याकूब 5:16-20

याकूब 5:16-20 HINOVBSI

इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के सामने अपने–अपने पापों को मान लो, और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ : धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है। एलिय्याह भी तो हमारे समान दु:ख–सुख भोगी मनुष्य था; और उसने गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की कि मेंह न बरसे; और साढ़े तीन वर्ष तक भूमि पर मेंह नहीं बरसा। फिर उसने प्रार्थना की, तो आकाश से वर्षा हुई, और भूमि फलवन्त हुई। हे मेरे भाइयो, यदि तुम में कोई सत्य के मार्ग से भटक जाए और कोई उस को फेर लाए, तो वह यह जान ले कि जो कोई किसी भटके हुए पापी को फेर लाएगा, वह एक प्राण को मृत्यु से बचाएगा और अनेक पापों पर परदा डालेगा।

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