इससे पहले उस नगर में शमौन नामक एक मनुष्य था, जो जादू–टोना करके सामरिया के लोगों को चकित करता और अपने आप को एक बड़ा पुरुष बताता था। छोटे से बड़े तक सब उसका सम्मान कर कहते थे, “यह मनुष्य परमेश्वर की वह शक्ति है, जो महान् कहलाती है।” उसने बहुत दिनों से उन्हें अपने जादू के कामों से चकित कर रखा था, इसी लिये वे उसको बहुत मानते थे। परन्तु जब उन्होंने फिलिप्पुस का विश्वास किया जो परमेश्वर के राज्य और यीशु के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरुष, क्या स्त्री, बपतिस्मा लेने लगे। तब शमौन ने स्वयं भी विश्वास किया और बपतिस्मा लेकर फिलिप्पुस के साथ रहने लगा। वह चिह्न और बड़े–बड़े सामर्थ्य के काम होते देखकर चकित होता था। जब प्रेरितों ने जो यरूशलेम में थे, सुना कि सामरियों ने परमेश्वर का वचन मान लिया है तो पतरस और यूहन्ना को उनके पास भेजा। उन्होंने जाकर उनके लिये प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा पाएँ। क्योंकि वह अब तक उनमें से किसी पर न उतरा था; उन्होंने तो केवल प्रभु यीशु के नाम में बपतिस्मा लिया था। तब उन्होंने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया। जब शमौन ने देखा कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है, तो उनके पास रुपये लाकर कहा, “यह अधिकार मुझे भी दो, कि जिस किसी पर हाथ रखूँ वह पवित्र आत्मा पाए।” पतरस ने उससे कहा, “तेरे रुपये तेरे साथ नष्ट हों, क्योंकि तू ने परमेश्वर का दान रुपयों से मोल लेने का विचार किया।
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