2 राजाओं 23

23
योशिय्याह का मूर्तिपूजा बन्द कराना
(2 इति 34:3–7,29–33)
1राजा ने यहूदा और यरूशलेम के सब पुरनियों को अपने पास बुलाकर इकट्ठा किया। 2तब राजा, यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और नबियों वरन् छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग लेकर यहोवा के भवन में गया। उसने जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी, उसकी सब बातें उनको पढ़कर सुनाईं। 3तब राजा ने खम्भे के पास खड़े होकर यहोवा से इस आशय की वाचा बाँधी, कि मैं यहोवा के पीछे पीछे चलूँगा, और अपने सारे मन और सारे प्राण से उसकी आज्ञाएँ, चितौनियाँ और विधियों का नित पालन किया करूँगा, और इस वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी हैं पूरी करूँगा; और सारी प्रजा वाचा में सम्भागी#23:3 मूल में, खड़ी हुई।
4तब राजा ने हिलकिय्याह महायाजक और उसके नीचे के याजकों और द्वारपालों को आज्ञा दी कि जितने पात्र बाल और अशेरा और आकाश के सारे गणों के लिये बने हैं, उन सभों को यहोवा के मन्दिर में से निकाल ले आओ। तब उसने उनको यरूशलेम के बाहर किद्रोन के खेतों में फूँककर उनकी राख बेतेल को पहुँचा दी। 5जिन पुजारियों को यहूदा के राजाओं ने यहूदा के नगरों के ऊँचे स्थानों में और यरूशलेम के आस पास के स्थानों में धूप जलाने के लिये ठहराया था, उनको और जो बाल और सूर्य– चन्द्रमा, राशिचक्र और आकाश के सारे गणों को धूप जलाते थे, उनको भी राजा ने दूर कर दिया। 6वह अशेरा को यहोवा के भवन में से निकालकर यरूशलेम के बाहर किद्रोन नाले में ले गया और वहीं उसको फूँक दिया, और पीसकर बुकनी कर दिया। तब वह बुकनी साधारण लोगों की कबरों पर फेंक दी।#2 राजा 21:3; 2 इति 33:3 7फिर पुरुषगामियों के घर जो यहोवा के भवन में थे, जहाँ स्त्रियाँ अशेरा के लिये परदे बुना करती थीं, उनको उसने ढा दिया। 8उसने यहूदा के सब नगरों से याजकों को बुलवाकर गेबा से बेर्शेबा तक के उन ऊँचे स्थानों को, जहाँ उन याजकों ने धूप जलाया था, अशुद्ध कर दिया, और फाटकों के ऊँचे स्थान अर्थात् जो स्थान नगर के यहोशू नामक हाकिम के फाटक पर थे, और नगर के फाटक के भीतर जानेवाले के बाईं ओर थे, उनको उसने ढा दिया। 9तौभी ऊँचे स्थानों के याजक यरूशलेम में यहोवा की वेदी के पास न आए, वे अखमीरी रोटी अपने भाइयों के साथ खाते थे। 10फिर उसने तोपेत को जो हिन्नोमवंशियों की तराई में था, अशुद्ध कर दिया, ताकि कोई अपने बेटे या बेटी को मोलेक के लिये आग में होम करके न चढ़ाए।#लैव्य 18:21; यिर्म 7:31; 19:1–6; 32:35 11जो घोड़े यहूदा के राजाओं ने सूर्य को अर्पण करके, यहोवा के भवन के द्वार पर नतन्मेलेक नामक खोजे की बाहर की कोठरी में रखे थे, उनको उसने दूर किया, और सूर्य के रथों को आग में फूँक दिया। 12आहाज की अटारी की छत पर जो वेदियाँ यहूदा के राजाओं की बनाई हुई थीं, और जो वेदियाँ मनश्शे ने यहोवा के भवन के दोनों आँगनों में बनाई थीं,#2 राजा 21:5; 2 इति 33:5 उनको राजा ने ढाकर पीस डाला और उनकी बुकनी किद्रोन नाले में फेंक दी। 13जो ऊँचे स्थान इस्राएल के राजा सुलैमान ने यरूशलेम के पूर्व की ओर और विकारी नामक पहाड़ी के दक्खिन ओर, अश्तोरेत नामक सीदोनियों की घिनौनी देवी, और कमोश नामक मोआबियों के घिनौने देवता, और मिल्कोम नामक अम्मोनियों के घिनौने देवता के लिये बनवाए थे,#1 राजा 11:7 उनको राजा ने अशुद्ध कर दिया। 14उसने लाठों को तोड़ दिया और अशेरों को काट डाला, और उनके स्थान मनुष्यों की हड्डियों से भर दिए।
15फिर बेतेल में जो वेदी थी, और जो ऊँचा स्थान नबात के पुत्र यारोबाम ने बनाया था,#1 राजा 12:33 जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उस वेदी और उस ऊँचे स्थान को उसने ढा दिया, और ऊँचे स्थान को फूँककर बुकनी कर दिया और अशेरा को फूँक दिया। 16तब योशिय्याह ने मुड़ कर वहाँ के पहाड़ की कबरों को देखा, और लोगों को भेजकर उन कबरों से हड्डियाँ निकलवा दीं और वेदी पर जलवाकर उसको अशुद्ध किया।#1 राजा 13:2 यह यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ, जो परमेश्‍वर के उस भक्‍त ने पुकारकर कहा था, जिसने इन्हीं बातों की चर्चा की थी। 17तब उसने पूछा, “जो खम्भा मुझे दिखाई पड़ता है, वह क्या है?” तब नगर के लोगों ने उससे कहा, “वह परमेश्‍वर के उस भक्‍त जन की कबर है, जिसने यहूदा से आकर इसी काम की चर्चा पुकारकर की थी, जो तू ने बेतेल की वेदी से किया है।”#1 राजा 13:30–32 18तब उसने कहा, “उसको छोड़ दो, उसकी हड्डियों को कोई न हटाए।” तब उन्होंने उसकी हड्डियाँ उस नबी की हड्डियों के संग जो शोमरोन से आया था, रहने दीं। 19फिर ऊँचे स्थान के जितने भवन शोमरोन के नगरों में थे, जिनको इस्राएल के राजाओं ने बनाकर यहोवा को रिस दिलाई थी, उन सभों को योशिय्याह ने गिरा दिया, और जैसा जैसा उसने बेतेल में किया था, वैसा वैसा उनसे भी किया। 20उन ऊँचे स्थानों के जितने याजक वहाँ थे उन सभों को उसने उन्हीं वेदियों पर बलि किया और उन पर मनुष्यों की हड्डियाँ जलाकर यरूशलेम को लौट गया।
योशिय्याह का फसह–पर्व मानना
(2 इति 35:1–19)
21राजा ने सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, “इस वाचा की पुस्तक में जो कुछ लिखा है, उसके अनुसार अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये फसह का पर्व मानो।” 22निश्‍चय ऐसा फसह न तो न्यायियों के दिनों में माना गया था जो इस्राएल का न्याय करते थे, और न इस्राएल या यहूदा के राजाओं के दिनों में माना गया था। 23राजा योशिय्याह के अठारहवें वर्ष में यहोवा के लिये यरूशलेम में यह फसह माना गया।
योशिय्याह के अन्य सुधार
24फिर ओझे, भूतसिद्धिवाले, गृहदेवता, मूरतें और जितनी घिनौनी वस्तुएँ यहूदा देश और यरूशलेम में जहाँ कहीं दिखाई पड़ीं, उन सभों को योशिय्याह ने इस विचार से नष्‍ट किया, कि व्यवस्था की जो बातें उस पुस्तक में लिखी थीं जो हिलकिय्याह याजक को यहोवा के भवन में मिली थी, उनको वह पूरी करे। 25उसके तुल्य न तो उस से पहले कोई ऐसा राजा हुआ और न उसके बाद ऐसा कोई राजा उठा, जो मूसा की पूरी व्यवस्था के अनुसार अपने पूर्ण मन और पूर्ण प्राण और पूर्ण शक्‍ति से यहोवा की ओर फिरा हो।
26तौभी यहोवा का भड़का हुआ बड़ा कोप शान्त न हुआ, जो इस कारण से यहूदा पर भड़का था, कि मनश्शे ने यहोवा को क्रोध पर क्रोध दिलाया था। 27यहोवा ने कहा था, “जैसे मैं ने इस्राएल को अपने सामने से दूर किया, वैसे ही यहूदा को भी दूर करूँगा, और इस यरूशलेम नगर, जिसे मैं ने चुना, और इस भवन, जिसके विषय मैं ने कहा कि यह मेरे नाम का निवास होगा, के विरुद्ध मैं हाथ उठाऊँगा।
योशिय्याह के राज्य का अन्त
(2 इति 35:20—36:1)
28योशिय्याह के और सब काम जो उसने किए, वह क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं? 29उसके दिनों में फ़िरौन–नको नामक मिस्र का राजा अश्शूर के राजा की सहायता करने फरात महानद तक गया तो योशिय्याह राजा भी उसका सामना करने को गया, और फ़िरौन–नको ने उसको देखते ही मगिद्दो में मार डाला। 30तब उसके कर्मचारियों ने उसका शव एक रथ पर रख मगिद्दो से ले जाकर यरूशलेम को पहुँचाया और उसकी निज कबर में रख दिया। तब साधारण लोगों ने योशिय्याह के पुत्र यहोआहाज को लेकर उसका अभिषेक करके, उसके पिता के स्थान पर राजा नियुक्‍त किया।
यहूदा का राजा यहोआहाज
(2 इति 36:2–4)
31जब यहोआहाज राज्य करने लगा, तब वह तेईस वर्ष का था, और तीन महीने तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम हमूतल था, जो लिब्नावासी यिर्मयाह की बेटी थी। 32उसने ठीक अपने पुरखाओं के समान वही किया, जो यहोवा की दृष्‍टि में बुरा है। 33उसको फ़िरौन–नको ने हमात देश के रिबला नगर में बन्दी बना लिया, ताकि वह यरूशलेम में राज्य न करने पाए; फिर उसने देश पर सौ किक्‍कार#23:33 अर्थात्, लगभग 3.75 टन चाँदी और किक्‍कार#23:33 अर्थात्, लगभग 34 किलोग्राम भर सोना जुरमाना किया। 34तब फ़िरौन–नको ने योशिय्याह के पुत्र एल्याकीम को उसके पिता योशिय्याह के स्थान पर राजा नियुक्‍त किया, और उसका नाम बदलकर यहोयाकीम रखा। परन्तु यहोआहाज को वह ले गया; और यहोआहाज मिस्र में जाकर वहीं मर गया।#यिर्म 22:11,12
यहूदा का राजा यहोयाकीम
(2 इति 36:5–8)
35यहोयाकीम ने फ़िरौन को वह चाँदी और सोना तो दिया परन्तु देश पर इसलिये कर लगाया कि फ़िरौन की आज्ञा के अनुसार उसे दे सके, अर्थात् देश के सब लोगों से जितना जिस पर लगान लगा, उतनी चाँदी और सोना उससे फ़िरौन–नको को देने के लिये ले लिया।
36जब यहोयाकीम राज्य करने लगा, तब वह पच्‍चीस वर्ष का था, और ग्यारह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम जबीदा था जो रूमावासी अदायाह की बेटी थी।#यिर्म 22:18,19; 26:1–6; 35:1–19 37उसने ठीक अपने पुरखाओं के समान वह किया जो यहोवा की दृष्‍टि में बुरा है।

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