मत्ती 2

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ज्योतिषियों का पूरब से आगमन
1हेरोदेस राजा के दिनों में जब यहूदिया के बैतलहम#2:1 बैतलहम: एक शहर जो यरूशलेम के दक्षिण से पाँच मील दूर है में यीशु का जन्म हुआ, तब, पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे, 2“यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है? क्योंकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है और उसको झुककर प्रणाम करने आए हैं।” (गिन. 24:17) 3यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साथ सारा यरूशलेम घबरा गया। 4और उसने लोगों के सब प्रधान याजकों और शास्त्रियों#2:4 शास्त्रियों: मुख्य रूप से फरीसियों का एक पंथ समझा जाता था। वे व्यवस्था के रक्षक थे। उन्हें व्यवस्थापक भी कहा जाता था क्योंकि वे महासभा में व्यवस्थापालन का दायित्व निभाते थे। को इकट्ठा करके उनसे पूछा, “मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिए?” 5उन्होंने उससे कहा, “यहूदिया के बैतलहम में; क्योंकि भविष्यद्वक्ता के द्वारा लिखा गया है:
6“हे बैतलहम, यहूदा के प्रदेश, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं; क्योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा बनेगा।” (मीका 5:2)
7तब हेरोदेस ने ज्योतिषियों को चुपके से बुलाकर उनसे पूछा, कि तारा ठीक किस समय दिखाई दिया था। 8और उसने यह कहकर उन्हें बैतलहम भेजा, “जाकर उस बालक के विषय में ठीक-ठीक मालूम करो और जब वह मिल जाए तो मुझे समाचार दो ताकि मैं भी आकर उसको प्रणाम करूँ।”
9वे राजा की बात सुनकर चले गए, और जो तारा उन्होंने पूर्व में देखा था, वह उनके आगे-आगे चला; और जहाँ बालक था, उस जगह के ऊपर पहुँचकर ठहर गया। 10उस तारे को देखकर वे अति आनन्दित हुए। (लूका 2:20) 11और उस घर में पहुँचकर उस बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा, और दण्डवत् होकर बालक#2:11 बालक: इसका मतलब “बालक” है न कि एक “शिशु” जैसा लूका 2:16 वर्णन करता है, ज्योतिषियों के आगमन के समय यीशु चरनी में नहीं था, अति सम्भव है कि वह कई महीनों का या एक वर्ष से भी अधिक आयु का हो चुका था। (देखें पद 7, 16) की आराधना की, और अपना-अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई। 12और स्वप्न में यह चेतावनी पाकर कि हेरोदेस के पास फिर न जाना, वे दूसरे मार्ग से होकर अपने देश को चले गए।
मिस्र देश को भागना
13उनके चले जाने के बाद, परमेश्वर के एक दूत ने स्वप्न में प्रकट होकर यूसुफ से कहा, “उठ! उस बालक को और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को भाग जा; और जब तक मैं तुझ से न कहूँ, तब तक वहीं रहना; क्योंकि हेरोदेस इस बालक को ढूँढ़ने पर है कि इसे मरवा डाले।”
14तब वह रात ही को उठकर बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र को चल दिया। 15और हेरोदेस के मरने तक वहीं रहा। इसलिए कि वह वचन जो प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था पूरा हो “मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया।” (होशे 11:1)
हेरोदेस द्वारा छोटे बालकों को मरवाना
16जब हेरोदेस ने यह देखा, कि ज्योतिषियों ने उसके साथ धोखा किया है, तब वह क्रोध से भर गया, और लोगों को भेजकर ज्योतिषियों से ठीक-ठीक पूछे हुए समय के अनुसार बैतलहम और उसके आस-पास के स्थानों के सब लड़कों को जो दो वर्ष के या उससे छोटे थे, मरवा डाला। 17तब जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हुआ
18“रामाह में एक करुण-नाद सुनाई दिया,
रोना और बड़ा विलाप,
राहेल अपने बालकों के लिये रो रही थी;
और शान्त होना न चाहती थी, क्योंकि वे अब नहीं रहे।” (यिर्म. 31:15)
मिस्र देश से वापसी
19हेरोदेस के मरने के बाद, प्रभु के दूत ने मिस्र में यूसुफ को स्वप्न में प्रकट होकर कहा, 20“उठ, बालक और उसकी माता को लेकर इस्राएल के देश में चला जा; क्योंकि जो बालक के प्राण लेना चाहते थे, वे मर गए।” (निर्ग. 4:19) 21वह उठा, और बालक और उसकी माता को साथ लेकर इस्राएल के देश में आया। 22परन्तु यह सुनकर कि अरखिलाउस#2:22 अरखिलाउस: हेरोदेस महान का पुत्र- यहूदा और सामरिया का शासक। अपने पिता हेरोदेस की जगह यहूदिया पर राज्य कर रहा है, वहाँ जाने से डरा; और स्वप्न में परमेश्वर से चेतावनी पाकर गलील प्रदेश में चला गया। 23और नासरत नामक नगर में जा बसा, ताकि वह वचन पूरा हो, जो भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा गया थाः “वह नासरी#2:23 नासरी: सम्भवतः प्रथम शताब्दी के शास्त्रियों तथा “तिरस्कार या घृणा” को दर्शाने वाला एक शब्द होता था (यूह. 1:46) नासरत से मसीह का आना किसी प्रकार भी एक सम्भावित स्थान नहीं था (तुलना करे यशा.53: 3; भजन 22:6) कहलाएगा।” (लूका 18:7)

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