प्रेरितों 11:1-30

प्रेरितों 11:1-30 HINOVBSI

फिर प्रेरितों और भाइयों ने जो यहूदिया में थे सुना कि अन्यजातियों ने भी परमेश्‍वर का वचन मान लिया है। अत: जब पतरस यरूशलेम में आया, तो खतना किए हुए लोग उससे वाद–विवाद करने लगे, “तू ने खतनारहित लोगों के यहाँ जाकर उनके साथ खाया।” तब पतरस ने उन्हें आरम्भ से क्रमानुसार कह सुनाया : “मैं याफा नगर में प्रार्थना कर रहा था, और बेसुध होकर एक दर्शन देखा कि एक पात्र, बड़ी चादर के समान चारों कोनों से लटकाया हुआ, आकाश से उतरकर मेरे पास आया। जब मैं ने उस पर ध्यान किया, तो उसमें पृथ्वी के चौपाए और वनपशु और रेंगनेवाले जन्तु और आकाश के पक्षी देखे; और यह शब्द भी सुना, ‘हे पतरस उठ, मार और खा।’ मैं ने कहा, ‘नहीं प्रभु, नहीं; क्योंकि कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मेरे मुँह में कभी नहीं गई।’ इसके उत्तर में आकाश से दूसरी बार शब्द हुआ, ‘जो कुछ परमेश्‍वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे अशुद्ध मत कह।’ तीन बार ऐसा ही हुआ; तब सब कुछ फिर आकाश पर खींच लिया गया। और देखो, तुरन्त तीन मनुष्य जो कैसरिया से मेरे पास भेजे गए थे, उस घर पर जिसमें हम थे, आ खड़े हुए। तब आत्मा ने मुझ से उनके साथ नि:संकोच हो लेने को कहा, और ये छ: भाई भी मेरे साथ हो लिए; और हम उस मनुष्य के घर गए। उसने हमें बताया, कि उसने एक स्वर्गदूत को अपने घर में खड़ा देखा, जिसने उससे कहा, ‘याफा में मनुष्य भेजकर शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले। वह तुम से ऐसी बातें कहेगा, जिनके द्वारा तू और तेरा सारा घराना उद्धार पाएगा।’ जब मैं बातें करने लगा, तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था। तब मुझे प्रभु का वह वचन स्मरण आया; जो उसने कहा था, ‘यूहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया, परन्तु तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।’ अत: जब परमेश्‍वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास करने से मिला था; तो मैं कौन था जो परमेश्‍वर को रोक सकता?” यह सुनकर वे चुप रहे, और परमेश्‍वर की बड़ाई करके कहने लगे, “तब तो परमेश्‍वर ने अन्यजातियों को भी जीवन के लिये मन फिराव का दान दिया है।” जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर–बितर हो गए थे, वे फिरते–फिरते फीनीके और साइप्रस और अन्ताकिया में पहुँचे; परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को वचन न सुनाते थे। परन्तु उनमें से कुछ साइप्रसवासी और कुरेनी थे, जो अन्ताकिया में आकर यूनानियों को भी प्रभु यीशु के सुसमाचार की बातें सुनाने लगे। प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्‍वास करके प्रभु की ओर फिरे। जब उनकी चर्चा यरूशलेम की कलीसिया के सुनने में आई, तो उन्होंने बरनबास को अन्ताकिया भेजा। वह वहाँ पहुँचकर और परमेश्‍वर के अनुग्रह को देखकर आनन्दित हुआ, और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहो। वह एक भला मनुष्य था, और पवित्र आत्मा और विश्‍वास से परिपूर्ण था; और अन्य बहुत से लोग प्रभु में आ मिले। तब वह शाऊल को ढूँढ़ने के लिये तरसुस को चला गया। जब वह उससे मिला तो उसे अन्ताकिया लाया; और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत लोगों को उपदेश देते रहे; और चेले सबसे पहले अन्ताकिया ही में मसीही कहलाए। उन्हीं दिनों में कई भविष्यद्वक्‍ता यरूशलेम से अन्ताकिया आए। उनमें से अगबुस नामक एक ने खड़े होकर आत्मा की प्रेरणा से यह बताया कि सारे जगत में बड़ा अकाल पड़ेगा – वह अकाल क्लौदियुस के समय में पड़ा। तब चेलों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी–अपनी पूंजी के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सहायता के लिये कुछ भेजे। उन्होंने ऐसा ही किया; और बरनबास और शाऊल के हाथ प्राचीनों के पास कुछ भेज दिया।