प्रेरितों के काम 9:22-43

प्रेरितों के काम 9:22-43 HERV

किन्तु शाऊल अधिक से अधिक शक्तिशाली होता गया और दमिश्क में रहने वाले यहूदियों को यह प्रमाणित करते हुए कि यह यीशु ही मसीह है, पराजित करने लगा। बहुत दिन बीत जाने के बाद यहूदियों ने उसे मार डालने का षड्यन्त्र रचा। किन्तु उनकी योजनाओं का शाऊल को पता चल गया। वे नगर द्वारों पर रात दिन घात लगाये रहते थे ताकि उसे मार डालें। किन्तु उसके शिष्य रात में उसे उठा ले गये और टोकरी में बैठा कर नगर की चारदिवारी से लटका कर उसे नीचे उतार दिया। फिर जब वह यरूशलेम पहुँचा तो वह शिष्यों के साथ मिलने का जतन करने लगा। किन्तु वे तो सभी उससे डरते थे। उन्हें यह विश्वास नहीं था कि वह भी एक शिष्य है। किन्तु बरनाबास उसे अपने साथ प्रेरितों के पास ले गया और उसने उन्हें बताया कि शाऊल ने प्रभु को मार्ग में किस प्रकार देखा और प्रभु ने उससे कैसे बातें कीं और दमिश्क में किस प्रकार उसने निर्भयता से यीशु के नाम का प्रचार किया। फिर शाऊल उनके साथ यरूशलेम में स्वतन्त्रतापूर्वक आते जाते रहने लगा। वह निर्भीकता के साथ प्रभु के नाम का प्रवचन किया करता था। वह यूनानी भाषा-भाषी यहूदियों के साथ वाद-विवाद और चर्चाएँ करता किन्तु वे तो उसे मार डालना चाहते थे। किन्तु जब बंधुओं को इस बात का पता चला तो वे उसे कैसरिया ले गये और फिर उसे तरसुस पहुँचा दिया। इस प्रकार समूचे यहूदिया, गलील और सामरिया के कलीसिया का वह समय शांति से बीता। वह कलीसिया और अधिक शक्तिशाली होने लगी। क्योंकि वह प्रभु से डर कर अपना जीवन व्यतीत करती थी, और पवित्र आत्मा ने उसे और अधिक प्रोत्साहित किया था सो उसकी संख्या बढ़ने लगी। फिर उस समूचे क्षेत्र में घूमता फिरता पतरस लिद्दा के संतों से मिलने पहुँचा। वहाँ उसे अनियास नाम का एक व्यक्ति मिला जो आठ साल से बिस्तर में पड़ा था। उसे लकवा मार गया था। पतरस ने उससे कहा, “अनियास, यीशु मसीह तुझे स्वस्थ करता है। खड़ा हो और अपना बिस्तर ठीक कर।” सो वह तुरंत खड़ा हो गया। फिर लिद्दा और शारोन में रहने वाले सभी लोगों ने उसे देखा और वे प्रभु की ओर मुड़ गये। याफा में तबीता नाम की एक शिष्या रहा करती थी। जिसका यूनानी अनुवाद है दोरकास अर्थात् “हिरणी।” वह सदा अच्छे अच्छे काम करती और गरीबों को दान देती। उन्हीं दिनों वह बीमार हुई और मर गयी। उन्होंने उसके शव को स्नान करा के सीढ़ियों के ऊपर कमरे में रख दिया। लिद्दा याफा के पास ही था, सो शिष्यों ने जब यह सुना कि पतरस लिद्दा मैं है तो उन्होंने उसके पास दो व्यक्ति भेजे कि वे उससे विनती करें, “अनुग्रह कर के जल्दी से जल्दी हमारे पास आ जा!” सो पतरस तैयार होकर उनके साथ चल दिया। जब पतरस वहाँ पहुँचा तो वे उसे सीढ़ियों के ऊपर कमरे में ले गये। वहाँ सभी विधवाएँ विलाप करते हुए और उन कुर्तियों और दूसरे वस्त्रों को जिन्हें दोरकास ने जब वह उनके साथ थी, बनाया था, दिखाते हुए उसके चारों ओर खड़ी हो गयीं। पतरस ने हर किसी को बाहर भेज दिया और घुटनों के बल झुक कर उसने प्रार्थना की। फिर शव की ओर मुड़ते हुए उसने कहा, “तबीता-खड़ी हो जा!” उसने अपनी आँखें खोल दीं और पतरस को देखते हुए वह उठ बैठी। उसे अपना हाथ देकर पतरस ने खड़ा किया और फिर संतों और विधवाओं को बुलाकर उन्हें उसे जीवित सौंप दिया। समूचे याफा में हर किसी को इस बात का पता चल गया और बहुत से लोगों ने प्रभु में विश्वास किया। फिर याफा में शमोन नाम के एक चर्मकार के यहाँ पतरस बहुत दिनों तक ठहरा।

YouVersion आपके अनुभव को वैयक्तिकृत करने के लिए कुकीज़ का उपयोग करता है। हमारी वेबसाइट का उपयोग करके, आप हमारी गोपनीयता नीति में वर्णित कुकीज़ के हमारे उपयोग को स्वीकार करते हैं।