2 इतिहास 27

27
यहूदा में योताम का राज्य
(2 राजा 15:32–38)
1जब योताम राज्य करने लगा तब वह पच्‍चीस वर्ष का था, और यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम यरूशा था, जो सादोक की बेटी थी। 2उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्‍टि में ठीक है, अर्थात् जैसा उसके पिता उज्जिय्याह ने किया था, ठीक वैसा ही उसने भी किया : तौभी वह यहोवा के मन्दिर में न घुसा; और प्रजा के लोग तब भी बिगड़ी चाल चलते थे। 3उसी ने यहोवा के भवन के ऊपरवाले फाटक को बनाया, और ओपेल की शहरपनाह पर बहुत कुछ बनवाया। 4फिर उसने यहूदा के पहाड़ी देश में कई नगर दृढ़ किए, और जंगलों में गढ़ और गुम्मट बनाए। 5वह अम्मोनियों के राजा से युद्ध करके उन पर प्रबल हो गया। उसी वर्ष अम्मोनियों ने उसको सौ किक्‍कार#27:5 अर्थात्, लगभग 3.75 टन चाँदी, और दस दस हज़ार कोर#27:5 अर्थात्, लगभग 1000 टन गेहूँ और जौ दिया। फिर दूसरे और तीसरे वर्ष में भी उन्होंने उसे उतना ही दिया। 6यों योताम सामर्थी हो गया, क्योंकि वह अपने आप को अपने परमेश्‍वर यहोवा के सम्मुख जानकर सीधी चाल चलता था। 7योताम के और काम और उसके सब युद्ध और उसकी चाल चलन, इन सब बातों का वर्णन इस्राएल और यहूदा के राजाओं के इतिहास में लिखा है। 8जब वह राजा हुआ, तब पच्‍चीस वर्ष का था; और वह यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा। 9अन्त में योताम अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसे दाऊदपुर में मिट्टी दी गई। उसका पुत्र आहाज उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

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