एज्रा 6:13-22

एज्रा 6:13-22 HINOVBSI

तब महानद के इस पार के अधिपति तत्तनै और शतर्बोजनै और उनके सहयोगियों ने दारा राजा के चिट्ठी भेजने के कारण, उसी के अनुसार फुर्ती से काम किया। तब यहूदी पुरनिये, हाग्गै नबी और इद्दो के पोते जकर्याह के नबूवत करने से मन्दिर को बनाते रहे, और सफल भी हुए। उन्होंने इस्राएल के परमेश्‍वर की आज्ञा के अनुसार और फारस के राजा कुस्रू, दारा, और अर्तक्षत्र की आज्ञाओं के अनुसार बनाते बनाते उसे पूरा कर दिया। इस प्रकार वह भवन राजा दारा के राज्य के छठवें वर्ष में अदार महीने के तीसरे दिन को बनकर समाप्‍त हुआ। इस्राएली, अर्थात् याजक, लेवीय और अन्य जितने बँधुआई से आए थे उन्होंने परमेश्‍वर के उस भवन की प्रतिष्‍ठा उत्सव के साथ की। उस भवन की प्रतिष्‍ठा में उन्होंने एक सौ बैल, और दो सौ मेढ़े, और चार सौ मेम्ने, और फिर सब इस्राएल के निमित्त पापबलि करके इस्राएल के गोत्रों की गिनती के अनुसार बारह बकरे चढ़ाए। तब जैसा मूसा की पुस्तक में लिखा है, वैसे ही उन्होंने परमेश्‍वर की आराधना के लिये जो यरूशलेम में है, बारी बारी से याजकों और दल दल के लेवियों को नियुक्‍त कर दिया। फिर पहले महीने के चौदहवें दिन को बँधुआई से आए हुए लोगों ने फसह माना। क्योंकि याजकों और लेवियों ने एक मन होकर, अपने अपने को शुद्ध किया था; इसलिये वे सब के सब शुद्ध थे। उन्होंने बँधुआई से आए हुए सब लोगों और अपने भाई याजकों के लिये और अपने अपने लिये फसह के पशु बलि किए। तब बँधुआई से लौटे हुए इस्राएली और जितने और देश की अन्य जातियों की अशुद्धता से इसलिये अलग हो गए थे कि इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा की खोज करें, उन सभों ने भोजन किया। वे अखमीरी रोटी का पर्व सात दिन तक आनन्द के साथ मनाते रहे; क्योंकि यहोवा ने उन्हें आनन्दित किया था, और अश्शूर के राजा का मन उनकी ओर ऐसा फेर दिया कि वह परमेश्‍वर अर्थात् इस्राएल के परमेश्‍वर के भवन के काम में उनकी सहायता करे।