यूहन्ना 7:25-38

यूहन्ना 7:25-38 HINOVBSI

तब कुछ यरूशलेमवासी कहने लगे, “क्या यह वही नहीं जिसे मार डालने का प्रयत्न किया जा रहा है? परन्तु देखो, वह तो खुल्‍लमखुल्‍ला बातें करता है और कोई उससे कुछ नहीं कहता। क्या सरदारों ने सच सच जान लिया है कि यही मसीह है? इसको तो हम जानते हैं कि यह कहाँ का है; परन्तु मसीह जब आएगा तो कोई न जानेगा कि वह कहाँ का है।” तब यीशु ने मन्दिर में उपदेश देते हुए पुकार के कहा, “तुम मुझे जानते हो, और यह भी जानते हो कि मैं कहाँ का हूँ। मैं तो आप से नहीं आया, परन्तु मेरा भेजने वाला सच्‍चा है, उसको तुम नहीं जानते। मैं उसे जानता हूँ क्योंकि मैं उसकी ओर से हूँ और उसी ने मुझे भेजा है।” इस पर उन्होंने उसे पकड़ना चाहा, तौभी किसी ने उस पर हाथ न डाला क्योंकि उसका समय अब तक न आया था। फिर भी भीड़ में से बहुत से लोगों ने उस पर विश्‍वास किया, और कहने लगे, “मसीह जब आएगा तो क्या इससे अधिक आश्‍चर्यकर्म दिखाएगा जो इसने दिखाए?” फरीसियों ने लोगों को उसके विषय में ये बातें चुपके चुपके करते सुना; और प्रधान याजकों और फरीसियों ने उसे पकड़ने को सिपाही भेजे। इस पर यीशु ने कहा, “मैं थोड़ी देर तक और तुम्हारे साथ हूँ, तब अपने भेजनेवाले के पास चला जाऊँगा। तुम मुझे ढूँढ़ोगे, परन्तु नहीं पाओगे; और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।” इस पर यहूदियों ने आपस में कहा, “यह कहाँ जाएगा कि हम इसे न पाएँगे? क्या वह उनके पास जाएगा जो यूनानियों में तितर बितर होकर रहते हैं, और यूनानियों को भी उपदेश देगा? यह क्या बात है जो उसने कही, कि ‘तुम मुझे ढूँढ़ोगे, परन्तु न पाओगे; और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते’?” पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्‍वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’।”

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