जब सब्त का दिन बीत गया, तो मरियम मगदलीनी, और याकूब की माता मरियम, और सलोमी ने सुगन्धित वस्तुएँ मोल लीं कि आकर उस पर मलें। सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर जब सूरज निकला ही था, वे कब्र पर आईं, और आपस में कहती थीं, “हमारे लिये कब्र के द्वार पर से पत्थर कौन लुढ़काएगा?” जब उन्होंने आँख उठाई, तो देखा कि पत्थर लुढ़का हुआ है–वह बहुत ही बड़ा था। कब्र के भीतर जाकर उन्होंने एक जवान को श्वेत वस्त्र पहिने हुए दाहिनी ओर बैठे देखा, और बहुत चकित हुईं। उसने उनसे कहा, “चकित मत हो, तुम यीशु नासरी को, जो क्रूस पर चढ़ाया गया था, ढूँढ़ती हो। वह जी उठा है, यहाँ नहीं है; देखो, यही वह स्थान है, जहाँ उन्होंने उसे रखा था। परन्तु तुम जाओ, और उसके चेलों और पतरस से कहो कि वह तुम से पहले गलील को जाएगा। जैसा उसने तुम से कहा था, तुम वहीं उसे देखोगे। ” और वे निकलकर कब्र से भाग गईं; क्योंकि कँपकँपी और घबराहट उन पर छा गई थी; और उन्होंने किसी से कुछ न कहा, क्योंकि डरती थीं।
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