फिर यीशु आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआ गलील को लौटा, और उसकी चर्चा आस पास के सारे देश में फैल गई। वह उनके आराधनालयों में उपदेश करता रहा, और सब उसकी बड़ाई करते थे। फिर वह नासरत में आया, जहाँ पाला पोसा गया था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ। यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक उसे दी गई, और उसने पुस्तक खोलकर, वह जगह निकाली जहाँ यह लिखा था : “प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ, और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूँ।” तब उसने पुस्तक बन्द करके सेवक के हाथ में दे दी और बैठ गया; और आराधनालय के सब लोगों की आँखें उस पर लगी थीं। तब वह उनसे कहने लगा, “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है। सब ने उसे सराहा, और जो अनुग्रह की बातें उसके मुँह से निकलती थीं, उनसे अचम्भित हुए; और कहने लगे, “क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं?” उसने उनसे कहा, “तुम मुझ पर यह कहावत अवश्य कहोगे कि ‘हे वैद्य, अपने आप को अच्छा कर! जो कुछ हम ने सुना है कि कफरनहूम में किया गया है, उसे यहाँ अपने देश में भी कर’।” और उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कोई भविष्यद्वक्ता अपने देश में मान–सम्मान नहीं पाता। मैं तुम से सच कहता हूँ कि एलिय्याह के दिनों में जब साढ़े तीन वर्ष तक आकाश बन्द रहा, यहाँ तक कि सारे देश में बड़ा अकाल पड़ा, तो इस्राएल में बहुत सी विधवाएँ थीं। पर एलिय्याह उनमें से किसी के पास नहीं भेजा गया, केवल सैदा के सारफत में एक विधवा के पास। और एलीशा भविष्यद्वक्ता के समय इस्राएल में बहुत से कोढ़ी थे, पर सीरियावासी नामान को छोड़ उनमें से कोई शुद्ध नहीं किया गया।” ये बातें सुनते ही जितने आराधनालय में थे, सब क्रोध से भर गए, और उठकर उसे नगर से बाहर निकाला, और जिस पहाड़ पर उनका नगर बसा हुआ था, उसकी चोटी पर ले चले कि उसे वहाँ से नीचे गिरा दें। परन्तु वह उनके बीच में से निकलकर चला गया।
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सभी संस्करणों की तुलना करें: लूका 4:14-30
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Still haven't made up your mind about God? Not really sure what you believe? Spend the next seven days exploring the Bible and see what God reveals to you about his true nature. This is your opportunity to read the story for yourself and decide what you believe. The idea of God is too important for you to still be undecided.
29 दिन
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