क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली कि फिर भयभीत हो, परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं। आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं; और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी, वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, कि जब हम उसके साथ दु:ख उठाएँ तो उसके साथ महिमा भी पाएँ।
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पांच दिन
जब हम शोर गुल और भटकाने वाली बातों से चारों और से घिरे हो, चाहे वो सोशल मीडिया, काम, दोस्त, मॉल या कोई बड़ी सेल हो, यह संभव है कि हम यह विचार करे कि हम कौन हैं| यह भक्ति पाठ आपको पीछे ले जायेगा जहाँ ये सब शुरू होता है और आप अपनी सच्ची पहचान को परमेश्वर के भय अनुसार बिताने पाएंगे|
6 दिन
यीशु हमारे साथ गहरी बातचीत करना चाहता है। आइए एकसाथ "प्रभु भोज की मेज़" पर मनन करें। नवाज डिक्रूज द्वारा ( Navaz DCruz) लिखा (और गुरमीत धनोवा द्वारा अनुवादित) यह 6 दिवसीय भक्ति–लेख आपको इस विषय की यात्रा पर ले जायेगा की हम प्रभु यीशु द्वारा स्थापित इस नबुवत भरे कार्य में क्या और इसे क्यों मनाते हैं।
7 दिन
हमारा परमपता हमारे जीवन को सर ीतु और हमारे दनो को बहुत आनंदत, उ पादक और फल!भूत बनाना चाहता है। वह हमारे जीवन के हर े& म’ सह! (नणय* लेने म’ हमार! मदद करना चाहता है। वह हमार! हर ज+रत (शार!रक, भावना मक, और आ-याि मक) को /दान करने के साथ-साथ हमार! सभी इ2छाओं को पूरा करने क5 इ2छा रखता है।
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