दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलों में से दो जन खड़े हुए थे, और उसने यीशु पर जो जा रहा था, दृष्टि करके कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है।” तब वे दोनों चेले उसकी यह सुनकर यीशु के पीछे हो लिए। यीशु ने मुड़कर उनको पीछे आते देखा और उनसे कहा, “तुम किसकी खोज में हो?” उन्होंने उससे कहा, “हे रब्बी (अर्थात् हे गुरु), तू कहाँ रहता है?” उसने उनसे कहा, “चलो, तो देख लोगे।” तब उन्होंने जाकर उसके रहने का स्थान देखा, और उस दिन उसके साथ रहे। यह दसवें घंटे के लगभग था। उन दोनों में से, जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे, एक शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। उसने पहले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उस से कहा, “हम को ख्रिस्त, अर्थात् मसीह, मिल गया।” वह उसे यीशु के पास लाया। यीशु ने उस पर दृष्टि करके कहा, “तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है : तू कैफा* अर्थात् पतरस कहलाएगा।
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सभी संस्करणों की तुलना करें: यूहन्ना 1:35-42
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यह जानना कि हमें क्या चाहिए और हमारे लक्ष्य की ओर बढ़ना कोई बुरी बात नहीं है, बेशर्ते हम परमेश्वर के वचन की ज्योति में चल रहे हों। बहुत से लोग सही दिशा में कदम उठाते हैं और उपलब्धि हासिल करने वाले बन जाते हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग किसी काम को करने की शुरूआत तो करते हैं लेकिन अन्त में पूर्ण विराम बन जाते हैं।
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