उपदेशक जो बुद्धिमान था, वह प्रजा को ज्ञान भी सिखाता रहा, और ध्यान लगाकर और जाँच–परख करके बहुत से नीतिवचन क्रम से रखता था। उपदेशक ने मनभावने शब्द खोजे और सीधाई से ये सच्ची बातें लिख दीं। बुद्धिमानों के वचन अंकुश के समान होते हैं, और सभाओं के प्रधानों के वचन गाड़ी हुई कीलों के समान हैं, क्योंकि एक ही चरवाहे की ओर से मिलते हैं। हे मेरे पुत्र, इन्हीं से चौकसी सीख। बहुत पुस्तकों की रचना का अन्त नहीं होता, और बहुत पढ़ना देह को थका देता है। सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्तव्य यही है। क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा।
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एक्लेसिएस्टेस सुलैमान के जीवन की एक नाटकीय आत्मकथा है जब वह ईश्वर के बिना खुश रहने की कोशिश कर रहा था। एक्लेसिएस्टेस के माध्यम से दैनिक यात्रा पर आप ऑडियो अध्ययन सुनते हैं और भगवान के वचन से चुनिंदा छंद पढ़ते हैं।
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