भजन संहिता 68:1-10

भजन संहिता 68:1-10 HINCLBSI

परमेश्‍वर उठता है; उसके शत्रु बिखर जाएँगे; जो उससे बैर करते हैं, वे उसके सम्‍मुख से भाग जाएंगे। जैसे धुआं उड़ाया जाता है, वैसे ही तू उन्‍हें उड़ा दे; जैसे मोम आग के सामने पिघलती है, वैसे ही दुर्जन परमेश्‍वर के समक्ष नष्‍ट हो जाएंगे। किन्‍तु धार्मिक हर्षित होंगे, वे परमेश्‍वर के समक्ष प्रफुल्‍लित होंगे, वे आनन्‍द में फूले न समाएँगे। परमेश्‍वर के लिये गीत गाओ, उसके नाम की स्‍तुति गाओ। उसका गुणगान करो, वह मेघों पर सवार है। उसका नाम प्रभु है, उसके सम्‍मुख उल्‍लसित हो। परमेश्‍वर अपने पवित्र निवास स्‍थान में है; वह अनाथ बच्‍चे का पिता, और विधवाओं का रक्षक है। परमेश्‍वर बेघर को घर में बसाता है, वह बन्‍दियों को मुक्‍त कर उन्‍हें प्रसन्न करता है, किन्‍तु उससे विद्रोह करने वाले उजाड़ भूमि पर बसते हैं। हे परमेश्‍वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे गया था, जब तू निर्जन प्रदेश पार करता था, सेलाह तब परमेश्‍वर, तेरी उपस्‍थिति से भूमि कांपने लगी और आकाश बरसने लगा था। यह सीनय पर्वत भी, परमेश्‍वर, इस्राएल के परमेश्‍वर की उपस्‍थिति से थर्राने लगा था। परमेश्‍वर, तूने मूसलाधार वर्षा की थी। जब तेरी मीरास निराश हुई थी, तब तूने ही उसे विश्‍वास में स्‍थिर किया था। तेरा रेवड़ देश में बस गया; हे परमेश्‍वर, तूने अपनी भलाई के कारण, पीड़ित प्रजा की व्‍यवस्‍था की।

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