रूत 3:1-11

रूत 3:1-11 HINCLBSI

उसकी सास नाओमी ने रूत से कहा, ‘मेरी पुत्री, यह मेरा कर्त्तव्‍य है कि मैं तेरे लिए पति का आश्रय खोजूँ, जिससे तेरा भला हो। बोअज जिसकी सेविकाओं के साथ तू काम करती है, हमारा कुटुम्‍बी है। देख, वह आज रात को खलियान में जौ की ओसाई करेगा। तू स्‍नान कर, सिर में तेल डाल और साफ-सुथरे वस्‍त्र पहिन। इसके बाद तू खलियान में जाना। परन्‍तु जब तक बोअज खाना-पीना समाप्‍त नहीं कर लेगा तब तक तू स्‍वयं को उस पर प्रकट मत करना। जब वह सोने के लिए लेटेगा तब तू उस स्‍थान को देख लेना, जहाँ वह सोता है। उसके बाद तू जाना और उसके पैरों की चादर उठाकर वहाँ लेट जाना। तब वह तुझे बताएगा कि तुझे क्‍या करना चाहिए।’ रूत ने नाओमी से कहा, ‘जो आप कहती हैं, वह मैं करूँगी।’ रूत खलियान में गई। उसने अपनी सास के आदेश के अनुसार कार्य किया। बोअज खा-पी चुका था। उसका हृदय आनन्‍दमग्‍न था। वह सोने के लिए अनाज के ढेर के किनारे आया। रूत चुपचाप आई। वह बोअज के पैरों की चादर उठाकर वहीं लेट गई। आधी रात को बोअज चौंक पड़ा। उसने पलटकर देखा कि उसके पैरों के पास एक स्‍त्री लेटी हुई है। उसने पूछा, ‘तुम कौन हो?’ रूत ने उत्तर दिया, ‘मैं आपकी सेविका रूत हूँ। कृपाकर, अपनी चादर मुझे ओढ़ा दीजिए, क्‍योंकि आप हमारे निकट कुटुम्‍बी हैं।’ बोअज ने कहा, ‘मेरी पुत्री, प्रभु तुम्‍हें आशिष दे। तुमने अपनी सास के लिये करुणामय कार्य किया था। अब तुम्‍हारा यह कार्य उससे श्रेष्‍ठ है; क्‍योंकि तुमने विवाह के लिए किसी जवान पुरुष को, धनी अथवा गरीब को, नहीं चुना। मेरी पुत्री, तुम मत डरो। जो कुछ तुमने मुझसे कहा है, वह सब मैं तुम्‍हारे लिए करूँगा। नगर के सब लोग जानते हैं कि तुम चरित्रवान और परिश्रमी हो।