सभा-उपदेशक 2:24-26
सभा-उपदेशक 2:24-26 पवित्र बाइबल (HERV)
जीवन का जितना आनन्द मैंने लिया है क्या कोई भी ऐसा व्यक्ति और है जिसने मुझे से अधिक जीवन का आनन्द लेने का प्रयास किया हो? नहीं! मुझे जो ज्ञान हुआ है वह यह है: कोई व्यक्ति जो अच्छे से अच्छा कर सकता है वह है खाना, पीना और उस कर्म का आनन्द लेना जो उसे करना चाहिये। मैंने यह भी समझा है कि यह सब कुछ परमेश्वर से ही प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर को प्रसन्न करता है तो परमेश्वर उसे बुद्धि, ज्ञान और आनन्द प्रदान करता है। किन्तु वह व्यक्ति जो उसे अप्रसन्न करता है, वह तो बस वस्तुओं के संचय और उन्हें ढोने का ही काम करता रहेगा। परमेश्वर बुरे व्यक्तियों से लेकर अच्छे व्यक्तियों को देता रहता है। इस प्रकार यह समग्र कर्म व्यर्थ है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना।
सभा-उपदेशक 2:24-26 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
मनुष्य के लिए इससे अधिक अच्छी बात और कोई नहीं कि वह खाए-पीए और आनन्द के साथ परिश्रम करे। किन्तु मैंने देखा है कि यह भी परमेश्वर के हाथ से प्राप्त होता है। क्योंकि परमेश्वर से दूर रहकर कौन व्यक्ति खा-पी सकता है, और आनन्द मना सकता है? जिस मनुष्य से परमेश्वर प्रसन्न होता है वह उसी को बुद्धि, ज्ञान और आनन्द प्रदान करता है। पापी मनुष्य से परमेश्वर कठोर परिश्रम कराता है। पापी मनुष्य परमेश्वर के प्रिय व्यक्ति के लिए धन एकत्र करता और उसको संचित करता है। अत: यह भी व्यर्थ है, यह मानो हवा को पकड़ना है।
सभा-उपदेशक 2:24-26 Hindi Holy Bible (HHBD)
मनुष्य के लिये खाने-पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैं ने देखा कि यह भी परमेश्वर की ओर से मिलता है। क्योंकि खाने-पीने और सुख भोगने में मुझ से अधिक समर्थ कौन है? जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनन्द देता है; परन्तु पापी को वह दु:खभरा काम ही देता है कि वह उसका देने के लिये संचय कर के ढेर लगाए जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है॥
सभा-उपदेशक 2:24-26 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
मनुष्य के लिये खाने–पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैं ने देखा कि यह भी परमेश्वर की ओर से मिलता है; क्योंकि खाने–पीने और सुख भोगने में मुझ से अधिक समर्थ कौन है? जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनन्द देता है; परन्तु पापी को वह दु:ख भरा काम ही देता है कि वह उसको देने के लिये संचय करके ढेर लगाए जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।
सभा-उपदेशक 2:24-26 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
मनुष्य के लिये खाने-पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैंने देखा कि यह भी परमेश्वर की ओर से मिलता है। क्योंकि खाने-पीने और सुख भोगने में उससे अधिक समर्थ कौन है? जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनन्द देता है; परन्तु पापी को वह दुःख भरा काम ही देता है कि वह उसको देने के लिये संचय करके ढेर लगाए जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।
सभा-उपदेशक 2:24-26 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
मनुष्य के लिए इससे अच्छा और कुछ नहीं है कि वह खाए, पिए और खुद को विश्वास दिलाए कि उसकी मेहनत उपयोगी है. मैंने यह भी पाया है कि इसमें परमेश्वर का योगदान होता है, नहीं तो कौन परमेश्वर से अलग हो खा-पीकर सुखी रह सकता है? क्योंकि जो मनुष्य परमेश्वर की नज़रों में अच्छा है, उसे परमेश्वर ने बुद्धि, ज्ञान और आनंद दिया है, मगर पापी को परमेश्वर ने इकट्ठा करने और बटोरने का काम दिया है सिर्फ इसलिये कि वह उस व्यक्ति को दे दे जो परमेश्वर की नज़रों में अच्छा है. यह सब भी बेकार और हवा से झगड़ना है.