गिनती 13

13
कनान देश में भेदिए
(व्य 1:19–33)
1फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 2“कनान देश जिसे मैं इस्राएलियों को देता हूँ उसका भेद लेने के लिये पुरुषों को भेज; वे उनके पितरों के प्रति गोत्र के एक–एक प्रधान पुरुष हों।” 3यहोवा से यह आज्ञा पाकर मूसा ने ऐसे पुरुषों को पारान जंगल से भेज दिया, जो सब के सब इस्राएलियों के प्रधान थे। 4उनके नाम ये हैं : रूबेन के गोत्र में से जक्‍कूर का पुत्र शम्मू; 5शिमोन के गोत्र में से होरी का पुत्र शापात; 6यहूदा के गोत्र में से यपुन्ने का पुत्र कालेब; 7इस्साकार के गोत्र में से योसेप का पुत्र यिगाल; 8एप्रैम के गोत्र में से नून का पुत्र होशे; 9बिन्यामीन के गोत्र में से रापू का पुत्र पलती; 10जबूलून के गोत्र में से सोदी का पुत्र गद्दीएल; 11यूसुफ वंशियों में, मनश्शे के गोत्र में से सूसी का पुत्र गद्दी; 12दान के गोत्र में से गमल्‍ली का पुत्र अम्मीएल; 13आशेर के गोत्र में से मीकाएल का पुत्र सतूर; 14नप्‍ताली के गोत्र में से बोप्सी का पुत्र नहूबी; 15गाद के गोत्र में से माकी का पुत्र गूएल। 16जिन पुरुषों को मूसा ने देश का भेद लेने के लिये भेजा था उनके नाम ये ही हैं। और नून के पुत्र होशे का नाम उसने यहोशू रखा।
17उनको कनान देश का भेद लेने को भेजते समय मूसा ने कहा, “इधर से, अर्थात् दक्षिण देश होकर जाओ, 18और पहाड़ी देश में जाकर उस देश को देख लो कि कैसा है, और उसमें बसे हुए लोगों को भी देखो कि वे बलवान् हैं या निर्बल, थोड़े हैं या बहुत, 19और जिस देश में वे बसे हुए हैं वह कैसा है, अच्छा या बुरा, और वे कैसी कैसी बस्तियों में बसे हुए हैं, और तम्बुओं में रहते हैं या गढ़ अथवा किलों में रहते हैं, 20और वह देश कैसा है, उपजाऊ है या बंजर है, और उसमें वृक्ष हैं या नहीं। और तुम हियाव बाँधे चलो, और उस देश की उपज में से कुछ लेते भी आना।” वह समय पहली पक्‍की दाखों का था।
21इसलिये वे चल दिए, और सीन नामक जंगल से ले रहोब तक, जो हमात के मार्ग में है, सारे देश को देख–भाल कर उसका भेद लिया। 22वे दक्षिण देश होकर चले, और हेब्रोन तक गए; वहाँ अहीमन, शेशै, और तल्मै नामक अनाकवंशी रहते थे। हेब्रोन मिस्र के सोअन से सात वर्ष पहले बसाया गया था। 23तब वे एशकोल नामक नाले तक गए, और वहाँ से एक डाली दाखों के गुच्छे समेत तोड़ ली, और दो मनुष्य उसे एक लाठी पर लटकाए हुए उठा ले चले गए; और वे अनारों और अंजीरों में से भी कुछ कुछ ले आए। 24इस्राएली वहाँ से दाखों का गुच्छा तोड़ ले आए थे, इस कारण उस स्थान का नाम एशकोल#13:24 अर्थात्, दाखों का गुच्छा नाला रखा गया।
25चालीस दिन के बाद वे उस देश का भेद लेकर लौट आए। 26और पारान जंगल के कादेश नामक स्थान में मूसा और हारून और इस्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुँचे; और उनको और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उनको दिखाए। 27उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, “जिस देश में तू ने हम को भेजा था उसमें हम गए; उसमें सचमुच दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है। 28परन्तु उस देश के निवासी बलवान् हैं, और उसके नगर गढ़वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहाँ अनाकवंशियों को भी देखा। 29दक्षिण देश में अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।”
30पर कालेब ने मूसा के सामने प्रजा के लोगों को चुप कराने के विचार से कहा, “हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्‍ति है।” 31पर जो पुरुष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, “उन लोगों पर चढ़ने की शक्‍ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान् हैं।” 32और उन्होंने इस्राएलियों के सामने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, “वह देश जिसका भेद लेने को हम गए थे ऐसा है, जो अपने निवासियों को निगल जाता है; और जितने पुरुष हम ने उसमें देखे वे सब के सब बड़े डील–डौल के हैं। 33फिर हम ने वहाँ नपीलों को, अर्थात् नपीली जातिवाले अनाकवंशियों को देखा;#उत्प 6:4 और हम अपनी दृष्‍टि में उनके सामने टिड्डे के समान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्‍टि में मालूम पड़ते थे।”

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