“पर यदि वे अपने और अपने पितरों के अधर्म को मान लेंगे, अर्थात् उस विश्वासघात को जो वे मेरा करेंगे, और यह भी मान लेंगे कि हम यहोवा के विरुद्ध चले थे, इसी कारण वह हमारे विरुद्ध होकर हमें शत्रुओं के देश में ले आया है। यदि उस समय उनका ख़तनारहित हृदय दब जाएगा और वे उस समय अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे; तब जो वाचा मैं ने याक़ूब के संग बाँधी थी उसको मैं स्मरण करूँगा, और जो वाचा मैं ने इसहाक से और जो वाचा मैं ने अब्राहम से बाँधी थी उनको भी स्मरण करूँगा, और इस देश को भी मैं स्मरण करूँगा। पर वह देश उनसे रहित होकर सूना पड़ा रहेगा, और उनके बिना सूना रहकर भी अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा; और वे लोग अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे, इसी कारण से कि उन्होंने मेरी आज्ञाओं का उल्लंघन किया था, और उनकी आत्माओं को मेरी विधियों से घृणा थी। इतने पर भी जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे तब मैं उनको इस प्रकार नहीं छोड़ूँगा, और न उनसे ऐसी घृणा करूँगा कि उनका सर्वनाश कर डालूँ और अपनी उस वाचा को तोड़ दूँ जो मैं ने उनसे बाँधी है; क्योंकि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ; परन्तु मैं उनकी भलाई के लिये उनके पितरों से बाँधी हुई वाचा को स्मरण करूँगा; जिन्हें मैं अन्यजातियों की आँखों के सामने मिस्र देश से निकालकर लाया कि मैं उनका परमेश्वर ठहरूँ; मैं यहोवा हूँ।”
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