ऐसा हुआ कि किसी और सब्त के दिन वह आराधनालय में जाकर उपदेश करने लगा; और वहाँ एक मनुष्य था जिसका दाहिना हाथ सूखा था। शास्त्री और फरीसी उस पर दोष लगाने का अवसर पाने की ताक में थे कि देखें वह सब्त के दिन चंगा करता है कि नहीं। परन्तु वह उनके विचार जानता था; इसलिये उसने सूखे हाथवाले मनुष्य से कहा, “उठ, बीच में खड़ा हो।” वह उठ खड़ा हुआ। यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से यह पूछता हूँ कि सब्त के दिन क्या उचित है, भला करना या बुरा करना; प्राण को बचाना या नाश करना?” तब उसने चारों ओर उन सभों को देखकर उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने ऐसा ही किया, और उसका हाथ फिर चंगा हो गया। परन्तु वे आपे से बाहर होकर आपस में विवाद करने लगे कि हम यीशु के साथ क्या करें?
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सभी संस्करणों की तुलना करें: लूका 6:6-11
बारह दिन
इस 12-भाग अध्ययन योजना के माध्यम से यीशु ने अपनी शक्ति और करुणा दिखाने के तरीकों का पता लगाएं। लघु दैनिक वीडियो से उन कुछ व्यक्तियों पर प्रकाश डालते हैं जिन्हें यीशु ने ठीक किया था।
29 दिन
चश्मदीदों ने खुशखबरी बताई कि ल्यूक ने यीशु के जन्म से लेकर मृत्यु और पुनरुत्थान तक की कहानी बताई; ल्यूक ने अपनी शिक्षाओं को भी दोहराया जिसने दुनिया को बदल दिया। ल्यूक के माध्यम से दैनिक यात्रा करें क्योंकि आप ऑडियो अध्ययन सुनते हैं और भगवान के वचन से चुनिंदा छंद पढ़ते हैं।
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