मत्ती 18:21-35

मत्ती 18:21-35 HINOVBSI

तब पतरस ने पास आकर उस से कहा, “हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ? क्या सात बार तक?” यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से यह नहीं कहता कि सात बार तक वरन् सात बार के सत्तर गुने तक। “इसलिये स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने दासों से लेखा लेना चाहा। जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके सामने लाया गया जो दस हज़ार तोड़े का क़र्जदार था। जबकि चुकाने को उसके पास कुछ न था, तो उसके स्वामी ने कहा, ‘यह और इसकी पत्नी और बाल–बच्‍चे और जो कुछ इसका है सब बेचा जाए, और क़र्ज चुका दिया जाए।’ इस पर उस दास ने गिरकर उसे प्रणाम किया, और कहा, ‘हे स्वामी धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूँगा।’ तब उस दास के स्वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका क़र्ज भी क्षमा कर दिया। “परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासों में से एक उस को मिला जो उसके सौ दीनार का क़र्जदार था; उसने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा और कहा, ‘जो कुछ तुझ पर क़र्ज है भर दे।’ इस पर उसका संगी दास गिरकर उससे विनती करने लगा, ‘धीरज धर, मैं सब भर दूँगा।’ उसने न माना, परन्तु जाकर उसे बन्दीगृह में डाल दिया कि जब तक क़र्ज भर न दे, तब तक वहीं रहे। उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपने स्वामी को पूरा हाल बता दिया। तब उसके स्वामी ने उस को बुलाकर उस से कहा, ‘हे दुष्‍ट दास, तू ने जो मुझ से विनती की, तो मैं ने तेरा वह पूरा क़र्ज क्षमा कर दिया। इसलिये जैसे मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था?’ और उसके स्वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्ड देनेवालों के हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब क़र्ज भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे। “इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।”

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