लूका 16:1-9

लूका 16:1-9 HERV

फिर यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “एक धनी पुरुष था। उसका एक प्रबन्धक था उस प्रबन्धक पर लांछन लगाया गया कि वह उसकी सम्पत्ति को नष्ट कर रहा है। सो उसने उसे बुलाया और कहा, ‘तेरे विषय में मैं यह क्या सुन रहा हूँ? अपने प्रबन्ध का लेखा जोखा दे क्योंकि अब आगे तू प्रबन्धक नहीं रह सकता।’ “इस पर प्रबन्धक ने मन ही मन कहा, ‘मेरा स्वामी मुझसे मेरा प्रबन्धक का काम छीन रहा है, सो अब मैं क्या करूँ? मुझमें अब इतनी शक्ति भी नहीं रही कि मैं खेतों में खुदाई-गुड़ाई का काम तक कर सकूँ और माँगने में मुझे लाज आती है। ठीक, मुझे समझ आ गया कि मुझे क्या करना चाहिये, जिससे जब मैं प्रबन्धक के पद से हटा दिया जाऊँ तो लोग अपने घरों में मेरा स्वागत सत्कार करें।’ “सो उसने स्वामी के हर देनदार को बुलाया। पहले व्यक्ति से उसने पूछा, ‘तुझे मेरे स्वामी का कितना देना है?’ उसने कहा, ‘एक सौ माप जैतून का तेल।’ इस पर वह उससे बोला, ‘यह ले अपनी बही और बैठ कर जल्दी से इसे पचास कर दे।’ “फिर उसने दूसरे से कहा, ‘और तुझ पर कितनी देनदारी है?’ उसने बताया, ‘एक सौ भार गेहूँ।’ वह उससे बोला, ‘यह ले अपनी बही और सौ का अस्सी कर दे।’ “इस पर उसके स्वामी ने उस बेईमान प्रबन्धक की प्रशंसा की क्योंकि उसने चतुराई से काम लिया था। सांसारिक व्यक्ति अपने जैसे व्यक्तियों से व्यवहार करने में आध्यात्मिक व्यक्तियों से अधिक चतुर है। “मैं तुमसे कहता हूँ सांसारिक धन-सम्पत्ति से अपने लिये ‘मित्र’ बनाओ। क्योंकि जब धन-सम्पत्ति समाप्त हो जायेगी, वे अनन्त निवास में तुम्हारा स्वागत करेंगे।

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