2 कुरिन्थियों 7:8-13

2 कुरिन्थियों 7:8-13 HINOVBSI

क्योंकि यद्यपि मैं ने अपनी पत्री से तुम्हें शोकित किया, परन्तु उससे पछताता नहीं जैसा कि पहले पछताता था, क्योंकि मैं देखता हूँ कि उस पत्री से तुम्हें शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिये था। अब मैं आनन्दित हूँ पर इसलिये नहीं कि तुम को शोक पहुँचा, वरन् इसलिये कि तुम ने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार था कि हमारी ओर से तुम्हें किसी बात में हानि न पहुँचे। क्योंकि परमेश्‍वर–भक्‍ति का शोक ऐसा पश्‍चाताप उत्पन्न करता है जिसका परिणाम उद्धार है और फिर उससे पछताना नहीं पड़ता। परन्तु सांसारिक शोक मृत्यु उत्पन्न करता है। अत: देखो, इसी बात से कि तुम्हें परमेश्‍वर–भक्‍ति का शोक हुआ तुम में कितना उत्साह और प्रत्युत्तर और रिस, और भय, और लालसा, और धुन और दण्ड देने का विचार उत्पन्न हुआ? तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया कि तुम इस बात में निर्दोष हो। फिर मैं ने जो तुम्हारे पास लिखा था, वह न तो उसके कारण लिखा जिसने अन्याय किया और न उसके कारण जिस पर अन्याय किया गया, परन्तु इसलिये कि तुम्हारा उत्साह जो हमारे लिये है, वह परमेश्‍वर के सामने तुम पर प्रगट हो जाए। इसलिये हमें शान्ति मिली। हमारी इस शान्ति के साथ तीतुस के आनन्द के कारण और भी आनन्द हुआ क्योंकि उसका जी तुम सब के कारण हरा–भरा हो गया है।