प्रेरितों 26:4-23

प्रेरितों 26:4-23 HINOVBSI

“मेरा चाल–चलन आरम्भ से अपनी जाति के बीच और यरूशलेम में जैसा था, वह सब यहूदी जानते हैं। यदि वे गवाही देना चाहें, तो आरम्भ से मुझे पहिचानते हैं कि मैं फरीसी होकर अपने धर्म के सबसे खरे पन्थ के अनुसार चला। और अब उस प्रतिज्ञा में आशा के कारण जो परमेश्‍वर ने हमारे बापदादों से की थी, मुझ पर मुक़द्दमा चल रहा है। उसी प्रतिज्ञा के पूरे होने की आशा लगाए हुए, हमारे बारहों गोत्र अपने सारे मन से रात–दिन परमेश्‍वर की सेवा करते आए हैं। हे राजा, इसी आशा के विषय में यहूदी मुझ पर दोष लगाते हैं। जबकि परमेश्‍वर मरे हुओं को जिलाता है, तो तुम्हारे यहाँ यह बात क्यों विश्‍वास के योग्य नहीं समझी जाती? “मैं ने भी समझा था कि यीशु नासरी के नाम के विरोध में मुझे बहुत कुछ करना चाहिए। और मैं ने यरूशलेम में ऐसा ही किया; और प्रधान याजकों से अधिकार पाकर बहुत से पवित्र लोगों को बन्दीगृह में डाला, और जब वे मार डाले जाते थे तो मैं भी उनके विरोध में अपनी सम्मति देता था। हर आराधनालय में मैं उन्हें ताड़ना दिला दिलाकर यीशु की निन्दा करवाता था, यहाँ तक कि क्रोध के मारे ऐसा पागल हो गया कि बाहर के नगरों में भी जाकर उन्हें सताता था। “इसी धुन में जब मैं प्रधान याजकों से अधिकार और आज्ञा–पत्र लेकर दमिश्क को जा रहा था; तो हे राजा, मार्ग में दोपहर के समय मैं ने आकाश से सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक ज्योति, अपने और अपने साथ चलनेवालों के चारों ओर चमकती हुई देखी। जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, तो मैं ने इब्रानी भाषा में, मुझ से यह कहते हुए एक शब्द सुना, ‘हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है।’ मैं ने कहा, ‘हे प्रभु, तू कौन है?’ प्रभु ने कहा, ‘मैं यीशु हूँ, जिसे तू सताता है। परन्तु तू उठ, अपने पाँवों पर खड़ा हो; क्योंकि मैं ने तुझे इसलिये दर्शन दिया है कि तुझे उन बातों का भी सेवक और गवाह ठहराऊँ, जो तू ने देखी हैं, और उनका भी जिनके लिये मैं तुझे दर्शन दूँगा। और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूँगा, जिनके पास मैं अब तुझे इसलिये भेजता हूँ कि तू उनकी आँखें खोले कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्‍वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्‍वास करने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएँ।’ “अत: हे राजा अग्रिप्पा, मैं ने उस स्वर्गीय दर्शन की बात न टाली, परन्तु पहले दमिश्क के, फिर यरूशलेम के, और तब यहूदिया के सारे देश के रहनेवालों को, और अन्यजातियों को समझाता रहा, कि मन फिराओ और परमेश्‍वर की ओर फिर कर मन फिराव के योग्य काम करो। इन बातों के कारण यहूदी मुझे मन्दिर में पकड़ के मार डालने का यत्न करते थे। परन्तु परमेश्‍वर की सहायता से मैं आज तक बना हूँ और छोटे बड़े सभी के सामने गवाही देता हूँ, और उन बातों को छोड़ कुछ नहीं कहता जो भविष्यद्वक्‍ताओं और मूसा ने भी कहा कि होनेवाली हैं, कि मसीह को दु:ख उठाना होगा, और वही सबसे पहले मरे हुओं में से जी उठकर, हमारे लोगों में और अन्यजातियों में ज्योति का प्रचार करेगा।”