1 शमूएल 1:1-10

1 शमूएल 1:1-10 पवित्र बाइबल (HERV)

एल्काना नामक एक व्यक्ति था। वह एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश के रामातैमसोपीम का निवासी था। एल्काना सूप परिवार का था। एलकाना यरोहाम का पुत्र था। यरोहाम एलीहू का पुत्र था। एलीहू तोहू का पुत्र था और तोहू सूप का पुत्र था, जो एप्रैम के परिवार समूह से था। एल्काना की दो पत्नियाँ थीं। एक का नाम हन्ना था और दूसरी का नाम पनिन्ना था। पनिन्ना के बच्चे थे, किन्तु हन्ना के कोई बच्चा नहीं था। एल्काना हर वर्ष अपने नगर रामातैमसोपीम को छोड़ देता था और शीलो नगर जाता था। एल्काना सर्वशक्तिमान यहोवा की उपासना शीलो में करता था और वहाँ यहोवा को बलि भेंट करता था। शीलो वह स्थान था, जहाँ होप्नी और पीनहास यहोवा के याजक के रूप में सेवा करते थे। होप्नी और पीनहास एली के पुत्र थे। जब कभी एल्काना अपनी बलि भेंट करता था, वह भेंट का एक अंश अपनी पत्नी पनिन्ना को देता था। एल्काना भेंट का एक अंश पनिन्ना के बच्चों को भी देता था। एल्काना भेंट का एक बराबर का अंश हन्ना को भी सदा दिया करता था। एल्काना यह तब भी करता रहा जब यहोवा ने हन्ना को कोई सन्तान नहीं दी थी। एल्काना यह इसलिये करता था कि हन्ना उसकी वह पत्नी थी जिससे वह सच्चा प्रेम करता था। पनिन्ना हन्ना को सदा खिन्नता और परेशानी का अनुभव कराती थी। पनिन्ना यह इसलिये करती थी क्योंकि हन्ना कोई बच्चा पैदा नहीं कर सकती थी। हर वर्ष जब उनका परिवार शीलो में यहोवा के आराधनालय में जाता, पनिन्ना, हन्ना को परेशानी में डाल देती थी। एक दिन जब एल्काना बलि भेंट अर्पित कर रहा था। हन्ना परेशानी का अनुभव करने लगी और रोने लगी। हन्ना ने कुछ भी खाने से इन्कार कर दिया। उसके पति एलकाना ने उस से कहा, “हन्ना, तुम रो क्यों रही हो? तुम खाना क्यों नहीं खाती? तुम दुःखी क्यों हो? मैं, तुम्हारा पति, तुम्हारा हूँ। तुम्हें सोचना चाहिए कि मैं तुम्हारे लिए तुम्हारे दस पुत्रों से अच्छा हूँ।” खाने और पीने के बाद हन्ना चुपचाप उठी और यहोवा से प्रार्थना करने गई। यहोवा के पवित्र आराधनालय के द्वार के निकट कुर्सी पर याजक एली बैठा था। हन्ना बहुत दुःखी थी। वह बहुत रोई जब उसने यहोवा से प्रार्थना की।

1 शमूएल 1:1-10 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

एफ्रइम पहाड़ी प्रदेश के सूफ क्षेत्र में रामाह नामक एक नगर था। उस नगर में एक मनुष्‍य रहता था। उसका नाम एलकानाह था। उसके पिता का नाम यरोहाम, और दादा का नाम एलीहू था। उसका परदादा तोहू था, जो एफ्रइम प्रदेश के निवासी सूफ का पुत्र था। एलकानाह की दो पत्‍नियाँ थीं: उनमें से पहली का नाम हन्नाह था, और दूसरी का नाम पनिन्नाह था। पनिन्नाह को सन्‍तान उत्‍पन्न हुई। पर हन्नाह को कोई सन्‍तान उत्‍पन्न नहीं हुई। एलकानाह स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की वन्‍दना करने तथा उसको बलि चढ़ाने के लिए अपने नगर से शिलोह को प्रतिवर्ष जाता था। शिलोह में एली के दो पुत्र, होफ्‍नी और पीनहास, प्रभु के पुरोहित थे। जब एलकानाह बलि चढ़ाता तब वह अपनी पत्‍नी पनिन्नाह और उसके पुत्रों-पुत्रियों को बलि-पशु के मांस के अनेक टुकड़े देता था। यद्यपि वह हन्नाह से प्रेम करता था तो भी वह उसे बलि-पशु के माँस का केवल एक टुकड़ा देता था; क्‍योंकि प्रभु ने हन्नाह को संतान नहीं दी थी। हन्नाह की सौत उसे बुरी तरह चिढ़ाती, ताना मारती थी कि प्रभु ने उसे कोई सन्‍तान नहीं दी। वह प्रतिवर्ष ऐसा ही करती थी; जब-जब वे प्रभु-गृह को जाते तब-तब पनिन्नाह हन्नाह को चिढ़ाती थी। हन्नाह रोती, और भोजन नहीं करती। उसका पति एलकानाह उससे पूछता, ‘हन्नाह, तुम क्‍यों रो रही हो? तुमने भोजन क्‍यों नहीं किया? क्‍यों तुम्‍हारा हृदय दु:खी है? क्‍या मैं तुम्‍हारे लिए दस पुत्रों से बढ़कर नहीं हूँ?’ किसी दिन जब वे शिलोह में खा-पी चुके तब हन्नाह उठी, और वह प्रभु के सम्‍मुख खड़ी हो गई। पुरोहित एली प्रभु के मन्‍दिर की चौखट के बाजू में अपने आसन पर बैठा था। हन्नाह घोर दु:ख में डूबी हुई थी। उसने प्रभु से प्रार्थना की और वह फूट-फूट कर रोने लगी।

1 शमूएल 1:1-10 Hindi Holy Bible (HHBD)

एप्रैम के पहाड़ी देश के रामतैम सोपीम नाम नगर का निवासी एल्काना नाम पुरूष था, वह एप्रेमी था, और सूप के पुत्र तोहू का परपोता, एलीहू का पोता, और यरोहाम का पुत्र था। और उसके दो पत्नियां थीं; एक का तो नाम हन्ना और दूसरी का पनिन्ना था। और पनिन्ना के तो बालक हुए, परन्तु हन्ना के कोई बालक न हुआ। वह पुरूष प्रति वर्ष अपने नगर से सेनाओं के यहोवा को दण्डवत करने और मेलबलि चढ़ाने के लिये शीलो में जाता था; और वहां होप्नी और पीनहास नाम एली के दोनों पुत्र रहते थे, जो यहोवा के याजक थे। और जब जब एल्काना मेलबलि चढ़ाता था तब तब वह अपनी पत्नी पनिन्ना को और उसके सब बेटे-बेटियों को दान दिया करता था; परन्तु हन्ना को वह दूना दान दिया करता था, क्योंकि वह हन्ना से प्रीति रखता था; तौभी यहोवा ने उसकी कोख बन्द कर रखी थी। परन्तु उसकी सौत इस कारण से, कि यहोवा ने उसकी कोख बन्द कर रखी थी, उसे अत्यन्त चिढ़ाकर कुढ़ाती रहती थीं। और वह तो प्रति वर्ष ऐसा ही करता था; और जब हन्ना यहोवा के भवन को जाती थी तब पनिन्ना उसको चिढ़ाती थी। इसलिये वह रोती और खाना न खाती थी। इसलिये उसके पति एल्काना ने उस से कहा, हे हन्ना, तू क्यों रोती है? और खाना क्यों नहीं खाती? और मेरा मन क्यों उदास है? क्या तेरे लिये मैं दस बेटों से भी अच्छा नहीं हूं? तब शीलो में खाने और पीने के बाद हन्ना उठी। और यहोवा के मन्दिर के चौखट के एक अलंग के पास एली याजक कुर्सी पर बैठा हुआ था। और यह मन में व्याकुल हो कर यहोवा से प्रार्थना करने और बिलख बिलखकर रोने लगी।

1 शमूएल 1:1-10 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

एप्रैम के पहाड़ी देश के रामातैमसोपीम नगर का निवासी एल्काना नामक एक पुरुष था, वह एप्रैमी था, और सूप के पुत्र तोहू का परपोता, एलीहू का पोता, और यरोहाम का पुत्र था। उसके दो पत्नियाँ थीं; एक का नाम हन्ना और दूसरी का पनिन्ना था। पनिन्ना के तो बालक हुए, परन्तु हन्ना के कोई बालक न हुआ। वह पुरुष प्रति वर्ष अपने नगर से सेनाओं के यहोवा को दण्डवत् करने और मेलबलि चढ़ाने के लिये शीलो में जाता था; वहाँ होप्नी और पीनहास नामक एली के दोनों पुत्र रहते थे, जो यहोवा के याजक थे। जब जब एल्काना मेलबलि चढ़ाता था तब तब वह अपनी पत्नी पनिन्ना को और उसके सब बेटे–बेटियों को दान दिया करता था; परन्तु हन्ना को वह दूना दान दिया करता था, क्योंकि वह हन्ना से प्रीति रखता था; तौभी यहोवा ने उसकी कोख बन्द कर रखी थी। परन्तु उसकी सौत इस कारण से, कि यहोवा ने उसकी कोख बन्द कर रखी थी, उसे अत्यन्त चिढ़ाकर कुढ़ाती रहती थी। वह तो प्रति वर्ष ऐसा ही करता था; और जब हन्ना यहोवा के भवन को जाती थी तब पनिन्ना उसको चिढ़ाती थी। इसलिये वह रोती और खाना न खाती थी। इसलिये उसके पति एल्काना ने उससे कहा, “हे हन्ना, तू क्यों रोती है? और खाना क्यों नहीं खाती? और तेरा मन क्यों उदास है? क्या तेरे लिये मैं दस बेटों से भी अच्छा नहीं हूँ?” तब शीलो में खाने और पीने के बाद हन्ना उठी। और यहोवा के मन्दिर के चौखट के एक बाजू के पास एली याजक कुर्सी पर बैठा हुआ था। वह मन में व्याकुल होकर यहोवा से प्रार्थना करने और बिलख बिलखकर रोने लगी।

1 शमूएल 1:1-10 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

एप्रैम के पहाड़ी देश के रामातैम सोपीम नगर का निवासी एल्काना नामक एक पुरुष था, वह एप्रैमी था, और सूफ के पुत्र तोहू का परपोता, एलीहू का पोता, और यरोहाम का पुत्र था। और उसकी दो पत्नियाँ थीं; एक का नाम हन्ना और दूसरी का पनिन्ना था। पनिन्ना के तो बालक हुए, परन्तु हन्ना के कोई बालक न हुआ। वह पुरुष प्रतिवर्ष अपने नगर से सेनाओं के यहोवा को दण्डवत् करने और मेलबलि चढ़ाने के लिये शीलो में जाता था; और वहाँ होप्नी और पीनहास नामक एली के दोनों पुत्र रहते थे, जो यहोवा के याजक थे। और जब जब एल्काना मेलबलि चढ़ाता था तब-तब वह अपनी पत्नी पनिन्ना को और उसके सब बेटे-बेटियों को दान दिया करता था; परन्तु हन्ना को वह दो गुना दान दिया करता था, क्योंकि वह हन्ना से प्रीति रखता था; तो भी यहोवा ने उसकी कोख बन्द कर रखी थी। परन्तु उसकी सौत इस कारण से, कि यहोवा ने उसकी कोख बन्द कर रखी थी, उसे अत्यन्त चिढ़ाकर कुढ़ाती रहती थी। वह तो प्रतिवर्ष ऐसा ही करता था; और जब हन्ना यहोवा के भवन को जाती थी तब पनिन्ना उसको चिढ़ाती थी। इसलिए वह रोती और खाना न खाती थी। इसलिए उसके पति एल्काना ने उससे कहा, “हे हन्ना, तू क्यों रोती है? और खाना क्यों नहीं खाती? और तेरा मन क्यों उदास है? क्या तेरे लिये मैं दस बेटों से भी अच्छा नहीं हूँ?” तब शीलो में खाने और पीने के बाद हन्ना उठी। और यहोवा के मन्दिर के चौखट के एक बाजू के पास एली याजक कुर्सी पर बैठा हुआ था। वह मन में व्याकुल होकर यहोवा से प्रार्थना करने और बिलख-बिलख कर रोने लगी।

1 शमूएल 1:1-10 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

एफ्राईम के पहाड़ी प्रदेश में रमाथाइम-ज़ोफ़िम नगर में एलकाना नामक एक व्यक्ति था. वह एफ्राईमवासी येरोहाम के पुत्र था और येरोहाम एलिहू के, एलिहू तोहू के तथा तोहू एफ्राईमवासी सूफ़ के पुत्र था. एलकाना की दो पत्नियां थी; पहली का नाम था हन्‍नाह और दूसरी का पेनिन्‍नाह. स्थिति यह थी कि पेनिन्‍नाह के तो बच्‍चे थे, मगर हन्‍नाह बांझ थी. यह व्यक्ति हर साल अपने नगर से सर्वशक्तिमान याहवेह की वंदना करने तथा उन्हें बलि चढ़ाने शीलो नगर जाया करता था. यहीं एली के दो पुत्र, होफ़नी तथा फिनिहास याहवेह के पुरोहितों के रूप में सेवा करते थे. जब कभी एलकाना बलि चढ़ाता था, वह बलि में से कुछ भाग अपनी पत्नी पेनिन्‍नाह तथा उसकी संतान को दे दिया करता था. मगर वह अपनी पत्नी हन्‍नाह को इसका दो गुणा भाग देता था, क्योंकि उन्हें हन्‍नाह ज्यादा प्रिय थी, यद्यपि याहवेह ने हन्‍नाह को संतान पैदा करने की क्षमता नहीं दी थी. हन्‍नाह की सौत उसे कुढ़ाने के उद्देश्य से उसे सताती रहती थी. यह काम हर साल चलता रहता था. जब कभी हन्‍नाह याहवेह के मंदिर जाती थी, पेनिन्‍नाह उसे इस प्रकार चिढ़ाती थी, कि हन्‍नाह रोती रह जाती थी, तथा उसके लिए भोजन करना मुश्किल हो जाता था. यह देख उसके प्रति एलकाना ने उससे कहा, “हन्‍नाह, तुम क्यों रो रही हो? तुमने भोजन क्यों छोड़ रखा है? इतनी दुःखी क्यों हो रही हो? क्या मैं तुम्हारे लिए दस पुत्रों से बढ़कर नहीं हूं?” शीलो में एक मौके पर, जब वे खा-पी चुके थे, हन्‍नाह उठकर याहवेह के सामने चली गई. इस समय पुरोहित एली याहवेह के मंदिर के द्वार पर अपने आसन पर बैठे थे. जब हन्‍नाह याहवेह से प्रार्थना कर रही थी, वह मन में बहुत ही दुःखी थी. उसका रोना भी बहुत तेज होता जा रहा था.