प्रेरितों के काम 23:1-15

प्रेरितों के काम 23:1-15 HERV

पौलुस ने यहूदी महासभा पर गम्भीर दृष्टि डालते हुए कहा, “मेरे भाईयों! मैंने परमेश्वर के सामने आज तक उत्तम निष्ठा के साथ जीवन जिया है।” इस पर महायाजक हनन्याह ने पौलुस के पास खड़े लोगों को आज्ञा दी कि वे उसके मुँह पर थप्पड़ मारें। तब पौलुस ने उससे कहा, “अरे सफेदी पुती दीवार! तुझ पर परमेश्वर की मार पड़ेगी। तू यहाँ व्यवस्था के विधान के अनुसार मेरा कैसा न्याय करने बैठा है कि तू व्यवस्था के विरोध में मेरे थप्पड़ मारने की आज्ञा दे रहा है।” पौलुस के पास खड़े लोगों ने कहा, “परमेश्वर के महायाजक का अपमान करने का साहस तुझे हुआ कैसे।” पौलुस ने उत्तर दिया, “मुझे तो पता ही नहीं कि यह महायाजक है। क्योंकि शासन में लिखा है, ‘तुझे अपनी प्रजा के शासक के लिये बुरा बोल नहीं बोलना चाहिये।’” फिर जब पौलुस को पता चला कि उनमें से आधे लोग सदूकी हैं और आधे फ़रीसी तो महासभा के बीच उसने ऊँचे स्वर में कहा, “हे भाईयों, मैं फ़रीसी हूँ एक फ़रीसी का बेटा हूँ। मरने के बाद फिर से जी उठने के प्रति मेरी मान्यता के कारण मुझ पर अभियोग चलाया जा रहा है!” उसके ऐसा कहने पर फरीसियों और सदूकियों में एक विवाद उठ खड़ा हुआ और सभा के बीच फूट पड़ गयी। (सदूकियों का कहना है कि पुनरुत्थान नहीं होता न स्वर्गदूत होते हैं और न ही आत्माएँ। किन्तु फरीसियों का इनके अस्तित्त्व में विश्वास है।) वहाँ बहुत शोरगुल मचा। फरीसियों के दल में से कुछ धर्मशास्त्रि उठे और तीखी बहस करते हुए कहने लगे, “इस व्यक्ति में हम कोई खोट नहीं पाते हैं। यदि किसी आत्मा ने या किसी स्वर्गदूत ने इससे बातें की हैं तो इससे क्या?” क्योंकि यह विवाद हिंसक रूप ले चुका था, इससे वह सेनापति डर गया कि कहीं वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें। सो उसने सिपाहियों को आदेश दिया कि वे नीचे जा कर पौलुस को उनसे अलग करके छावनी में ले जायें। अगली रात प्रभु ने पौलुस के निकट खड़े होकर उससे कहा, “हिम्मत रख, क्योंकि तूने जैसे दृढ़ता के साथ यरूशलेम में मेरी साक्षी दी है, वैसे ही रोम में भी तुझे मेरी साक्षी देनी है।” फिर दिन निकले। यहूदियों ने एक षड्यन्त्र रचा। उन्होंने शपथ उठायी कि जब तक वे पौलुस को मार नहीं डालेंगे, न कुछ खायेंगे, न पियेंगे। उनमें से चालीस से भी अधिक लोगों ने यह षड्यन्त्र रचा था। वे प्रमुख याजकों और बुजुर्गों के पास गये और बोले, “हमने सौगन्ध उठाई है कि हम जब तक पौलुस को मार नहीं डालते हैं, तब तक न हमें कुछ खाना है, न पीना। तो अब तुम और यहूदी महासभा, सेनानायक से कहो कि वह उसे तुम्हारे पास ले आए यह बहाना बनाते हुए कि तुम उसके विषय में और गहराई से छानबीन करना चाहते हो। इससे पहले कि वह यहाँ पहुँचे, हम उसे मार डालने को तैयार हैं।”

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