1 पतरस 2:4-12

1 पतरस 2:4-12 HINOVBSI

उसके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया परन्तु परमेश्‍वर के निकट चुना हुआ और बहुमूल्य जीवता पत्थर है, तुम भी आप जीवते पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो, जिससे याजकों का पवित्र समाज बनकर, ऐसे आत्मिक बलिदान चढ़ाओ जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर को ग्राह्य हैं। इस कारण पवित्रशास्त्र में भी आया है : “देखो, मैं सिय्योन में कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर धरता हूँ : और जो कोई उस पर विश्‍वास करेगा, वह किसी रीति से लज्जित नहीं होगा।” अत: तुम्हारे लिये जो विश्‍वास करते हो वह तो बहुमूल्य है, पर जो विश्‍वास नहीं करते उनके लिये “जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया,” और “ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान हो गया है,” क्योंकि वे तो वचन को न मानकर ठोकर खाते हैं और इसी के लिये वे ठहराए भी गए थे। पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज–पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्‍वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। तुम पहले तो कुछ भी नहीं थे पर अब परमेश्‍वर की प्रजा हो; तुम पर दया नहीं हुई थी पर अब तुम पर दया हुई है। हे प्रियो, मैं तुम से विनती करता हूँ कि तुम अपने आप को परदेशी और यात्री जानकर उन सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे रहो। अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; ताकि जिन–जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्हीं के कारण कृपा–दृष्‍टि के दिन परमेश्‍वर की महिमा करें।

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