उस समय प्रभु का एक स्वर्गदूत धूप की वेदी की दाहिनी ओर खड़ा हुआ उसको दिखाई दिया। जकरयाह देखकर घबराया और उस पर बड़ा भय छा गया। परन्तु स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे जकरयाह, भयभीत न हो, क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गई है; और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना। तुझे आनन्द और हर्ष होगा : और बहुत लोग उसके जन्म के कारण आनन्दित होंगे, क्योंकि वह प्रभु के सामने महान् होगा; और दाखरस और मदिरा कभी न पीएगा; और अपनी माता के गर्भ ही से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाएगा; और इस्राएलियों में से बहुतेरों को उनके प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा। वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य में हो कर उसके आगे आगे चलेगा कि पितरों का मन बाल–बच्चों की ओर फेर दे; और आज्ञा न माननेवालों को धर्मियों की समझ पर लाए; और प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे।” जकरयाह ने स्वर्गदूत से पूछा, “यह मैं कैसे जानूँ? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ; और मेरी पत्नी भी बूढ़ी हो गई है।” स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “मैं जिब्राईल हूँ, जो परमेश्वर के सामने खड़ा रहता हूँ; और मैं तुझ से बातें करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूँ। देख, जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें, उस दिन तक तू मौन रहेगा और बोल न सकेगा, इसलिये कि तू ने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी, प्रतीति न की।”
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5 दिन
दुनिया के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण पल वह था जब येशु, अर्थात् इस जगत की ज्योति ने] हमारे बीच निवास करने के लिए देह धारण किया। स्वर्गदूतों ने उनके आगमन की घोषणा की] कविताएं लिखी गई] चरवाहे दौड़कर गए और मरियम ने गीत गाया! हमारे साथ एक पांच-दिवसीय यात्रा में आइए जब हम उस ज्योति का निरीक्षण करते हैं] कि इसने किस तरह से अपने आस पास के लोगों को प्रेरित किया और किस तरह से आज यह हम पर प्रभाव डालती है।
29 दिन
चश्मदीदों ने खुशखबरी बताई कि ल्यूक ने यीशु के जन्म से लेकर मृत्यु और पुनरुत्थान तक की कहानी बताई; ल्यूक ने अपनी शिक्षाओं को भी दोहराया जिसने दुनिया को बदल दिया। ल्यूक के माध्यम से दैनिक यात्रा करें क्योंकि आप ऑडियो अध्ययन सुनते हैं और भगवान के वचन से चुनिंदा छंद पढ़ते हैं।
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