. 1:10, इब्रा. 11:3) पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था। (2 कुरि. 4:6) तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो,” तो उजियाला हो गया। और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया। और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अंधियारे को रात कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया। फिर परमेश्वर ने कहा, “जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।” तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग-अलग किया; और वैसा ही हो गया। और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया। फिर परमेश्वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। (2 पत. 3:5) और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्‍पत्ति 1:1-10 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

आदि में परमेश्वर ने आकाश एवं पृथ्वी को रचा. पृथ्वी बिना आकार के तथा खाली थी, और पानी के ऊपर अंधकार था तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मंडरा रहा था. उसके बाद परमेश्वर ने कहा, “प्रकाश हो जाए,” और प्रकाश हो गया. परमेश्वर ने प्रकाश को देखा कि अच्छा है. परमेश्वर ने प्रकाश को अंधकार से अलग किया. परमेश्वर ने प्रकाश को “दिन” तथा अंधकार को “रात” कहा और शाम हुई, फिर सुबह हुई—इस प्रकार पहला दिन हो गया. फिर परमेश्वर ने कहा, “जल के बीच ऐसा विभाजन हो कि जल दो भागों में हो जाए.” इस प्रकार परमेश्वर ने नीचे के जल और ऊपर के जल को अलग किया. यह वैसा ही हो गया. परमेश्वर ने इस अंतर को “आकाश” नाम दिया. और शाम हुई, फिर सुबह हुई—इस प्रकार दूसरा दिन हो गया. फिर परमेश्वर ने कहा, “आकाश के नीचे का पानी एक जगह इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे” और वैसा ही हो गया. परमेश्वर ने सूखी भूमि को “धरती” तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको “सागर” कहा और परमेश्वर ने देखा कि वह अच्छा है.

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