1 पतरस 3

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मसीही दंपति
1-2हे पत्‍नियो, अपने-अपने पति के अधीन रहो, जिससे यदि उनमें से कुछ ऐसे हों जो वचन का पालन न करते हों, तो वे तुम्हारे भक्‍तिपूर्ण पवित्र आचरण को देखकर वचन बिना ही तुम्हारे व्यवहार से जीत लिए जाएँ। 3तुम्हारा श्रृंगार बाहरी न हो जैसे बालों का गूँथना और सोने के आभूषण या भड़कीले वस्‍त्र पहनना, 4बल्कि यह तुम्हारे मन का छिपा हुआ व्यक्‍तित्व हो, जो नम्र और शांत स्वभाव के अविनाशी आभूषणों से सुसज्‍जित हो, जिसका परमेश्‍वर की दृष्‍टि में बड़ा मूल्य है। 5पूर्वकाल में परमेश्‍वर पर आशा रखनेवाली पवित्र स्‍त्रियाँ भी अपने-अपने पति के अधीन रहकर अपने आपको ऐसे ही सँवारती थीं, 6जैसे सारा, जो अब्राहम को स्वामी कहकर उसकी आज्ञा मानती थी। यदि तुम भी भलाई करो और किसी बात से भयभीत न हो, तो उसकी बेटियाँ ठहरोगी।
7हे पतियो, तुम भी इसी प्रकार अपनी-अपनी पत्‍नी के साथ समझदारी से रहो, और उन्हें निर्बल पात्र जानकर और अनुग्रह के जीवन का सह-उत्तराधिकारी समझकर उनका आदर करो, जिससे तुम्हारी प्रार्थनाओं में बाधा न आए।
8अंततः तुम सब एक मन, करुणामय, भाईचारे का प्रेम रखनेवाले, दयालु और नम्र बनो। 9बुराई के बदले बुराई न करो, और न गाली के बदले गाली दो, परंतु इसके विपरीत आशिष ही दो, क्योंकि#3:9 कुछ हस्तलेखों में यहाँ “यह जानते हुए कि” लिखा है। तुम इसी लिए बुलाए गए हो कि उत्तराधिकार में आशिष प्राप्‍त करो। 10क्योंकि
जो जीवन से प्रेम रखना
और अच्छे दिन देखना चाहता है,
वह अपनी जीभ को बुराई से
और होंठों को छल की बातें बोलने से रोके रहे।
11वह बुराई से दूर रहे और भलाई करे;
वह मेल-मिलाप को ढूँढ़े और उसे पाने के यत्‍न में रहे,
12क्योंकि प्रभु की आँखें धर्मियों पर
तथा उसके कान उनकी प्रार्थनाओं की ओर लगे रहते हैं,
परंतु प्रभु बुराई करनेवालों से
मुँह फेर लेता है।#भजन 34:12-16
भलाई के बदले सताया जाना
13यदि तुम भलाई के प्रति उत्साही#3:13 कुछ हस्तलेखों में “भलाई के प्रति उत्साही” के स्थान पर “भलाई का अनुकरण करनेवाले” लिखा है। रहो, तो कौन तुम्हें हानि पहुँचाएगा? 14परंतु यदि तुम्हें धार्मिकता के कारण दुःख उठाना भी पड़े, तो तुम धन्य हो। लोगों के डराने से न तो डरो और न ही घबराओ,#यशायाह 8:12 15पर अपने मन में मसीह को प्रभु जानकर आदर दो; और जो तुम्हारी आशा के विषय में तुमसे कुछ पूछे, उसे नम्रता और आदर के साथ उत्तर देने को हर समय तैयार रहो; 16और विवेक को शुद्ध रखो, ताकि जो लोग#3:16 कुछ हस्तलेखों में यहाँ “तुम्हें कुकर्मी समझकर” लिखा है। तुम्हारे विरोध में बोलते हैं और मसीह में तुम्हारे अच्छे आचरण का अपमान करते हैं, वे लज्‍जित हों। 17यदि परमेश्‍वर की इच्छा है कि तुम भलाई करते हुए दुःख उठाओ, तो यह बुराई करके दुःख उठाने से उत्तम है। 18इसलिए कि मसीह ने भी पापों के कारण एक बार दुःख उठाया, अर्थात् धर्मी ने अधर्मियों के लिए, ताकि तुम्हें#3:18 कुछ हस्तलेखों में “तुम्हें” के स्थान पर “हमें” लिखा है। परमेश्‍वर के निकट ले आए। वह शरीर में तो मारा गया, पर आत्मा में जिलाया गया। 19उसी आत्मिक दशा में उसने जाकर बंदी आत्माओं को भी प्रचार किया, 20जो उस समय आज्ञा न माननेवाले थे, जब परमेश्‍वर नूह के दिनों में धीरज से प्रतीक्षा कर रहा था और जहाज़ बनाया जा रहा था। उस जहाज़ में थोड़े ही लोग अर्थात् आठ लोग पानी से बचाए गए। 21यह पानी बपतिस्मा का प्रतीक है (जिसका अर्थ शरीर का मैल दूर करना नहीं, बल्कि परमेश्‍वर के प्रति शुद्ध विवेक से वचनबद्ध होना है), जो अब यीशु मसीह के पुनरुत्थान के द्वारा तुम्हें#3:21 कुछ हस्तलेखों में “तुम्हें” के स्थान पर “हमें” लिखा है। बचाता है। 22वह स्वर्ग में जाकर परमेश्‍वर के दाहिनी ओर विराजमान है, तथा स्वर्गदूत और अधिकार और सामर्थ्य उसके अधीन किए गए हैं।

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1 पतरस 3: HSB

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