1 शमूएल 9:15-27

1 शमूएल 9:15-27 HINOVBSI

शाऊल के आने से एक दिन पहले यहोवा ने शमूएल को यह चिता रखा था, “कल इसी समय मैं तेरे पास बिन्यामीन के देश से एक पुरुष को भेजूँगा, उसी को तू मेरी इस्राएली प्रजा के ऊपर प्रधान होने के लिये अभिषेक करना। और वह मेरी प्रजा को पलिश्तियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्योंकि मैं ने अपनी प्रजा पर कृपादृष्‍टि की है, इसलिये कि उनकी चिल्‍लाहट मेरे पास पहुँची है।” फिर जब शमूएल को शाऊल दिखाई पड़ा, तब यहोवा ने उससे कहा, “जिस पुरुष की चर्चा मैं ने तुझ से की थी वह यही है; मेरी प्रजा पर यही अधिकार करेगा।” तब शाऊल फाटक में शमूएल के निकट जाकर कहने लगा, “मुझे बता कि दर्शी का घर कहाँ है?” उसने कहा, “दर्शी तो मैं हूँ; मेरे आगे आगे ऊँचे स्थान पर चढ़ जा, क्योंकि आज के दिन तुम मेरे साथ भोजन खाओगे, और सबेरे जो कुछ तेरे मन में हो वह सब कुछ मैं तुझे बताकर विदा करूँगा। और तेरी गदहियाँ जो तीन दिन हुए खो गई थीं उनकी कुछ भी चिन्ता न कर, क्योंकि वे मिल गई हैं। इस्राएल में जो कुछ मनभाऊ है वह किस का है? क्या वह तेरा और तेरे पिता के सारे घराने का नहीं है?” शाऊल ने उत्तर देकर कहा, “क्या मैं बिन्यामीनी, अर्थात् सब इस्राएली गोत्रों में से छोटे गोत्र का नहीं हूँ? और क्या मेरा कुल बिन्यामीन के गोत्र के सारे कुलों में से छोटा नहीं है? इसलिये तू मुझ से ऐसी बातें क्यों कहता है?” तब शमूएल ने शाऊल और उसके सेवक को कोठरी में पहुँचाकर आमन्त्रित लोगों, जो लगभग तीस जन थे, उनके साथ मुख्य स्थान पर बैठा दिया। फिर शमूएल ने रसोइये से कहा, “जो टुकड़ा मैं ने तुझे देकर, अपने पास रख छोड़ने को कहा था, उसे ले आ।” तो रसोइये ने जाँघ को मांस समेत उठाकर शाऊल के आगे धर दिया; तब शमूएल ने कहा, “जो रखा गया था उसे देख, और अपने सामने रख के खा; क्योंकि वह तेरे लिये इसी नियत समय तक, जिसकी चर्चा करके मैं ने लोगों को न्योता दिया, रखा हुआ है।” शाऊल ने उस दिन शमूएल के साथ भोजन किया। तब वे ऊँचे स्थान से उतरकर नगर में आए, और उसने घर की छत पर शाऊल से बातें कीं। सबेरे वे तड़के उठे, और पौ फटते फटते शमूएल ने शाऊल को छत पर बुलाकर कहा, “उठ, मैं तुझ को विदा करूँगा।” तब शाऊल उठा, और वह और शमूएल दोनों बाहर निकल गए। और नगर के सिरे की उतराई पर चलते चलते शमूएल ने शाऊल से कहा, “अपने सेवक को हम से आगे बढ़ने की आज्ञा दे, (वह आगे बढ़ गया,) परन्तु तू अभी खड़ा रह कि मैं तुझे परमेश्‍वर का वचन सुनाऊँ।”