रोमियों 7:15-20

रोमियों 7:15-20 HERV

मैं नहीं जानता मैं क्या कर रहा हूँ क्योंकि मैं जो करना चाहता हूँ, नहीं करता, बल्कि मुझे वह करना पड़ता है, जिससे मैं घृणा करता हूँ। और यदि मैं वही करता हूँ जो मैं नहीं करना चाहता तो मैं स्वीकार करता हूँ कि व्यवस्था उत्तम है। किन्तु वास्तव में वह मैं नहीं हूँ जो यह सब कुछ कर रहा है, बल्कि यह मेरे भीतर बसा पाप है। हाँ, मैं जानता हूँ कि मुझ में यानी मेरे भौतिक मानव शरीर में किसी अच्छी वस्तु का वास नहीं है। नेकी करने के इच्छा तो मुझ में है पर नेक काम मुझ से नहीं होते। क्योंकि जो अच्छा काम मैं करना चाहता हूँ, मैं नहीं करता बल्कि जो मैं नहीं करना चाहता, वे ही बुरे काम मैं करता हूँ। और यदि मैं वही काम करता हूँ जिन्हें करना नहीं चाहता तो वास्तव में उनका कर्ता जो उन्हें कर रहा है, मैं नहीं हूँ, बल्कि वह पाप है जो मुझ में बसा है।

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