“मैं तुम से सच सच कहता हूँ वह समय आता है, और अब है, जिसमें मृतक परमेश्वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे, और जो सुनेंगे वे जीएँगे। क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे; वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है। इससे अचम्भा मत करो; क्योंकि वह समय आता है कि जितने कब्रों में हैं वे उसका शब्द सुनकर निकल आएँगे। जिन्होंने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्होंने बुराई की है वे दण्ड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे। “मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता; जैसा सुनता हूँ, वैसा न्याय करता हूँ; और मेरा न्याय सच्चा है, क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूँ। यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूँ, तो मेरी गवाही सच्ची नहीं। एक और है जो मेरी गवाही देता है, और मैं जानता हूँ कि मेरी जो गवाही वह देता है, वह सच्ची है। तुम ने यूहन्ना से पुछवाया और उसने सच्चाई की गवाही दी है। परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता; तौभी मैं ये बातें इसलिये कहता हूँ कि तुम्हें उद्धार मिले। वह तो जलता और चमकता हुआ दीपक था, और तुम्हें कुछ देर तक उसकी ज्योति में मगन होना अच्छा लगा। परन्तु मेरे पास जो गवाही है वह यूहन्ना की गवाही से बड़ी है; क्योंकि जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है अर्थात् यही काम जो मैं करता हूँ, वे मेरे गवाह हैं कि पिता ने मुझे भेजा है। और पिता जिसने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है। तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है; और उसके वचन को मन में स्थिर नहीं रखते, क्योंकि जिसे उसने भेजा तुम उसका विश्वास नहीं करते। तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते। मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता। परन्तु मैं तुम्हें जानता हूँ कि तुम में परमेश्वर का प्रेम नहीं। मैं अपने पिता के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि अन्य कोई अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे। तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो एकमात्र परमेश्वर की ओर से है, नहीं चाहते, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो? यह न समझो कि मैं पिता के सामने तुम पर दोष लगाऊँगा; तुम पर दोष लगानेवाला तो मूसा है, जिस पर तुम ने भरोसा रखा है। क्योंकि यदि तुम मूसा का विश्वास करते, तो मेरा भी विश्वास करते, इसलिये कि उसने मेरे विषय में लिखा है। परन्तु यदि तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास नहीं करते, तो मेरी बातों पर कैसे विश्वास करोगे?”
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सभी संस्करणों की तुलना करें: यूहन्ना 5:25-47
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RREACH (विश्व प्रसिद्ध सेवाकाई) के अध्यक्ष और डलास थियोलॉजिकल सेमिनरी के प्रोफेसर डॉ. रमेश रिचर्ड के साथ छह दिन बिताएं, जब वे मसीह के कार्य की मृत्यु की हत्या करने वाले के रूप में छान-बीन कर रहे हैं। हालांकि शारीरिक मृत्यु हम सब के लिए वास्तविक है, लेकिन यहाँ पर आशा है- अर्थात यीशु के नाम में अनन्त जीवन।
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