जकर्याह 7:1-10

जकर्याह 7:1-10 HINOVBSI

फिर दारा राजा के चौथे वर्ष के किसलेव नामक नौवें महीने के चौथे दिन को, यहोवा का वचन जकर्याह के पास पहुँचा। बेतेलवासियों ने शरेसेर और रेगेम्मेलेक को इसलिये भेजा था कि यहोवा से विनती करें, और सेनाओं के यहोवा के भवन के याजकों से और भविष्यद्वक्‍ताओं से भी यह पूछें, “क्या हमें उपवास करके रोना चाहिये जैसे कि कितने वर्षों से हम पाँचवें महीने में करते आए हैं?” तब सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा : “सब साधारण लोगों से और याजकों से कह, कि जब तुम इन सत्तर वर्षों के बीच पाँचवें और सातवें महीनों में उपवास और विलाप करते थे, तब क्या तुम सचमुच मेरे ही लिये उपवास करते थे? जब तुम खाते–पीते हो, तो क्या तुम अपने ही लिये नहीं खाते, और क्या अपने ही लिये नहीं पीते हो? क्या यह वही वचन नहीं है, जो यहोवा पूर्वकाल के भविष्यद्वक्‍ताओं के द्वारा उस समय पुकारकर कहता रहा जब यरूशलेम अपने चारों ओर के नगरों समेत चैन से बसा हुआ था, और दक्षिण देश और नीचे का देश भी बसा हुआ था?” फिर यहोवा का यह वचन जकर्याह के पास पहुँचा : “सेनाओं के यहोवा ने यों कहा है, खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना, न तो विधवा पर अन्धेर करना, न अनाथों पर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर; और न अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना।”

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