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प्रार्थना करने का अनुरोध
1अन्त में, हे भाइयो, हमारे लिये प्रार्थना किया करो कि प्रभु का वचन ऐसा शीघ्र फैले और महिमा पाए, जैसा तुम में हुआ, 2और हम टेढ़े और दुष्ट मनुष्यों से बचे रहें क्योंकि हर एक में विश्वास नहीं।
3परन्तु प्रभु सच्चा#3:3 यू० विश्वासयोग्य है; वह तुम्हें दृढ़ता से स्थिर करेगा और उस दुष्ट#3:3 या बुराई से सुरक्षित रखेगा। 4हमें प्रभु में तुम्हारे ऊपर भरोसा है कि जो–जो आज्ञा हम तुम्हें देते हैं, उन्हें तुम मानते हो, और मानते भी रहोगे। 5परमेश्वर के प्रेम और मसीह के धीरज की ओर प्रभु तुम्हारे मन की अगुआई करे।
कार्य करने का उत्तरदायित्व
6हे भाइयो, हम तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देते हैं कि तुम हर एक ऐसे भाई से अलग रहो जो अनुचित चाल चलता और जो शिक्षा उसने हम से पाई उसके अनुसार नहीं करता। 7क्योंकि तुम आप जानते हो कि किस रीति से हमारी सी चाल चलनी चाहिए, क्योंकि हम तुम्हारे बीच में अनुचित चाल न चले, 8और किसी की रोटी मुफ़्त में न खाई; पर परिश्रम और कष्ट से रात दिन काम धन्धा करते थे कि तुम में से किसी पर भार न हो। 9यह नहीं कि हमें अधिकार नहीं, पर इसलिये कि अपने आप को तुम्हारे लिये आदर्श ठहराएँ कि तुम हमारी सी चाल चलो। 10क्योंकि जब हम तुम्हारे यहाँ थे, तब भी यह आज्ञा तुम्हें देते थे कि यदि कोई काम करना न चाहे तो खाने भी न पाए। 11हम सुनते हैं कि कुछ लोग तुम्हारे बीच में अनुचित चाल चलते हैं, और कुछ काम नहीं करते पर दूसरों के काम में हाथ डाला करते हैं। 12ऐसों को हम प्रभु यीशु मसीह में आज्ञा देते और समझाते हैं कि चुपचाप काम करके अपनी ही रोटी खाया करें। 13तुम, हे भाइयो, भलाई करने में साहस न छोड़ो।
14यदि कोई हमारी इस पत्री की बात को न माने तो उस पर दृष्टि रखो, और उसकी संगति न करो, जिससे वह लज्जित हो। 15तौभी उसे बैरी मत समझो, पर भाई जानकर चिताओ।
अन्तिम नमस्कार
16अब प्रभु जो शान्ति का सोता है आप ही तुम्हें सदा और हर प्रकार से शान्ति दे। प्रभु तुम सब के साथ रहे।
17मैं, पौलुस, अपने हाथ से नमस्कार लिखता हूँ। हर पत्री में मेरा यही चिह्न है; मैं इसी प्रकार से लिखता हूँ। 18हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम सब पर होता रहे।