व्यवस्थाविवरण 15:7-11

व्यवस्थाविवरण 15:7-11 HINOVBSI

“जो देश तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे देता है उसके किसी फाटक के भीतर यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास दरिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; जिस वस्तु की घटी उसको हो, उसकी जितनी आवश्यकता हो उतना अवश्य अपना हाथ ढीला करके उसको उधार देना। सचेत रह कि तेरे मन में ऐसी अधम चिन्ता न समाए, कि सातवाँ वर्ष जो छुटकारे का वर्ष है वह निकट है, और अपनी दृष्‍टि तू अपने उस दरिद्र भाई की ओर से क्रूर करके उसे कुछ न दे, और वह तेरे विरुद्ध यहोवा की दोहाई दे, तो यह तेरे लिये पाप ठहरेगा। तू उसको अवश्य देना, और उसे देते समय तेरे मन को बुरा न लगे; क्योंकि इसी बात के कारण तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे सब कामों में जिनमें तू अपना हाथ लगाएगा तुझे आशीष देगा। तेरे देश में दरिद्र तो सदा पाए जाएँगे; इसलिये मैं तुझे यह आज्ञा देता हूँ, कि तू अपने देश में अपने दीन–दरिद्र भाइयों को अपना हाथ ढीला करके अवश्य दान देना।

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