वह फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा : और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया, और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही। और वह उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सी बातें सिखाने लगा, और अपने उपदेश में उनसे कहा, “सुनो! एक बोनेवाला बीज बोने निकला। बोते समय कुछ मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया। कुछ पथरीली भूमि पर गिरा जहाँ उसको बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया, और जब सूर्य निकला तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया। कुछ झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया, और वह फल न लाया। परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और वह उगा और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया। ” तब उसने कहा, “जिसके पास सुनने के लिये कान हों, वह सुन ले।”
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