2 इतिहास 7:11-16

2 इतिहास 7:11-16 IRVHIN

अतः सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और यहोवा के भवन में और अपने भवन में जो कुछ उसने बनाना चाहा, उसमें उसका मनोरथ पूरा हुआ। तब यहोवा ने रात में उसको दर्शन देकर उससे कहा, “मैंने तेरी प्रार्थना सुनी और इस स्थान को यज्ञ के भवन के लिये अपनाया है। यदि मैं आकाश को ऐसा बन्द करूँ, कि वर्षा न हो, या टिड्डियों को देश उजाड़ने की आज्ञा दूँ, या अपनी प्रजा में मरी फैलाऊं, तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूँगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूँगा। अब से जो प्रार्थना इस स्थान में की जाएगी, उस पर मेरी आँखें खुली और मेरे कान लगे रहेंगे। क्योंकि अब मैंने इस भवन को अपनाया और पवित्र किया है कि मेरा नाम सदा के लिये इसमें बना रहे; मेरी आँखें और मेरा मन दोनों नित्य यहीं लगे रहेंगे।