मनश्शे ने अपने अपने गाँवों समेत बेतशान, तानाक, दोर, यिबलाम, और मगिद्दो के निवासियों को न निकाला; इस प्रकार कनानी उस देश में बसे ही रहे। परन्तु जब इस्राएली सामर्थी हुए, तब उन्होंने कनानियों से बेगारी ली, परन्तु उन्हें पूरी रीति से न निकाला। एप्रैम ने गेजेर में रहनेवाले कनानियों को न निकाला; इसलिये कनानी गेजेर में उनके बीच में बसे रहे। जबूलून ने कित्रोन और नहलोल के निवासियों को न निकाला; इसलिये कनानी उनके बीच में बसे रहे, और उनके वश में हो गए। आशेर ने अक्को, सीदोन, अहलाब, अकजीब, हेलबा, अपीक, और रहोब के निवासियों को न निकाला; इसलिये आशेरी लोग देश के निवासी कनानियों के बीच में बस गए; क्योंकि उन्होंने उनको न निकाला था। नप्ताली ने बेतशेमेश और बेतनात के निवासियों को न निकाला, परन्तु देश के निवासी कनानियों के बीच में बस गए; तौभी बेतशेमेश और बेतनात के लोग उनके वश में हो गए। एमोरियों ने दानियों को पहाड़ी देश में भगा दिया, और तराई में आने न दिया; इसलिये एमोरी हेरेस नामक पहाड़, अय्यलोन और शालबीम में बसे ही रहे, तौभी यूसुफ का घराना यहाँ तक प्रबल हो गया कि वे उनके वश में हो गए। और एमोरियों के देश की सीमा अक्रब्बीम नामक पर्वत की चढ़ाई से आरम्भ करके ऊपर की ओर थी।
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इस्राएलियों को परमेश्वर द्वारा सीधे अगुवाई पाने का अनोखा सौभाग्य प्राप्त था जिसने बाद में मूसा द्वारा कार्यप्रणाली को तैयार किया। परमेश्वर ने अगुवाई करने के लिए न्यायियों को खड़ा किया। उन्हें केवल परमेश्वर की आज्ञाओं का़ पालन करने तथा उसकी आराधना करने की ज़रूरत थी।
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