तब इस्राएल को यूसुफ के पुत्र देख पड़े, और उसने पूछा, “ये कौन हैं?” यूसुफ ने अपने पिता से कहा, “ये मेरे पुत्र हैं, जो परमेश्वर ने मुझे यहाँ दिए हैं।” उसने कहा, “उनको मेरे पास ले आ कि मैं उन्हें आशीर्वाद दूँ।” इस्राएल की आँखें बुढ़ापे के कारण धुन्धली हो गई थीं, यहाँ तक कि उसे कम सूझता था। तब यूसुफ उन्हें उनके पास ले गया; और उसने उन्हें चूमकर गले लगा लिया। तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, “मुझे आशा न थी कि मैं तेरा मुख फिर देखने पाऊँगा : परन्तु देख, परमेश्वर ने मुझे तेरा वंश भी दिखाया है।” तब यूसुफ ने उन्हें उसके घुटनों के बीच से हटाकर और अपने मुँह के बल भूमि पर गिरके दण्डवत् की। तब यूसुफ ने उन दोनों को लेकर, अर्थात् एप्रैम को अपने दाहिने हाथ से कि वह इस्राएल के बाएँ हाथ पड़े, और मनश्शे को अपने बाएँ हाथ से कि वह इस्राएल के दाहिने हाथ पड़े, उन्हें उसके पास ले गया। तब इस्राएल ने अपना दाहिना हाथ बढ़ाकर एप्रैम के सिर पर जो छोटा था, और अपना बायाँ हाथ बढ़ाकर मनश्शे के सिर पर रख दिया; उसने जान बूझकर ऐसा किया नहीं तो जेठा मनश्शे ही था। फिर उसने यूसुफ को आशीर्वाद देकर कहा, “परमेश्वर जिसके सम्मुख मेरे बापदादे अब्राहम और इसहाक चले, वही परमेश्वर मेरे जन्म से लेकर आज के दिन तक मेरा चरवाहा बना है; और वही दूत मुझे सारी बुराई से छुड़ाता आया है, वही अब इन लड़कों को आशीष दे; और ये मेरे और मेरे बापदादे अब्राहम और इसहाक के कहलाएँ; और पृथ्वी में बहुतायत से बढ़ें।” जब यूसुफ ने देखा कि मेरे पिता ने अपना दाहिना हाथ एप्रैम के सिर पर रखा है, तब यह बात उसको बुरी लगी; इसलिये उस ने अपने पिता का हाथ इस विचार से पकड़ लिया कि एप्रैम के सिर पर से उठाकर मनश्शे के सिर पर रख दे। और यूसुफ ने अपने पिता से कहा, “हे पिता, ऐसा नहीं; क्योंकि जेठा यही है; अपना दाहिना हाथ इसके सिर पर रख।” उसके पिता ने कहा, “नहीं; सुन, हे मेरे पुत्र, मैं इस बात को भली भाँति जानता हूँ : यद्यपि इस से भी मनुष्यों की एक मण्डली उत्पन्न होगी, और वह भी महान् हो जाएगा, तौभी इसका छोटा भाई इससे अधिक महान् हो जाएगा, और उसके वंश से बहुत सी जातियाँ निकलेंगी।”
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