तीसरे दिन जब दाऊद अपने जनों समेत सिकलग पहुँचा, तब उन्होंने क्या देखा, कि अमालेकियों ने दक्खिन देश और सिकलग पर चढ़ाई की, और सिकलग को मार के फूँक दिया, और उसमें की स्त्री आदि छोटे बड़े जितने थे, सब को बन्दी बना कर ले गए; उन्होंने किसी को मार तो नहीं डाला, परन्तु सभों को लेकर अपना मार्ग लिया। इसलिये जब दाऊद अपने जनों समेत उस नगर में पहुँचा, तब नगर तो जला पड़ा था, और स्त्रियाँ और बेटे–बेटियाँ बन्दी बनाकर ले जाए गए थे। तब दाऊद और वे लोग जो उसके साथ थे चिल्लाकर इतना रोए कि फिर उनमें रोने की शक्ति न रही। दाऊद की दोनों स्त्रियाँ, यिज्रेली अहीनोअम, और कर्मेली नाबाल की स्त्री अबीगैल, बन्दी बना ली गई थीं। और दाऊद बड़े संकट में पड़ा; क्योंकि लोग अपने बेटे–बेटियों के कारण बहुत शोकित होकर उस पर पथराव करने की चर्चा कर रहे थे। परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बाँधा।
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