मैंने जब यह देखा कि सुसमाचार में निहित सत्य के अनुसार वे सीधे रास्ते पर नहीं चल रहे हैं तो सब के सामने पतरस से कहा, “जब तुम यहूदी होकर भी ग़ैर यहूदी का सा जीवन जीते हो, तो फिर ग़ैर यहूदियों को यहूदियों की रीति पर चलने को विवश कैसे कर सकते हो?” हम तो जन्म के यहूदी हैं। हमारा पापी ग़ैर यहूदी से कोई सम्बन्ध नहीं है। फिर भी हम यह जानते हैं कि किसी व्यक्ति को व्यवस्था के विधान का पालन करने के कारण नहीं बल्कि यीशु मसीह में विश्वास के कारण नेक ठहराया जाता है। हमने इसलिए यीशु मसीह का विश्वास धारण किया है ताकि इस विश्वास के कारण हम नेक ठहराये जायें, न कि व्यवस्था के विधान के पालन के कारण। क्योंकि उसे पालने से तो कोई भी मनुष्य धर्मी नहीं होता। किन्तु यदि हम जो यीशु मसीह में अपनी स्थिति के कारण धर्मी ठहराया जाना चाहते हैं, हम ही विधर्मियों के समान पापी पाये जायें तो इसका अर्थ क्या यह नहीं है कि मसीह पाप को बढ़ावा देता है। निश्चय ही नहीं। यदि जिसका मैं त्याग कर चुका हूँ, उस रीति का ही फिर से उपदेश देने लगूँ तब तो मैं आज्ञा का उल्लंघन करने वाला अपराधी बन जाऊँगा। क्योंकि व्यवस्था के विधान के द्वारा व्यवस्था के लिये तो मैं मर चुका ताकि परमेश्वर के लिये मैं फिर से जी जाऊँ मसीह के साथ मुझे क्रूस पर चढ़ा दिया है। इसी से अब आगे मैं जीवित नहीं हूँ किन्तु मसीह मुझ में जीवित है। सो इस शरीर में अब मैं जिस जीवन को जी रहा हूँ, वह तो विश्वास पर टिका है। परमेश्वर के उस पुत्र के प्रति विश्वास पर जो मुझसे प्रेम करता था, और जिसने अपने आप को मेरे लिए अर्पित कर दिया। मैं परमेश्वर के अनुग्रह को नहीं नकार रहा हूँ, किन्तु यदि धार्मिकता व्यवस्था के विधान के द्वारा परमेश्वर से नाता जुड़ा पाता तो मसीह बेकार ही अपने प्राण क्यों देता।
गलातियों 2 पढ़िए
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सभी संस्करणों की तुलना करें: गलातियों 2:14-21
पांच दिन
योना की पुस्तक एक ऐसा महान रास्ता है जिसके द्वारा हम बाइबल में दर्पण के समान अपने जीवन का अध्ययन कर सकते और हमारे छुपी हुई धारणाओं और गलतियों का पता कर सकते हैं और इसी बीच में हम यह भी पता लगा सकते हैं कि जिस स्थान पर परमेश्वर ने हमें रखा है उस क्षेत्र में हम परमेश्वर की सेवा कैसे कर सकते हैं ।
20 दिन
"केवल विश्वास के द्वारा" हम बचाए जाते हैं, न कि मोक्ष के उपहार के योग्य होने के लिए हम जो कुछ भी करते हैं उससे नहीं - यह गलातियों को लिखे पत्र का स्पष्ट और सीधा संदेश है। जब आप ऑडियो अध्ययन सुनते हैं और भगवान के वचन से चुनिंदा छंद पढ़ते हैं, तो गलातियों के माध्यम से दैनिक यात्रा करें।
12 दिन
यीशु का अनुसरण करने वाले नए लोगों के लिए सबसे आम सवालों में से एक है, "अब मुझे क्या करना चाहिए?" उसे प्यार करना, उसकी आज्ञा मानना और विश्वासियों के समुदाय का हिस्सा बनना कैसा दिखता है? यह पठन योजना इस बात के लिए एक बाइबिल आधारित रूपरेखा देती है कि अपने व्यक्तिगत संबंध को यीशु के साथ और चर्च के मिशन के साथ कैसे एकीकृत किया जाए।
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